Wednesday, June 25, 2025
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Indian Attack on Pakistan: S-400 Indian Iron Dome को ‘सुदर्शन’ नाम क्यों दिया गया?

S-400: Indian Iron Dome इज़राइल के आयरन डोम की तुलना में उतना ही सक्षम है और पाकिस्तान के साथ युद्ध में उसकी क्षमता का शानदार उदाहरण देखने को मिल रहा है..

S-400: Indian Iron Dome इज़राइल के आयरन डोम की तुलना में उतना ही सक्षम है और पाकिस्तान के साथ युद्ध में उसकी क्षमता का शानदार उदाहरण देखने को मिल रहा है..

S-400 एयर डिफेंस सिस्टम दुनिया की सबसे आधुनिक और लंबी दूरी तक मार करने वाली वायु रक्षा प्रणालियों में गिनी जाती है। भारत ने इसे ‘सुदर्शन’ नाम दिया है, जो भगवान विष्णु और उनके अवतार श्रीकृष्ण के दिव्य अस्त्र ‘सुदर्शन चक्र’ से प्रेरित है। आइए, इस पौराणिक अस्त्र की कथा जानें और समझें कि यह भारत की सैन्य शक्ति का प्रतीक कैसे बना।

S-400 और श्रीकृष्ण का सुदर्शन चक्र

हाल ही में भारत ने पहली बार पाकिस्तान के खिलाफ S-400 प्रणाली का उपयोग किया। इसकी कार्यक्षमता किसी मायने में सुदर्शन चक्र जैसी ही प्रतीत होती है।

7-8 मई की रात पाकिस्तान ने भारत के करीब 15 शहरों को निशाना बनाकर मिसाइल और ड्रोन हमले की कोशिश की — लेकिन भारत के S-400 डिफेंस सिस्टम ने सभी हमलों को नाकाम कर दिया। अब यह प्रणाली ‘सुदर्शन चक्र’ के नाम से जानी जा रही है, जो शत्रु के विनाश का प्रतीक है।

भारत-पाक तनाव और ‘ऑपरेशन सिंदूर’

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर सटीक मिसाइल हमले किए। जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान ने श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, लुधियाना, बठिंडा, चंडीगढ़ और भुज जैसे शहरों पर हमला करने की कोशिश की — लेकिन S-400 ने हर हमले को विफल कर दिया।
क्यों है ‘सुदर्शन चक्र’ इतना खास?

पुराणों के अनुसार, सुदर्शन चक्र सर्वोच्च दिव्य अस्त्र है। तमिल में इसे ‘चक्रत्तालवार’ और थाईलैंड में ‘चक्री वंश’ कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु को यह अस्त्र शिवजी से प्राप्त हुआ था। जब विष्णु ने द्वापर युग में श्रीकृष्ण रूप में जन्म लिया, तब अग्निदेव के कहने पर वरुणदेव ने उन्हें यह चक्र सौंपा। महाभारत के अनुसार, श्रीकृष्ण और अर्जुन ने खांडव वन दहन में अग्निदेव की सहायता की थी, उसी समय यह चक्र उन्हें प्राप्त हुआ।

इसकी शक्ति और स्वरूप

श्रीकृष्ण इसे अपनी छोटी उंगली पर धारण करते थे। यह चक्र अपने लक्ष्य को नष्ट कर वापस लौट आता था। इसकी गति अत्यंत तीव्र थी और यह वज्र जैसे दांतों से युक्त था। इसे न सिर्फ शत्रु विनाश के लिए, बल्कि भक्तों की रक्षा के लिए भी प्रयोग किया जाता था।

प्रमुख घटनाएं जहां हुआ इसका प्रयोग

श्रीकृष्ण ने इसी चक्र से शिशुपाल का वध किया था।

समुद्र मंथन में मंदराचल पर्वत को काटने और गोवर्धन पर्वत को उठाने में भी इसका प्रयोग हुआ।

हालांकि महाभारत युद्ध में श्रीकृष्ण ने इसका उपयोग नहीं किया।

सुदर्शन चक्र की उत्पत्ति की कथाएं

एक कथा के अनुसार, यह अस्त्र विश्वकर्मा ने बनाया था। उन्होंने सूर्यदेव के तेज से उत्पन्न दिव्य धूल से सुदर्शन चक्र, त्रिशूल और पुष्पक विमान का निर्माण किया।

दूसरी कथा में कहा गया है कि जब असुरों का आतंक बढ़ा, तो विष्णुजी ने शिवजी की तपस्या की और उन्हें प्रसन्न कर यह चक्र प्राप्त किया।

S-400: आधुनिक सुदर्शन चक्र

S-400 को ‘सुदर्शन’ नाम इसकी अद्भुत क्षमता, अचूकता और दुश्मनों को भयभीत कर देने वाली ताकत के कारण दिया गया है। यह पौराणिक सुदर्शन चक्र की ही तरह अजेय प्रतीत होता है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में इसकी सफलता ने यह साबित कर दिया कि भारत की रक्षा अब और भी सशक्त और अपराजेय है।

(अंजू डोकानिया)

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