Wednesday, January 22, 2025
spot_imgspot_img

Top 5 This Week

spot_img

Related Posts

स्नोरिंग (Story by Anju Dokania)

आज फिर निवी को ज़ोरदार खर्राटे आ रहे थे. क़रीब छः महीने से ऐसा हो रहा था. निवी एक लेखिका है. उम्र के पचास वसंत पार कर चुकी थी मगर ख़ुद को बहुत फिट रखा था. अपनी उम्र से बीस वर्ष कम दिखती थी निवी.

पारस निवी पर जान छिड़कता था. आज से तीस वर्ष पूर्व उसे ब्याह कर घर लाया था. बस एक झलक देखी थी अपनी फूफी की बेटी शादी में . फिर क्या था पारस दिन-रात उसे पाने के स्वप्न देखने लगा था. किसी मित्र ने उसका हाल ए दिल उसकी फूफी से बयाँ कर दिया . फिर क्या था बात निवी के घर तक पहुँची. पारस सबको बहुत पसंद आये. लंबाई ,5 ft 8” ,चौड़ा सीना, सिक्स ऐप्स , गोरा रंग,मधुर मुस्कान, गहरी आँखें और उसका हँसमुख स्वभाव. निवी ने कनखियों से देखा और फ़िदा हो गई पारस पर. पारस पेशे से वकील थे हाई-कोर्ट में . बहुत नामचीन वकील मगर अपने केस की पैरवी उनसे ना हो पायी. बचपन के दोस्त ने जब सारा मामला बताया तो बात बनी.

और फिर एक दिन पारस निवी को ब्याह कर घर ले आया.

दिन बीतते गये और उनदोनों का प्यार भी परवान चढ़ता रहा. निवी का सौंदर्य ऐसा कि दीया ले कर ढूँढने से भी ऐसी रूपसी ना मिले. ऐसे ही नहीं पारस की नज़रों ने उसे चुना था. सुंदरता के साथ निवी बहुत ही कार्य-कुशल थी. कब उसने पारस के घर को अपना घर बना लिया पता ही नहीं चला. सास-ससुर, ननद-देवर और घर के नौकर-चाकर, माली , ड्राइवर तक निवी के व्यवहार और व्यक्तित्व के क़ायल हो गए. पारस को कभी ढूँढने से भी निवी में ख़ामी नहीं मिली. कह सकते हैं कि निवी गुणों की ख़ान थी और पारस प्रतिदिन उसकी किसी ना किसी बात से प्रभावित हो जाता था.

आज विवाह के तीस वर्षों बाद भी निवी वैसी ही नयी-नवेली दिखती थी जैसी विवाह के समय थी.

उम्र की धूप ने उसके केशों को रजत-वर्णीय ताज नहीं पहनाया था. उसके सौंदर्य का आकर्षण आज भी वैसा ही था इसीलिए तो पारस की नज़र निवी पर ठहर गई थी. वो मन ही मन गर्वित महसूस करता था जब लोग-बाग, परिवार-मित्र निवी की प्रशंसा के पुल बांधा करते थे. झूठ भी नहीं था निवी इस प्रशंसा के योग्य भी थी.

एक संवेदनशील लेखिका होने के साथ अच्छी कवयित्री भी थी और स्वर कोकिला भी जहां भी जाती लोग उसकी कविता और गायन के मुरीद हो जाते. ये हर बार पारस का ही अनुरोध होता था जिसे वो किसी भी क़ीमत पर नहीं टाल पाती थी. अब ऐसी जीवन-संगिनी मिले जिसे उसे स्वयम के भाग्य पर अभिमान तो होगा ही.

सुहानी और पीयूष दो बच्चे थे उनके. सुहानी आँखों की डॉक्टर थी और USA में सेटल थी अपने पति महक के साथ वहीं पीयूष प्रोफेशनल फोटोग्राफर था . बॉलीवुड, खेल-जगत और कला-क्षेत्र से जुड़े सेलिब्रिटीज़ के बीच एक चिर-परिचित और लोकप्रिय नाम.इस प्रकार दोनों बच्चे अपने-अपने जीवन में और अपने क्षेत्र में स्थापित थे और नाम कमा रहे थे.

