Tuesday, October 21, 2025
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Parakh Saxena writes: आज की राजनीतिक महाभारत के चाणक्य अमित शाह

Parakh Saxena writes: यदि भारत के भाग्य से मोदी मिले हैं तो महाभारत विजय के लिये आज के पांडवों को अमित शाह मिले हैं..जो बुद्धिबल के भी महारथी हैं और युद्धबल के भी योद्धा हैं..

Parakh Saxena writes: यदि भारत के भाग्य से मोदी मिले हैं तो महाभारत विजय के लिये आज के पांडवों को अमित शाह मिले हैं..जो बुद्धिबल के भी महारथी हैं और युद्धबल के भी योद्धा हैं..

यदि अमित शाह महाभारत युग मे होते तो युद्ध 18 दिन नहीं बल्कि 18 महीने चलता। परिणाम वही रहता बस सैनिक थोड़े कम मरते, दरसल ये ज़ब भी कोई पेड़ काटते है तो सुनिश्चित करते है कि कटाई से पहले बीज के सप्लायर मार दिए जाए और बीज नष्ट कर दिए जाए फिर पेड़ की कटाई होती है।

जेएनयू मे RSS का पथ संचलन….. यदि 5 साल पहले भी इसकी कल्पना कोई करता तो उसे पागल घोषित कर दिया जाता। आज तो ये सच्चाई है, अमित शाह को गृहमंत्री के रूप मे इन ही चार कामो के लिए याद रखा जायेगा। कश्मीर, राम मंदिर, नक्सली और घुसपैठ।

ये चारो ही कभी हिंदूवादियों के लिए कल्पना थे दो तो सच हो गए इसलिए हिंदूवादियों के एक समूह ने कहना शुरू कर दिया कि ये तो आसान था अगला वाला मुश्किल है।

नक्सलवाद की सबसे बड़ी समस्या ये थी कि ये इको सिस्टम के अंदर घुसकर बैठे थे। कॉलेज के प्रोफेसर और छात्र हो या मानवाधिकार वाले, जंगलो से लेकर संवैधानिक कार्यालय तक इनकी पहुँच बन चुकी थी।

मार्च 2026 तक नक्सली ढेर हो जायेंगे ऐसा अमित शाह ने कहा था मगर लग रहा है ये काम 2025 मे ही हो जायेगा। बम धमाको की खबरें सुने मानो सदिया बीत गयी, लेकिन नक्सलीयों की लाशो से अख़बार भरे पड़े है।

बीजेपी हो या कांग्रेस हर सरकार को इनका दमन करना था मगर समस्या हमेशा मानवाधिकार, NGO और ये वामपंथी छात्र ख़डी करते थे। कम्युनिस्ट पार्टी ने कई राज्यों मे अपनी सरकार बनाकर काला धन इकट्ठा किया और उसे नक्सलवाद मे प्रयोग किया।

2016 मे जब नोटबंदी हुई तो इस पर स्वतः लगाम लग गयी, उसी के बाद ED को खुली छूट दी गयी और पूरा अर्थतंत्र तबाह हो गया। इतने नक्सली मर रहे लेकिन अब कहाँ कोई कन्हैया कुमार पैदा हो रहा है? ना ही कोई बड़ी बिंदी वाली आंटिया दिखाई देती है।

हालांकि कांग्रेस इसे जरूर पाटने का प्रयास करेंगी, ज़ब ज़ब कम्युनिस्ट कमजोर हुए कांग्रेस ने उनके वोट बैंक को अपना बनाने का प्रयास किया है मगर घबराने का कोई कारण नहीं है। उसका भी समाधान कर रखा है, ना जाने क्या घुट्टी पिलाई है या योजनाओं से लाभ इतना दे दिया है कि बीजेपी को अब आदिवासी क्षेत्रो मे भी वोट बढ़ने लगे है।

राहुल गाँधी के नेतृत्व का सबसे बड़ा फायदा यही है कि कांग्रेस के नये वोट नहीं बढ़ रहे, गुजरात मे पटेल हो या कर्नाटक मे लिंगायत कोई भी मोनिटाइज नहीं हुआ। 10 साल पहले जो वोट मिलते थे वे ही आज मिल रहे, इसलिए ये नक्सली बनकर कुछ उखाड़ लेंगे तो ये गलतफहमी है।

अब मुझे दृढ विश्वास है कि घुसपैठ की समस्या भी इसी तरह सुलझ जायेगी। कारण वही एक कि अमित शाह 18 दिन की नहीं बल्कि 18 महीने की महाभारत लड़ते है।

(परख सक्सेना)

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