Sanskrit Learning Online: देवभाषा संस्कृत के प्रचार और प्रसार का अभियान अबाध रूप से गतिमान है..हाल ही में संपन्न हुआ महर्षि पतंजलि स्मृति अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत सम्भाषण शिविर समापन समारोह..
महर्षि पतंजलि स्मृति अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत सम्भाषण शिविर समापन समारोह के समानांतर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस भी हुआ सम्पन्न जहाँ संस्कृत साधकों ने किया भाषा और योग के समन्वय का अभिनव उत्सव.
पटना/दिल्ली, 22 जून 2025
आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान तथा विहार संस्कृत संजीवन समाज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित महर्षि पतंजलि स्मृति अन्तर्राष्ट्रीय दशदिवसीय अन्तर्जालीय संस्कृत सम्भाषण शिविर का भव्य समापन एवं अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का उत्साहपूर्ण आयोजन सम्पन्न हुआ। यह शिविर न केवल संस्कृत भाषा की सम्भाषण क्षमता को जागृत करने वाला रहा, बल्कि महर्षि पतंजलि के रचनाओं को आत्मसात करने की दिशा में भी एक सशक्त प्रयास सिद्ध हुआ।
समारोह की गरिमामयी उपस्थिति
समापन समारोह का उद्घाटन पूर्व सचिव, गृह विभाग; उत्तरप्रदेश एवं प्रधान संरक्षक, आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान के डॉ. अनिल कुमार सिंह द्वारा किया गया। उन्होंने कहा इस शिविर के माध्यम से वैश्विक स्तर पर हमारी परंपरा को नवचेतना मिली है।”
अध्यक्षता डॉ. मुकेश कुमार ओझा, राष्ट्रीय अध्यक्ष – आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान एवं महासचिव – विहार संस्कृत संजीवन समाज ने की। डॉ. मुकेश कुमार ओझा ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा:“संस्कृत सम्भाषण का यह प्रयास महर्षि पतंजलि को समर्पित एक यज्ञ है। यह शिविर एक वैचारिक क्रांति की ओर संकेत करता है।”
मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. मिथिलेश झा, वरिष्ठ संस्कृत प्रचारक एवं संरक्षक – अभियान उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथियों में संस्कृत गीतकार डॉ. अनिल कुमार चौबे, डॉ. नीरा कुमारी (संस्कृत महाविद्यालय, पटना), तथा डॉ. अवन्तिका कुमारी (संस्कृत विभागाध्यक्ष, जगत नारायण लाल महाविद्यालय, खगौल) जैसे विद्वतजनों ने अपनी उपस्थिति से समारोह को गौरवान्वित किया।
सांस्कृतिक आयाम
कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंगलाचरण से हुई जिसे सौरभ शर्मा, शोधार्थी – संस्कृत विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय ने प्रस्तुत किया। डॉ. रागिनी वर्मा, सह-आचार्या – गङ्गा देवी महिला कॉलेज, पटना ने स्वागत भाषण में कहा:“संस्कृत केवल भाषा नहीं, भारत की आत्मा है।
विचार गोष्ठी के प्रमुख वक्तव्य
डॉ. मिथिलेश झा ने कहा:
“योग और संस्कृत का संबंध अत्यंत घनिष्ठ है। इन दोनों को जोड़कर भारतीय संस्कृति के पुनर्जागरण की दिशा में सशक्त कदम उठाए जा रहे हैं।”
डॉ. अनिल कुमार चौबे ने उल्लेख किया:
“संस्कृत गीतों के माध्यम से जनमानस तक भाव सम्प्रेषण संभव है। यह अभियान एक भाषा आन्दोलन का स्वरूप ले चुका है।”
डॉ. नीरा कुमारी ने “ऐक्य मंत्र” के साथ संस्कृत के एकात्म भाव को प्रस्तुत किया। डॉ. अवन्तिका कुमारी ने कहा: “संस्कृत की सहजता को डिजिटल माध्यमों के सहारे हम विश्वभर में पहुँचा सकते हैं। यह शिविर उसका प्रमाण है।”
मंच संचालन एवं समापन
समारोह का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन पिंटू कुमार, राष्ट्रीय संयोजक – आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान एवं शोधार्थी – दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा किया गया। उन्होंने कहा: “संस्कृत केवल बोलचाल की भाषा नहीं, विचार क्रांति की भाषा है। यह अभियान अब घर-घर संस्कृत पहुंचाने का माध्यम बनेगा।”
सम्भाषण प्रतियोगिता परिणाम (जून 2025)
प्रथम पुरस्कार: ज्ञानी शारदेय (जयपुर, राजस्थान) एवं सुजाता घोष (सिल्चर विश्वविद्यालय, असम)
द्वितीय पुरस्कार:
अमिता शर्मा (हिसार, हरियाणा)
रामनाथ पाण्डेय (बिहार)
तृतीय पुरस्कार:
कल्पना शर्मा
मीणा आर्या
विशेष पुरस्कार:
तारा विश्वकर्मा (संस्कृत शिक्षिका, मध्यप्रदेश)
दयानी शारदेय
विचार व्यक्त करने वाले अन्य प्रतिभागी
डॉ. लीना चौहान (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष), बीजेन्द्र सिंह, ज्ञानी शारदेय, अमिता शर्मा, मीना आर्या, सुजाता घोष, राहुल कुमार, दयानी शारदेय, तारा विश्वकर्मा, रामनाथ पाण्डेय, कल्पना शर्मा, एकता वर्मा, एवं मीणा आर्या – सभी ने अपने सारगर्भित विचार प्रस्तुत करते हुए संस्कृत और योग के प्रचार-प्रसार की प्रतिबद्धता को दोहराया।