Wednesday, June 25, 2025
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Sanskrit Speaking : एमिटी विश्वविद्यालय गुरुग्राम हरियाणा द्वारा आयोजित द्विमासिक संस्कृत सम्भाषण शिविर का समापन

 

एमिटी विश्वविद्यालय गुरुग्राम हरियाणा द्वारा दो महीने संस्कृत सम्भाषण शिविर का समापन समारोह आनलाईन आयोजित किया गया। यह संस्कृत सम्भाषण शिविर 16 मार्च 2025 से प्रारम्भ हुआ था और इसका समापन समारोह दिनांक 20 मई 2025 को हुआ।

समापन समारोह के अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में राष्ट्रपति पुरस्कार तथा पद्मश्री पुरस्कार से पुरस्कृत एवं DD News संस्कृत वार्ता के मुख्य प्रवाचक डॉ बलदेवानन्द सागर थे तथा मुख्य अतिथि के रूप में डॉ प्रमोद शास्त्री, प्रान्त मंत्री, संस्कृत भारती, हरियाणा प्रान्त तथा संस्कृत प्रवक्ता हरियाणा सरकार रहे।

इस सम्भाषण शिविर में मुख्य शिक्षक के रूप में डॉ मुकेश कुमार ओझा, अध्यक्ष विहार संस्कृत संजीवन समाज तथा राष्ट्रीय अध्यक्ष आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान के रूप में थे । जिन्होंने दो महीने तक विद्यार्थीयों एवं शिक्षकों को संस्कृत सम्भाषण करना सिखाया।

इस समापन समारोह के अवसर पर एमिटी स्कूल आफ लिब्रल आर्ट्स, एमिटी विश्वविद्यालय गुरुग्राम हरियाणा के निदेशक प्रो.डॉ. संजय झा ने अतिथियों एवं आगंतुकों का स्वागत करते हुए संस्कृत भाषा के महत्व तथा इस शिविर के उपयोगिता के बारे में भी सभी को अवगत कराया।

विशिष्ट अतिथि डॉ बलदेवानन्द सागर जी ने अपने वक्तव्य में सभी को बताया की संस्कृत भाषा कितनी वैज्ञानिक तथा महान है । उन्होंने कहा कि संस्कृत है तभी हमारी भारतीय संस्कृति भी रहेगी इसी भारतीय संस्कृति द्वारा हमारी पहचान सम्पूर्ण विश्व में है। अतः इस देव भाषा को जन जन तक पहुंचाने का यत्न करना चाहिए।

समापन समारोह के मुख्य अतिथि डॉ प्रमोद शास्त्री जी ने कहा कि संस्कृत भाषा बहुत सरल और सुलभ भाषा है। संस्कृत भाषा को हमें अपने दैनिक जीवन में उतारना चाहिए तथा अपने जीवन में उसे धारण भी करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आगामी समय में सम्पूर्ण देश में जनगणना प्रारम्भ होने वाली है अतः आप सभी जनगणना फार्म में अपनी मातृभाषा संस्कृत ही लिखें।

सम्भाषण शिविर के मुख्य शिक्षक डॉ मुकेश कुमार ओझा जी ने इस शिविर के पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस सम्पूर्ण शिविर में प्रतिदिन लगभग 30 छात्र एवं शिक्षक संस्कृत सम्भाषण सीखने आते थे तथा सभी इस शिविर से लाभान्वित भी हुए। समापन समारोह के अन्त में डॉ ओझा जी ने छात्रों के मध्य संस्कृत प्रतियोगिता का भी आयोजन कराया। इस सम्पूर्ण शिविर में संचालक के रूप में डॉ अखिलेश त्रिपाठी की मुख्य भूमिका रही।

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