BS Meena के इस लेख में जानिये सही तरह से अदरक की चाय किस तरह बनाई जाती है..
चाय पीने के शौकिनों की कोई कमी नहीं है। देशभर में दूध वाली चाय पीने वालों की संख्या करोड़ों में होगी। बहुत कम लोग होते हैं जो हर्बल टी जैसे ब्लैक टी, ग्रीन टी, लेमन टी पीना पसंद करते हैं।
ज्यादातर लोग चाय में अदरक डालकर पीना पसंद करते हैं। सुबह एक कप गर्मागरम तीव्र अदरक वाली चाय मिल जाए तो शरीर में ऊर्जा आ जाती है। हालांकि, अदरक वाली चाय बनाते वक्त बहुत से लोग एक गलती कर बैठते हैं, जिसके कारण चाय में अदरक का स्वाद ठीक से नहीं आता।
अगर आप दूध, पानी, चाय पत्तियाँ, चीनी डालने के बाद अदरक डालते हैं, तो चाय में अदरक का स्वाद सही से नहीं आएगा। चलिए जानते हैं अदरक वाली चाय बनाते वक्त कब और कैसे अदरक डालना चाहिए और अदरक वाली चाय पीने के फायदे क्या हैं।
दूध वाली चाय बनाते वक्त अदरक कब डालना चाहिए?
कुछ लोग एक कप चाय बनाने के लिए भी एक बड़ा टुकड़ा अदरक काटकर डाल देते हैं। इससे चाय का स्वाद तीव्र हो जाता है। जब आप चाय बनाएं तो दूध, चीनी, पानी, चाय पत्तियाँ, अदरक सब एक साथ न डालें। अक्सर लोग जल्दी-जल्दी सब कुछ एक साथ डाल देते हैं और एक मिनट में उबालकर चाय बना लेते हैं।
अगर आप चाहते हैं कि अदरक का स्वाद चाय में परफेक्ट आए तो पहले चाय के बर्तन में पानी, दूध और चीनी डालकर उबालें। फिर अदरक डालें और फिर चाय पत्तियाँ डालें। फिर धीमी आंच पर ढककर 1-2 मिनट उबालें।
इस तरीके से अदरक और चाय पत्तियों दोनों का परफेक्ट स्वाद और फ्लेवर आएगा। एक कप चाय बना रहे हैं तो 1-2 मिनट पर्याप्त है लेकिन 5-10 कप चाय बनानी है तो मात्रा और उबालने का समय बढ़ा दें।
चाय में अदरक डालने की सही विधि
कुछ लोग अदरक को बड़े टुकड़े में काटकर डाल देते हैं। इससे अदरक में जो रस और गुण होते हैं, वह सही तरीके से चाय में नहीं घुलते। आप इसे छीलकर डाल सकते हैं। अदरक को काटकर डालने से उसका आधा रस बर्तन में ही रह जाता है। अगर आप इसे काटकर डालें तो बर्तन में लगा हुआ रस भी दूध या पानी डालकर चाय में डाल दें।
अदरक वाली चाय पीने के फायदे
सर्दियों में खासकर, बदलते मौसम में लोगों को सर्दी-खांसी, जुकाम, गले में खराश की समस्या बहुत परेशान करती है। क्योंकि, अदरक की तासीर गर्म होती है, इसलिए आप अदरक वाली चाय बना कर पी सकते हैं।
अदरक में कई पोषक तत्व होते हैं, जैसे एंटीमाइक्रोबियल गुण, जो सूजन, दर्द, उल्टी, मितली, मौसमी संक्रमण से बचाते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है।