Wednesday, June 25, 2025
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Sanskrit Speaking Online: वीर कुँवर सिंह स्मृति 31वाँ अन्तर्राष्ट्रीय अन्तर्जालीय संस्कृत सम्भाषण शिविर हुआ संपन्न

Sanskrit Speaking Online:  वीर कुँवर सिंह की स्मृति में सम्पन्न हुआ 31 वाँ अन्तर्राष्ट्रीय अन्तर्जालीय संस्कृत सम्भाषण शिविर, संस्कृत प्रेमियों में भरा नवजीवन..

Sanskrit Speaking Online:  वीर कुँवर सिंह की स्मृति में सम्पन्न हुआ 31 वाँ अन्तर्राष्ट्रीय अन्तर्जालीय संस्कृत सम्भाषण शिविर, संस्कृत प्रेमियों में भरा नवजीवन..

पटना (13 अप्रैल 2025)। सर्वत्र संस्कृतम् एवं विहार संस्कृत संजीवन समाज, पटना की संयुक्त तत्वावधान में “आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान” के अन्तर्गत वीर कुँवर सिंह स्मृति अन्तर्राष्ट्रीय दशदिवसात्मक अन्तर्जालीय संस्कृत सम्भाषण शिविर का उद्घाटन भव्य रूप से सम्पन्न हुआ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. मुकेश कुमार ओझा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान एवं महासचिव, विहार संस्कृत संजीवन समाज; पटना ने की। उन्होंने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में वीर कुँवर सिंह को भारतीय स्वातंत्र्य संग्राम का प्रातःस्मरणीय नायक बताते हुए कहा कि “वीर कुँवर सिंह न केवल साहस के प्रतीक थे, अपितु भारतीय संस्कृति एवं स्वाभिमान के जीवंत उदाहरण भी थे।

शिविर का उद्घाटन डॉ. अनिल कुमार सिंह, पूर्व सचिव, गृह विभाग उत्तरप्रदेश एवं प्रधान संरक्षक द्वारा किया गया। उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में वीर कुँवर सिंह के राष्ट्रप्रेम, नीति एवं नेतृत्व क्षमता की प्रशंसा करते हुए कहा, “वे उम्र के अंतिम पड़ाव में भी युवाओं को प्रेरणा देने वाले योद्धा थे।

मुख्य अतिथि मिथिलेश झा, वरिष्ठ संस्कृत प्रचारक, ने संस्कृत के सामाजिक सरोकारों पर प्रकाश डालते हुए वीर कुँवर सिंह के योगदान को भारतीय आत्मा का गौरव बताया। *विशिष्ट अतिथि* डॉ. अनिल कुमार चौबे, सुप्रसिद्ध संस्कृत गीतकार, ने अपने सुमधुर गीतों के माध्यम से वीर कुँवर सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की।

मुख्य वक्ता डॉ. रागिनी वर्मा, राष्ट्रीय संयोजिका एवं आचार्या, संस्कृत विभाग, गङ्गा देवी महिला कॉलेज, पटना ने दिया। उन्होंने इस अभियान की यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा, “यह शिविर वीर कुँवर सिंह के संघर्षों को नव पीढ़ी के समक्ष संस्कृत माध्यम से प्रस्तुत करने का अनूठा प्रयास है।”

धन्यवाद ज्ञापन पिंटू कुमार, राष्ट्रीय संयोजक, अभियान एवं शोधार्थी, संस्कृत विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर डॉ महेश केवट, सुजाता घोष, वंदना पटेरिया, मुरलीधर शुक्ल, रम्भा कुमारी, आयुष उपस्थित रहे।

कार्यक्रम के अंत में एकता, समर्पण एवं संस्कृत के प्रति उत्साह का उद्घोष करते हुए ‘एक्य मंत्र’ का सामूहिक उच्चारण किया गया।

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