इधर पारस के माता-पिता भी ऋषिकेश चले गये . वहाँ इनकी अपनी कोठी है. ईश्वर से जुड़ने का ये अवसर वे नहीं गँवाना चाहते थे. वहाँ का गंगा-घाट, गंगा-आरती सब कुछ आपको उस परमसत्तता के और निकट के आता है.बीच-बीच। में कभी पारस-निवी तो कभी माता-पिता आते-जाते रहते थे .पारस का छोटा भाई प्रसून दिल्ली शिफ्ट हो गया अपने परिवार के साथ . CA फर्म में अच्छी पहले नौकरी और बाद में पार्टनरशिप मिल गई. पारस की बहन का विवाह हीरे के व्यापारी हिमेश मेहता से हो गया और वह सूरत चली गई. इस प्रकार इतने बड़े घर में सिर्फ़ पारस और निवी रह गये थे.

पिछले छः महीनों से निवी की तबियत कुछ ठीक नहीं चल रही थी . उसे ज़ोरदार खर्राटे आने लगे थे. वैसें निवी एक वर्ष से थोड़ी डिस्टर्ब थी . उसका मेनोपॉज शुरू हो चुका था और यूटरस में फाइब्रॉयड्स होने के कारण भारी मात्रा में रक्त-स्राव होता था. पारस ने उसे अच्छे से अच्छे डॉक्टर्स को दिखाया मगर निवी की शारीरिक समस्याएँ जैसी की तैसी रहीं. कुछ दिनों तक तो पारस ध्यान देता रहा मगर फिर वो धीरे-२ त्रस्त रहने लगा. उसने अपनी निवी को ऐसा कभी नहीं देखा था.हमेशा सुंदर और चुस्त-दुरुस्त दिखने वाली निवी थोड़ी अस्त-व्यस्त दिखने लगीं थी. उसे लगता था कि अब निवी उसके ऑफिस से लौटने पर सजी-धजी उसकी प्रतीक्षा क्यों नहीं करती ,,,, क्यों उसके साथ बैठ कर शाम की चाय के वक़्त क्रिकेट से ले कर राजनीतिक और उसके कोर्ट केसों पर चर्चा नहीं करती. कहाँ खो गई वो निवी?

और यही सोचते-२ इसी उधेड़-बुन में वो कुछ समझ नहीं पाता और उसका व्यवहार चिड़चीड़ा हो गया. अब वो निवी से कटा-कटा रहने लगा बग़ैर यें समझने के कि निवी अभी किन स्वास्थ्य और मानसिक समस्याओं से जूझ रही है.ऐसे में पारस का साथ सबसे महत्वपूर्ण होता मगर पारस ये नहीं समझ पाया. उसे तो बाद में ये लगने लगा कि उसकी निवी बदल गई हैं जिस निवी से प्रेम किया वो ये है ही नहीं और धीरे-धीरें उसका व्यवहार निवी के प्रति रूखा होता चला गया. निवी भी पारस में अकस्मात् आये इस बदलाव से हतप्रभ थीं और सोचती रहती थी कि आख़िर उससे अपनी गृहस्थी को सँभालने में कहाँ चूक हो गई.

स्वास्थ्य समस्याओं के कारण मानसिक तौर पर निवी थोड़ी मूडी तो हो गई थी मगर इन दिनों उसे स्नोरिंग होने लगी थी . पहले यें खर्राटे हल्के थे बाद में कुछ तेज़ हो गये.

पारस पहले से ही अपसेट था अब उसकी ये चिड़चिड़ाहट क्रोध में परिवर्तित हो गई और एक दिन आधी रात को वो उठ कर निवी पर चिल्लाने लगा. निवी उसके इस रौद्र रूप को देख कर सहम गयी.खर्राटे वो जान-बूझ कर नहीं ले रही थी. इसमें उसका कोई दोष नहीं था .ये एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जो उम्र के साथ होती है . किसी में कम किसी में ज़्यादा.निवी कुछ कहती इससे पहले पारस बिस्तर से उठ कर दनदनाता हुआ गेस्ट रूम में जा कर सो गया.

निवी के आंसू नहीं थम रहे थे पूरी रात उसने आँखों में काट दी सिर्फ़ इस ख़याल के साथ कि आख़िर इसमें उसका क्या दोष है. अब दोनों अलग-अलग कमरों में सोने लगे थे.

हालाँकि पारस को ये सब अच्छा नहीं लग रहा था मगर वो निवी की समस्या को समझ भी नहीं पा रहा था . इधर निवी उदास रहने लगी थीं. उसने बाहर आना-जाना छोड़ दिया. अब वो पारस के साथ भी कहीं नहीं जाती थी.

