Sanathan dharma: ‘ॐ’ को हिंदू धर्म में पवित्र और शक्ति का प्रतीक माना गया है. यह मंत्र जाप को प्रभावशाली और शुद्ध बनाता है. धार्मिक ग्रंथों और महंतों के अनुसार, ‘ॐ’ की ध्वनि सकारात्मक ऊर्जा और शांति प्रदान करती है.
🕉️हिंदू धर्म में ‘ॐ’ को अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली माना गया है. हर मंत्र की शुरुआत ‘ॐ’ से होती है. यह मात्र एक ध्वनि नहीं, बल्कि संपूर्ण सृष्टि का प्रतीक है. जब हम ‘ॐ’ का उच्चारण करते हैं, तो एक अद्भुत ऊर्जा का अनुभव होता है. यह ध्वनि ब्रह्मांड से उत्पन्न पहली ध्वनि है और इसमें सभी वेदों और तपस्वियों का सार समाहित है.
ॐ या ओम प्रतीक
🕉️ओम एक दृश्य प्रतीक और एक पवित्र ध्वनि या मंत्र दोनों है जिसे सुना और बोला जा सकता है। यह शब्दांश तीन ध्वनियों ‘अ’, ‘उ’ और ‘म’ से बना है – ओम।
🕉️’ए’ (उच्चारण एक लम्बी “आवे” के रूप में) । यह ध्वनि शुरुआत का प्रतिनिधित्व करती है – ब्रह्मांड और उसके भीतर की हर चीज का निर्माण। इसे ‘चेतन या जागृत अवस्था’ का प्रतीक माना जाता है। हिंदू परंपरा में इस ध्वनि को ब्रह्मा – निर्माता के साथ जोड़ा जाता है। ध्वनि पेट में उत्पन्न होती है, और ऊपरी छाती में कंपन करती है। खुलेपन की भावना पैदा करने के लिए अपनी जीभ को मुंह के निचले हिस्से में रखें और अपने होठों को अलग रखें।
‘🕉️उ’ (एक लम्बी “ऊह” ध्वनि) । यह ध्वनि स्थिरता को दर्शाती है जो आपको साथ लेकर चलती है और वह ऊर्जा जो आपको और दुनिया को सुरक्षित रखती है और बनाए रखती है। यह हिंदू भगवान, विष्णु – संरक्षक से जुड़ा हुआ है। ‘अ’ ध्वनि से, होंठ एक साथ हिलना शुरू करते हैं और ध्वनि धीरे-धीरे आगे बढ़ती है, ऊपरी तालू के साथ घूमती है और गले में कंपन करती है।
‘🕉️म’ (‘ममम’ ध्वनि )। यह समापन की ध्वनि और अंत की शुरुआत को दर्शाता है और शिव से जुड़ा हुआ है। शिव को अक्सर ‘विध्वंसक’ के रूप में जाना जाता है, लेकिन वे परिणति, पूर्णता, अंतिमकरण की शक्ति भी हैं। ध्वनि बनाते समय, हम अपनी जीभ को मुंह के ऊपर ले जाते हैं और अपने होठों को एक साथ लाते हैं ताकि एक लंबी गुनगुनाहट की आवाज़ पैदा हो।
🕉️एक चौथी ध्वनि भी है: मौन। सांस और ध्वनि के फीके पड़ जाने के बाद हमारे पास जो अवशेष या ऊर्जा बचती है, वह है शांति। स्थिरता से उठकर, स्थिरता द्वारा बनाए रखा जाता है और फिर से मौन में लुप्त हो जाता है…
मंत्रों के साथ ‘ॐ’ क्यों जोड़ा जाता है?
🕉️किसी भी मंत्र से पहले ‘ॐ’ लगाने से उसकी शक्ति और प्रभाव बढ़ जाते हैं. यह मंत्र को शुद्ध और प्रभावशाली बनाता है. हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, ‘ॐ’ के बिना मंत्र अधूरा माना जाता है. इसके साथ मंत्र का जाप करने से उस मंत्र में एक विशेष गति आती है और वह सिद्ध हो जाता है.
मंत्र जाप में शुद्धि का कारक
🕉️‘ॐ’ का उपयोग मंत्र जाप के दौरान किसी अशुद्धि को समाप्त करने में सहायक होता है. यदि मंत्रोच्चारण में कोई त्रुटि हो जाए, तो ‘ॐ’ उसे शुद्ध कर देता है. इससे मंत्र जाप करने वाले व्यक्ति को किसी दोष का भय नहीं रहता. इसीलिए हर मंत्र से पहले ‘ॐ’ लगाया जाता है.
भगवद्गीता में ‘ॐ’ का उल्लेख
🕉️भगवद्गीता और अन्य धर्मशास्त्रों में भी ‘ॐ’ की महिमा का उल्लेख किया गया है. कहा गया है कि ‘ॐ’ के साथ मंत्र जाप करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. यह मंत्र की शक्ति को कई गुना बढ़ा देता है. ‘ॐ’ का उच्चारण धर्मशास्त्रों के पाठ के समान फलदायी होता है और इससे इच्छाएं पूर्ण होती हैं.
अन्य धर्मों में ‘ॐ’ का स्थान
🕉️केवल सनातन धर्म ही नहीं, बल्कि भारत के अन्य धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं में भी ‘ॐ’ को प्रमुख स्थान दिया गया है. यह शब्द एकता, शांति, और ध्यान का प्रतीक है. विभिन्न योग और ध्यान प्रक्रियाओं में ‘ॐ’ का उच्चारण शरीर और मन को शांति प्रदान करता है.
कठोपनिषद में भी है वर्णन
🕉️वहीं कठोपनिषद में भी इसके पीछे का रहस्य बताया गया है. इसमें कहा गया है कि ओम शब्द में वेदों का सार, तपस्वियों और योगियों का सार समाया हुआ है. ऐसे में जब भी मंत्रों का जाप करें तो इसकी शुरुआत ॐ’से करें. धार्मिक ग्रंथों की मानें तो यदि हम किसी मंत्र से पहले ॐ’लगाते हैं तो उससे शक्ति संपन्न हो जाती है और वह पूर्णतया शुद्ध हो जाता है.
🕉️माना ये भी जाता है कि बिना ॐ’के कोई भी मंत्र फलदायी नहीं होता है. मंत्र में ॐ’लगा लेने से उसकी शक्ति कई गुना अधिक हो जाती है. इससे एक शक्ति जागृत होती है और आपकी बात ईश्वर तक जल्दी पहुंचती है.
गलती नहीं होती है मान्य
🕉️कहा जाता है कि यदि हम मंत्र के जाप से पहले इसमें ॐ’लगा लेते हैं तो इस दौरान हुई कोई भी गलती मान्य नहीं होती है. वह भी शुद्ध हो जाती है. ॐ’का प्रयोग कर लेने से गलती होने पर भी व्यक्ति को दोष नहीं लगता है.
(आचार्य अनिल वत्स)