Sanskrit Speaking Online: देश-विदेश में देवभाषा संस्कृत की जन-भाषा के रूप में प्रतिष्ठा हेतु किये जा रहे महती प्रयासों की श्रंखला में यह एक नवीन कड़ी है..
भगवान हनुमान की स्मृति में सम्पन्न हुआ ३२वाँ अन्तर्राष्ट्रीय अन्तर्जालीय संस्कृत सम्भाषण शिविर, संस्कृत प्रेमियों में भरा नवजीवन
पटना, १२ मई २०२५. सर्वत्र संस्कृतम् एवं विहार संस्कृत संजीवन समाज, पटना की संयुक्त तत्वावधान में “आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान” के अन्तर्गत भगवान हनुमान स्मृति अन्तर्राष्ट्रीय दशदिवसात्मक अन्तर्जालीय संस्कृत सम्भाषण शिविर* का उद्घाटन भव्य रूप से सम्पन्न हुआ।
*कार्यक्रम की अध्यक्षता* डॉ. मुकेश कुमार ओझा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान एवं महासचिव, विहार संस्कृत संजीवन समाज; पटना ने की। उन्होंने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में हनुमान जी की गुणों से प्रेरणा लेने तथा रामभक्त हनुमान बनने के लिए सदस्यों को प्रेरित किया।
शिविर का उद्घाटन डॉ. धर्मेन्द्रप्रति त्रिपाठी संयुक्त निर्देशक, पेंशन विभाग उत्तरप्रदेश ने किया । उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में कहा हनुमान जी अमर हैं और कलियुग में भी धरती पर विचरण करते हैं। वे अपने भक्तों की सहायता के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
मुख्य अतिथि रागिनी बर्मा सहाचार्य गंगादेवी महिला महाविद्यालय ने संस्कृत भाषा पर महत्त्व देते हुए हनुमान जी के पराक्रम तथा प्रभु के प्रति प्रेम तथा त्याग के विषय में बताते हुए कही कि हमे भी अपने जीवन में हनुमान के तरह पराक्रम निष्ठावान तथा आत्मत्यागी होनी चाहिए।
विशिष्ट अतिथि के रूप में उग्रनारायण झा, डॉ अवंतिका कुमारी, डॉ अनिल कुमार चौबे, डॉ राजेश कुमार मिश्रा, मनीष कुमार, सुजाता घोष, ज्ञानी शारदे आदि ने हनुमान पर प्रकाश डाला एवं संस्कृत संभाषण शिविर पर आने केलिए लोगों को प्रेरित किया इस अवसर पर मनीषा कुमारी, अनामिका कुमारी, नीरा कुमारी, प्रभा कुमारी, मुकेश कुमार, गौतम विकाश, मनोहर शुक्ल, विमलेश कुमार , मुरलीधर शुक्ल आदि पंचास से अधिक संस्कृत प्रेमी जुड़े रहे।
स्वागत भाषण तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. लीना चौहान राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आधुनिक भव संस्कृत भव अभियान ने किए। कार्यक्रम के प्रारम्भ में वैदिकमंगलाचरण उग्र नारायण झा ने किया।
कार्यक्रम के अंत में एकता, समर्पण एवं संस्कृत के प्रति उत्साह का उद्घोष करते हुए ‘एक्य मंत्र’ का सामूहिक उच्चारण किया गया।