Wednesday, June 25, 2025
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Ram Mandir Anniversary 2025: सौगंध राम की खाते हैं हम मंदिर वहीं बनायेंगे! : जानिये 9 अहम बातें इस कालजयी नारे की

एक अनोखे कालजयी नारे के प्रत्येक शब्द ने मंदिर आंदोलन को जीवन प्रदान किया और इसे सच किया जीवन गंवा कर लाखों राम भक्तों ने पिछले पांच सौ वर्षों में..

 

Ram Mandir Anniversary 2025: एक अनोखे कालजयी नारे के प्रत्येक शब्द ने मंदिर आंदोलन को जीवन प्रदान किया और इसे सच किया जीवन गंवा कर लाखों राम भक्तों ने पिछले पांच सौ वर्षों में..

ये पंक्तियां कालजयी थीं जो नारे के रूप में सभी को पता थीं और इसी नारे के प्रत्येक शब्द को जीवन प्रदान किया जीवन गंवा कर लाखों राम जी के भक्तों ने पिछले पांच सौ सालों में..

Ram Mandir Anniversary 2025: आजादी के बाद से राम मंदिर आंदोलन का तो बस एक ही था सबसे बड़ा नारा -‘सौगंध राम की खाते हैं, हम मंदिर वहीं बनाएंगे’. राम जी की सौगंध खाने वालों ने मंदिर वहीं बना दिया.

राम मंदिर आंदोलन देश के हर सनातनी का आंदोलन बन गया था और फिर एक वक्त ऐसा आया जब देश के हर हिन्दू घर से यह नारा लगाया गया.

लाखों राम भक्तों ने इस नारे को जान देकर कर जीवन दिया और इसका असली श्रेय जाता है बीजेपी और आज इसके सर्वोच्च नेता प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी को. किन्तु कहीं ऐसा न हो कि इस नारे को अब आने वाले दिनों में लोग भूलते चले जायें क्योंकि मंदिर तो बन गया है.

आइये जानते हैं इस कालजयी नारे की 9 अहम बातें जो बहुत कम लोग जानते हैं:

इस नारे को बनाने वाले एक कवि थे जिनका नाम था विष्णु चंद्र गुप्ता. उनकी ये पंक्तियां राम मंदिर आंदोलन का सबसे बड़ा और ऐतिहासिक नारा बनीं.

6 दिसंबर, 1992 को राष्ट्र के कवि विष्णु गुप्ता ने यह पंक्ति जलालाबाद में एक काव्य गोष्ठी के आयोजन दौरान अनायास सुना दी थीं.

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वही दिन है 6 दिसंबर का जिस दिन अयोध्या में विवादित ढांचा गिराए जाने की सूचना सारे देश को मिली थी.

ये पंक्ति जो काव्यगोष्ठी में सुनाई गई थी वो राम भक्तों के लिये धारदार भावुक हथियार बन गई और RSS के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंच गई.

कवि विष्णु गुप्ता ने राम मंदिर आंदोलन पर सोचते समय अपनी इस कविता को एक रात में लिखा था और अपनी डायरी में सहेज लिया था.

बाद में उन्होंने इन अपनी पंक्तियों को संघ के कार्यक्रमों में पढ़ना शुरू किया जिन्हें सबने हृदय से पसंद किया और इन पंक्तियों ने भावुक कर दिया सभी राम भक्तों के हृदय को.

राम भक्तों के लिए राम मंदिर आंदोलन के दौरान उनमें ऊर्जा का संचार करने वाली विष्णु गुप्ता की रचनाओं के संकलन को ‘सौगंध’ नाम से प्रकाशित किया गया.

मातृवंदना, देशगान, आह्वान जैसी अन्य रचनाएं भी धर्मकवि विष्णु गुप्ता ने लिखी थीं.

राम मंदिर के इस स्मरणीय कवी की रचनाओं को हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग का प्रतिष्ठित साहित्यरत्न पुरस्कार भी प्रदान किया गया.

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