Wednesday, June 25, 2025
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Sanskrit Speaking: राष्ट्रीय संस्कृति के विकास का सेतु बनेगा संस्कृत सम्भाषण !

Sanskrit Speaking: देवभाषा संस्कृत के पठन-पाठन का निरंतर प्रयास और वैश्विक स्तर पर संस्कृत को प्रतिष्ठित करने का दृढ-संकल्प भारत की इस सनातनी दिव्य भाषा के अविराम प्रचार-प्रसार को सम्भव कर रहा है.. 

Sanskrit Speaking: देवभाषा संस्कृत के पठन-पाठन का निरंतर प्रयास और वैश्विक स्तर पर संस्कृत को प्रतिष्ठित करने का दृढ-संकल्प भारत की इस सनातनी दिव्य भाषा के अविराम प्रचार-प्रसार को सम्भव कर रहा है.. 

वाराणसी २७ मई। सार्वभौम संस्कृत प्रचार संस्थान वाराणसी के संस्थापक संस्कृत के मूर्धन्य विद्वान् आचार्य वासुदेव द्विवेदी शास्त्री जी की पुण्य स्मृति में भारत अध्ययन केन्द्र, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सभागार में विद्वत्सम्मान एवं कविसम्मेलन का आयोजन किया गया।

समारोह की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के पूर्व अध्यक्ष आचार्य नागेन्द्र पाण्डेय जी ने की। समारोह में विषय प्रवर्तन आचार्य कृष्ण कान्त शर्मा ने किया। मुख्यातिथि के रूप में डा सिंहासन पाण्डेय तथा विशिष्टातिथि के रूप में विहार संस्कृत संजीवन समाज पटना के महासचिव डॉ मुकेश कुमार ओझा उपस्थित रहे।

उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, सार्वभौम संस्कृत प्रचार संस्थान तथा भारत अध्ययन केन्द्र के संयुक्त संयोजन में कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।विद्वत्सम्मान के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश के डॉ सिंहासन पाण्डेय तथा विहार संस्कृत संजीवन समाज पटना के महासचिव डॉ मुकेश कुमार ओझा को आचार्य वासुदेव द्विवेदी शास्त्री जी की स्मृति में संस्कृत सेवा सम्मान प्रदान किया गया।मंच का संचालन प्रो ०धर्मदत्त चतुर्वेदी ने तथा स्वागत प्रो ० शरविन्दु कुमार त्रिपाठी ने किया।

सभी वक्ताओं ने संस्कृत भाषा को सरलरुप से जनमानस तक पहुंचाने के लिए आचार्य वासुदेव द्विवेदी शास्त्री द्वारा किए गए प्रयासों का विस्तार से उल्लेख किया। अध्यक्षीय भाषण में प्रो० नागेन्द्र पाण्डेय ने कहा कि आचार्य वासुदेव द्विवेदी शास्त्री एक अद्वितीय संस्कृत सेवक थे। किसी भी शासकीय पद को न स्वीकारते हुए उन्होंने अपने सत्प्रयासों से आजीवन संस्कृत भाषा का प्रचार किया।वे देश की सभी क्षेत्रीय भाषाओं की लिपि के ज्ञाता थे।

मुख्यातिथि डॉ सिंहासन पाण्डेय ने कहा कि उनके द्वारा रचित अद्यापि संस्कृत महाकाव्य में सम्पूर्ण भारत का स्वरूप वर्णित है, जो उन्होंने भारतवर्ष की यात्रा के समय स्वयं देखा था।

विशिष्टातिथि डॉ मुकेश कुमार ओझा ने कहा कि आचार्य वासुदेव द्विवेदी हास्य विनोद की विधि से संस्कृत कथाओं को प्रस्तुत कर बालकों में संस्कृत भाषा को दृढ़ता के साथ प्रस्तुत किया। संस्कृत भाषा को सरलरुप में बोलने की आवश्यकता है।

संस्कृत कवि सम्मेलन में प्रो सिंहासन पाण्डेय,प्रो ०शरदिव्यन्दु कुमार त्रिपाठी,प्रो गोपबंधु मिश्र,प्रो कृष्ण कान्त शर्मा, शैलेश कुमार तिवारी, अरविंद कुमार तिवारी प्रो संतोष चतुर्वेदी सहित अनेक संस्कृत कवियों ने संस्कृत कविता की मधुर गंगा बहाई। कवि सम्मेलन का संचालन प्रो शैलेश तिवारी ने किया।

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