(Sanskrit Learning Online)
पटना 2 जुलाई 2025 । संस्कृत संरक्षण समिति की ओर से अन्तर्जालीय अन्तर्राष्ट्रीय दशदिवसात्मक महर्षि यास्क स्मृति संस्कृत व्याकरण ज्ञान शिविर का शुभारंभ भव्य रुप से सम्पन्न हुआ।
यह निरन्तर १९वां व्याकरण शिविर है। इस विशेष शिविर की अध्यक्षता डॉ मुकेश कुमार ओझा ने की, जो संस्कृत संरक्षण समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं विहार संस्कृत संजीवन समाज पटना के महासचिव हैं।
डॉ मुकेश कुमार ओझा ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि वैदिक शब्दों के अर्थ बोध की दृष्टि से निरुक्त का महत्त्व सर्वाधिक है, जिसके रचयिता महर्षि यास्क हैं।वेदाड्ग़ो में निरुक्त प्रधान है।यास्क ने निरुक्त को व्याकरण का पूरक माना है।
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता एवं आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री उग्र नारायण झा ने कहा कि यास्क रचित निरुक्त व्याकरण का मूलाधार है, इसलिए सभी संस्कृत अनुरागियों को अध्ययन करना चाहिए।
गंगा देवी महिला महाविद्यालय की संस्कृत विभागाध्यक्ष, पटना एवं आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान की राष्ट्रीय संयोजिका डॉ रागिनी वर्मा ने कहा कि निरुक्त तीन भागों में विभक्त है, जिसमें नैघण्टुक काण्ड अति महत्वपूर्ण है। व्याकरण ज्ञान से संस्कृत सम्भाषण भी सरल हो जाता है।
डॉ रागिनी वर्मा ने व्याकरण ज्ञान शिविर में आने के लिए प्रेरित किया। सुजाता घोष, मनीषा बोदरा,संजु शर्मा ने भी व्याकरण ज्ञान शिविर की महत्ता पर विस्तृत जानकारी दी तथा अन्तर्जालीय संस्कृत व्याकरण ज्ञान शिविर से प्राप्त होने वाले लाभ की चर्चा की।
इस अवसर पर डॉ राजेश कुमार मिश्र, डॉ लीना चौहान, हर्षित मिश्र आदि अनेक व्याकरण शिविर के सदस्य उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन -सुजाता घोष तथा कल्याण मन्त्र मनीषा बोदरा ने किया।