Monday, August 11, 2025
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Puja Path: सावन खत्म – वर्ष के शेष माहों में किस भगवान की पूजा होती है और क्यों – जानिये यहाँ

Puja Path: हिन्दू धार्मिक कैलेन्डर के अनुसार अब श्रावण के उपरान्त इस वर्ष और कौन कौन से धार्मिक व्रत-त्यौहार आने वाले हैं जानिये इस आलेख में..

Puja Path: हिन्दू धार्मिक कैलेन्डर के अनुसार अब श्रावण के उपरान्त इस वर्ष और कौन कौन से धार्मिक व्रत-त्यौहार आने वाले हैं जानिये इस आलेख में..

हिंदू सनातन धर्म ईश्वर और प्रकृति के प्रति समर्पित है। इसी वजह से यहां साल के अलग-अलग महीनों में, मौसम और परंपरा के अनुसार, अलग-अलग देवताओं की पूजा की जाती है। हर महीने का एक खास देवता माना जाता है, जिनकी पूजा करने से उस समय विशेष कृपा और आशीर्वाद मिलता है। आइए, महीनेवार जानें किस महीने में किस भगवान की पूजा का महत्व है।

चैत्र मास (मार्च – अप्रैल)

चैत्र महीना हिंदू पंचांग में साल की धार्मिक शुरुआत माना जाता है। इसी महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी को भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। इस कारण इस महीने श्रीराम और भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस समय पूजा करने से घर में सुख-शांति आती है और परिवार में प्रेम और एकता बनी रहती है। यह महीना भगवान विष्णु (राम अवतार), सूर्यदेव और हनुमान जी की आराधना के लिए उपयुक्त है।

वैशाख मास (अप्रैल – मई)

वैशाख मास में गंगा दशहरा मनाया जाता है, जो उस कथा से जुड़ा है जब राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए मां गंगा को पृथ्वी पर लाने का संकल्प लिया था। इस महीने गंगा स्नान, दान और पुण्य करने से पाप नष्ट होते हैं और जीवन में पवित्रता आती है। यह महीना माधव रूप में भगवान विष्णु, मां गंगा और चित्रगुप्त की पूजा के लिए माना जाता है।

ज्येष्ठ मास (मई – जून)

ज्येष्ठ मास में सूर्यदेव की पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि इस समय गर्मी अपने चरम पर होती है। महाभारत के अनुसार, इसी महीने सूर्यदेव ने कर्ण को अपना पुत्र स्वीकार किया और उसे दिव्य कवच-कुंडल प्रदान किए। इस महीने सूर्यदेव के साथ-साथ शनिदेव और देवी गायत्री की पूजा भी की जाती है।

आषाढ़ मास (जून – जुलाई)

आषाढ़ मास में पुरी की प्रसिद्ध जगन्नाथ रथयात्रा होती है, जो भगवान कृष्ण, बलराम और सुभद्रा के अपनी मौसी के घर जाने की कथा से जुड़ी है। इस महीने भगवान जगन्नाथ के दर्शन और सेवा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है और कष्ट दूर होते हैं।

श्रावण मास (जुलाई – अगस्त)

श्रावण मास भगवान शिव को सबसे प्रिय माना जाता है। यह समुद्र मंथन की उस कथा से जुड़ा है जिसमें भगवान शिव ने विष (हलाहल) पीकर संसार की रक्षा की थी। इस महीने शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र चढ़ाने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

भाद्रपद (भादो) मास (अगस्त – सितंबर)

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। यह त्योहार माता पार्वती द्वारा गणेश जी को बनाने और फिर भगवान शिव द्वारा उन्हें पुनर्जीवित करने की कथा से जुड़ा है। इस महीने गणेश जी की पूजा करने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और कार्यों में सफलता मिलती है।

(प्रस्तुति – त्रिपाठी इन्द्रनील)

 

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