Parakh Saxena की कलम से पढ़िये -शांति के कबूतर बहुत देखे मगर ये गुरु गोविंद सिंह के बाज थे जिनके पंजे मात्र से पाकिस्तान दहल गया..
पहली बार हमने हमला किया लेकिन हमारा स्टॉक मार्केट यथावत रहा, मतलब निवेशकों को सरकार पर भरोसा पूरा है। ये अमेरिका की तरह भारत का वॉर ऑन टेरर है बस गलतियां अमेरिका वाली नही की।
जॉर्ज बुश ने ज़ब अफगानिस्तान पर युद्ध की घोषणा की थी तब अमेरिकी सेना को लग रहा था कि उन्हें महज लादेन को पकड़ना है, तालिबान की जगह लोकतंत्र लाना है और बस हो गया काम। यही कारण था कि कई ट्रिलियन डॉलर खर्च करने के बाद भी अमेरिका खाली हाथ लौट गया।
यही गलती इजरायल ने गाजा मे की, एक ही दिन मे चिन्हित ठिकानो पर बम गिराये और उसके बाद दुनिया का युद्ध रोकने का प्रेशर फ्री मे ले लिया। इजरायल युद्ध जीता मगर राजनीति हार गया क्योंकि फिलिस्तीन को बेकार मे कई देशो से मान्यता मिल गयी।
भारत का स्टैंड गणनात्मक रूप से है, सेना ने स्पष्ट कहा कि हमने पाकिस्तान की सेना और नागरिको पर हमला नहीं किया है। पहले आतंकी ठिकानो के सबूत जुटाये, फिर ब्लू प्रिंट तैयार करके 150 देशो को भरोसे मे लिया और बेधड़क मिसाइले दाग़ दी।
अब सारा प्रेशर पाकिस्तान पर है, पाकिस्तान के सामने दुनिया भर के सवाल है कि UN द्वारा घोषित आतंकियों पर पाकिस्तान ने एक्शन क्यों नहीं लिया? यदि भारत ने एक्शन लिया तो क्या पाकिस्तान के पास प्रतिउत्तर का आधार क्या है?
ये तो अंतर्राष्ट्रीय प्रश्न है, घरेलू मुद्दे तो और जटिल है। अब आतंकवादी बदला लेना चाहेंगे, यदि खुद लेंगे तो भारत फिर घसीट घसीट कर मारेगा, उनका बदला पाकिस्तानी सेना लेगी तो वो पीटेगी। बदला नहीं लेगी तो आतंकवादी सेना को मारेंगे और यदि सेना युद्ध करने का सोचेगी तो भारत तो बुरी तरह धोएगा ही ऊपर से अंतराष्ट्रीय दबाव आएगा।
कुल मिलाकर आसिम मुनीर एक चक्रव्यूह मे फस गया है, ये केस अमेरिका और इजरायल के साथ नहीं था। पाकिस्तान के लिये भी इतना तो स्पष्ट है कि ज़ब तक बीजेपी सरकार मे है तब तक तो धुलाई होंगी, ये 26/11 वाला समय नहीं है।
ये भी पाकिस्तान के लिये कड़वा सत्य है कि 2029 तक तो बीजेपी कही नहीं जा रही और उसके बाद भी दिल्ली मे ही खूंटा डाले बैठी है।
फिलहाल हमें सतर्क रहने की आवश्यकता है अगले 3-4 दिनों मे ये पक्का कुछ तो कोशिश करेंगे। उनकी मूर्खता पर हम इतना विश्वास तो कर सकते है।
(परख सक्सेना)