Operation Sindoor: पाकिस्तान ने संघर्षविराम की अपील करने के बाद धोखा क्यों दिया?- इसका जवाब इस संकेत में छिपा है—कि देखिए ऑपरेशन सिंदूर ने कहां-कहां प्रहार किया..
ऑपरेशन सिंदूर: आखिर पाकिस्तान ने संघर्षविराम समझौते को तोड़ने का दुस्साहस कैसे किया?
भारत और पाकिस्तान के बीच ज़मीन, हवा और समुद्र में सैन्य कार्रवाई रोकने के आपसी समझौते के महज साढ़े तीन घंटे बाद ही, जम्मू-कश्मीर (श्रीनगर सहित) और गुजरात के इलाकों में पाकिस्तानी ड्रोन देखे गए जिन्हें भारतीय सेनाओं ने तत्परता से इंटरसेप्ट किया। इसके कुछ ही घंटों बाद, विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने स्पष्ट किया कि भारत इस उल्लंघन का “पर्याप्त और उपयुक्त” जवाब दे रहा है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत ऐसे मामलों को “बहुत गंभीरता से” लेता है।
लेकिन सवाल यह है कि जब पाकिस्तान ने खुद अपने DGMO के माध्यम से भारतीय समकक्ष से संपर्क कर औपचारिक संघर्षविराम की मांग की थी—और वादा किया था कि वह आगे कोई हमला नहीं करेगा—तो उसने अचानक पलटी क्यों मारी?
पिछले चार दिनों में पाकिस्तान ने भारत के सैन्य ठिकानों, नागरिक इलाकों और धार्मिक स्थलों को निशाना बनाते हुए मिसाइलों और ड्रोन हमलों की बौछार कर दी। जवाब में भारत ने निर्णायक प्रहार करते हुए पाकिस्तान के सैन्य अड्डों, आतंकवादी लॉन्च पैड्स और एलओसी की चौकियों पर सटीक हमले किए—जिनका असर इस्लामाबाद की सैन्य मनोबल पर स्पष्ट रूप से देखा गया।
सरकारी सूत्रों ने स्पष्ट किया कि भारत की कार्रवाई पूरी तरह से “नियंत्रित” थी, और नागरिक क्षेत्रों को किसी भी प्रकार की क्षति नहीं पहुंचाई गई।
भारत के निशाने पर रहे ये प्रमुख पाकिस्तानी सैन्य ठिकाने
सरगोधा एयरबेस – पाकिस्तानी वायुसेना का कमांड मुख्यालय, जहां F-16, JF-17 और Mirage 5A जैसे लड़ाकू विमान तैनात थे।
रफीकी एयरबेस – रणनीतिक दृष्टि से अहम अड्डा, अब भारी नुकसान में।
मुरीद एयरबेस – पाकिस्तान के ड्रोन संचालन का प्रमुख केंद्र।
नूर खान (चकलाला) एयरबेस – इस्लामाबाद से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित।
रहीम यार खान – राजस्थान सीमा के पास स्थित एयरबेस।
चुनियाँ एयरबेस – लाहौर से लगभग 70 किलोमीटर दूर।
सुक्कुर एयरबेस – कराची की तटीय सुरक्षा के लिए 2017 में चालू किया गया।
इसके अलावा, स्कार्दू, जैकबाबाद और भोलारी जैसे अड्डे (पाक-अधिकृत कश्मीर सहित) भी भारतीय हमलों की चपेट में आए।
इन हमलों की पुष्टि मानव स्रोतों और ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस के माध्यम से की गई है।
आधुनिक वायु रक्षा की नई परिभाषा: भारत का प्रदर्शन
भारत की सैन्य रणनीति की सराहना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हुई। अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरल्लाह सालेह ने इसे “साहसी, अप्रत्याशित और दृढ़-संकल्प वाला जवाब” बताया। उन्होंने कहा कि भारत ने “रस्सी को नौ गांठों से कस दिया है।”
जॉन स्पेंसर, जो मॉडर्न वॉर इंस्टीट्यूट में शहरी युद्ध विशेषज्ञ हैं, ने कहा कि भारत ने न केवल अपनी वायुसीमा की रक्षा की बल्कि पाकिस्तान द्वारा उपयोग किए जा रहे चीनी रक्षा तंत्र को भेदते हुए दिखाया कि सुरक्षा केवल खरीदी गई प्रणाली से नहीं, बल्कि उनके एकीकृत उपयोग से आती है।
भारत ने स्वदेशी ‘आकाश’ और ‘QRSAM’, इजरायली ‘Barak-8’ और रूसी ‘S-400’ सिस्टम्स का संयोजन कर बहु-स्तरीय सुरक्षा तंत्र तैयार किया, जिसने पाकिस्तानी मिसाइलों और ड्रोन हमलों को प्रभावशाली ढंग से निष्क्रिय किया।
वहीं, पाकिस्तान के पास मौजूद चीनी सिस्टम—HQ-9/P, LY-80, और FM-90—भारतीय हमलों के सामने नाकाम साबित हुए, जैसा कि उपग्रह चित्रों से सिद्ध हुआ।
तो फिर पाकिस्तान ने संघर्षविराम के बाद हमला क्यों किया?
इसका उत्तर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की रणनीतिक मारों में छिपा है—जहां भारत ने पाकिस्तान की सैन्य रीढ़ पर सटीक प्रहार कर उसकी आक्रामक मंशा को जड़ से हिला दिया।
(सुमन पारिजात)