Wednesday, January 22, 2025
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संस्कृत सम्भाषण का भगवान विष्णु स्मृति अन्तर्राष्ट्रीय शिविर समापन समारोह सम्पन्न

 

पटना, 22 दिसम्बर 2024. सर्वत्र संस्कृतम् एवं विहार संस्कृत संजीवन समाज, पटना के तत्त्वावधान में “आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान” के अन्तर्गत आयोजित भगवान विष्णु स्मृति अन्तर्राष्ट्रीय दशदिवसात्मक अन्तर्जालीय संस्कृत सम्भाषण शिविर का समापन समारोह भव्य रूप से सम्पन्न हुआ।

समारोह का शुभारंभ वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हुआ। डॉ. मुकेश कुमार ओझा, जो इस अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष और विहार संस्कृत संजीवन समाज, पटना के महासचिव हैं, ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में संस्कृत भाषा के महत्व और उसके आधुनिक संदर्भ में उपयोग पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने शिविर की सफलता को संस्कृत भाषा के पुनर्जागरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

समारोह का उद्घाटन पटना उच्च न्यायलय के अभिवक्ता एवं “आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान” के उपाध्यक्ष, उग्र नारायण झाने किया। उन्होंने कहा कि संस्कृत केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा है। इसे आधुनिक जीवन में पुनर्स्थापित करना हमारा प्राथमिक उद्देश्य होना चाहिए।

डॉ. अनिल कुमार चौबे, वरिष्ठ संस्कृत प्रचारक और इस अभियान के संरक्षक, विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने संस्कृत को दैनिक जीवन में अपनाने के महत्व को रेखांकित किया और इस तरह के आयोजनों को समाज के लिए आवश्यक बताया।

मुख्य अतिथि डॉ. रागिनी वर्मा, जो राष्ट्रीय संयोजिका हैं और पटना के गङ्गा देवी महिला कॉलेज में सह आचार्या हैं, ने “आधुनिक संदर्भ में संस्कृत की प्रासंगिकता” पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया। उन्होंने संस्कृत के विविध आयामों और इसके वैश्विक प्रभाव पर विचार साझा किए।

स्वागत भाषण राष्ट्रीय उपाध्यक्षा डा. लीना चौहान ने दिया। उन्होंने कार्यक्रम के महत्व को रेखांकित करते हुए सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का हार्दिक स्वागत किया।

मुख्य वक्ता पारिजात त्रिपाठी, राष्ट्रीय प्रचार सचिव, ने शिविर की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और संस्कृत के प्रचार-प्रसार में युवाओं की भूमिका को रेखांकित किया।

सत्ताइसवाँ संस्कृत संभाषण शिविर संपन्न
सत्ताइसवाँ संस्कृत संभाषण शिविर संपन्न

कार्यक्रम का मंच संचालन श्री पिंटू कुमार ने अत्यंत कुशलता और प्रभावी शैली में किया। साथ ही इस अवसर पर डॉ अवन्तिका कुमारी, सौरभ शर्मा, तनुजा कुमारी, उपासना आर्या,राजश्री आदि ने भी विचार प्रकट किए।

इस शिविर के दौरान आयोजित संस्कृत संभाषण प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। विजेताओं को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया।

प्रथम पुरस्कार- मनीष कुमार, संस्कृत शोध छात्र, दिल्ली विश्वविद्यालय।
द्वितीय पुरस्कार- तारा विश्वकर्मा, संस्कृत शिक्षिका व विजेंद्र सिंह, शोध छात्र, दिल्ली विश्वविद्यालय।

तृतीय पुरस्कार- अदिति चोला, शोध छात्रा, शारदा जौहरी कन्या महाविद्यालय, कासगंज, उ.प्र।

तृतीय पुरस्कार (संयुक्त) –  पवन छेत्री, संस्कृत शिक्षक, असम प्रांत।

विशेष पुरस्कार- मुरलीधर शुक्ल, संस्कृत शिक्षक, बिहार प्रांत।

इस शिविर ने प्रतिभागियों को संस्कृत भाषा में संवाद और विचार-विमर्श करने के लिए प्रोत्साहित किया। इस दौरान संस्कृत के विविध विषयों पर सत्र आयोजित किए गए, जो आधुनिक युग में संस्कृत के पुनः उत्थान के लिए प्रेरणादायक रहे।

समारोह का समापन “संस्कृतं जीवनस्य मूलं” की भावना के साथ हुआ। सभी ने इस शिविर को सफल बनाने के लिए आयोजकों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। यह आयोजन न केवल संस्कृत प्रेमियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत बना, बल्कि संस्कृत के उत्थान की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुआ।

देश में ही नहीं अपितु समस्त विश्व में देव भाषा संस्कृत का प्रचार-प्रसार हो, इस उद्देश्य से संस्कृत के विद्वान डॉक्टर मुकेश कुमार ओझा ने एक प्रयास का श्रीगणेश करके आज उसे एक महती अभियान में परिवर्तित कर दिया है. विभिन्न विरोधों और विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए भी उन्होंने अपने संकल्प से मुँह नहीं मोड़ा और निरंतर देव भाषा संस्कृत के उत्थान की दिशा में निरंतर समर्पित भाव से निरंतर प्रयासमान हैं.

देव भाषा संस्कृत के प्रति डॉक्टर मुकेश कुमार ओझा की इस गहन तप-निष्ठा को देख कर देश के कई अधिकारी और विद्वान भी उनके इस अभियान में उनके साथ जुड़ रहे हैं. निश्चित ही डॉक्टर ओझा का स्वप्न एक दिन साकार होगा और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संस्कृत भाषा की प्रतिष्ठा होगी.

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Parijat Tripathi
Parijat Tripathi
Parijat Tripathi , from Delhi, continuing journey of journalism holding an experience of around three decades in TV, Print, Radio and Digital Journalism in India, UK & US, founded Radio Hindustan & News Hindu Global.

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