पारस उसका ये हाल देख कर चिंतित तो था मगर उसने इस समस्या को सुलझाने के लिए कुछ नहीं किया.

एक दिन सुबह-सुबह सुहानी (निवी और पारस की बेटी) का कॉल आया पारस के मोबाइल पर . पारस को कुछ वक़्त लगा फ़ोन निवी के कमरे तक ले कर जाने मैं क्योंकि सुहानी ने निवी से बात कराने को कहा पारस से.सुहानी ने पारस से कहा कि कि “माँ का फ़ोन नहीं उठ रहा.” जब पारस ने निवी को जगा कर फ़ोन दिया कि सुहानी है लाइन पर तो निवी ने फ़ोन ले कर बात की. सुहानी ने निवी की आवाज़ में उसकी उदासी को भाँप लिया था क्योंकि निवी हमेशा चहकती रहती थी. इसलिए माँ के भीतर आते इस बदलाव की वजह वो जानना चाहती थी. सुहानी ने बात करके फ़ोन रख दिया . दोपहर में उसने फिर से निवी को कॉल किया और पूछने लगी. पहले तो निवी टालती रही क्योंकि वह अपने बच्चों को परेशान नहीं करना चाहती थी मगर उसकी ज़िद के आगे निवी को झुकना ही पड़ा और इतने दिनों से जो सैलाब उसने भीतर रोक रखा था वो बह निकला उसने सुहानी को सारी बातों से अवगत कराया. सुन कर सुहानी थोड़ी गंभीर हो गई थीं और उसे अपने पिता की नासमझी पर क्रोध आ रहा था. उसने अपनी माँ से कहा कि “ माँ आप चिंता मत कीजिए मैं सब ठीक कर दूँगी”ये कह कर उसने फ़ोन रख दिया . निवी ने सारा दिन इसी उधेड़-बुन में निकाल दिया कि ये लड़की सुहानी आख़िर करने क्या वाली है . कहीं उसने पारस को सब कुछ कह दिया तो ? हे प्रभु!! तब मैं क्या करूँगी पारस तो मुझ पर और अधिक नाराज़ हो जाएँगे. उसने सुहानी को ह्वाट्सऐप पर मेसेज किया कि “बेटा तुम अपने पापा से इस बारे में बात मत करना plz. वो बहुत ग़ुस्सा हो जाएँगे ये जानकर कि मैंने तुमको सब बता दिया”.

सुहानी एक पेशेंट देख रही थी . माँ का मेसेज देखा तो उससे निपटने के बाद उसने निवी को ऑडियो मेसेज किया कि” माँ तुमने मेरी परवरिश इतने अच्छे ढंग से की है , इतने अच्छे संस्कार दिए हैं तो कम से कम स्वयम की परवरिश पर विश्वास रखिए . आपकी बेटी ऐसा कुछ नहीं करेगी कि आपको दो बातें सुननी पड़े. आप निश्चिंत रहिए मैं आपका खोया हुआ अधिकार और मान-सम्मान दोनों दिला कर रहूँगी आपको . पापा ने ये ग़लत किया है आपके साथ. जिस समय आपको उनकी सबसे अधिक आवश्यकता है वो आपसे दूर-दूर रहने लगे हैं. क्या वो भूल गए कि जब अक्सर देर रात को वह काम से वापस लौटते थे तो वो आप ही थीं ना जो उनकी प्रतीक्षा किया करती थी और उनको भोजन करा कर ही सोने जाती थी. तपते बुख़ार में किसने जाग-जाग कर उनको ठंडे पानी की पट्टियां चढ़ाई और जब उनको लंग्स ब्रोंकाइटिस हुआ तो उनके ग़ुस्से को सहना उनको डॉक्टर के यहाँ ले जाना , टेस्टिंग करवाना , उनका हर तरीक़े से ख़याल रखना , ख़ुद कोर्ट से उनके काम के डॉक्युमेंट्स मंगवा कर साइन करवा कर वापस भेजना , दादा-दादी और हमदोनों भाई-बहन सबको आपने अकेले सम्भाला था ना . आपके माथे पर एक शिकन और होठों पर कोई शिकायत नहीं देखी और पापा तो कई वर्षों से स्नोरिंग करते आ रहे हैं तो आपने तो कभी इसे समस्या नहीं समझा.आप आराम से रहिए मैं सब कुछ ठीक कर दूँगी बस आप पापा को मत बताना कि आपके और मेरे बीच क्या बातें हुई थीं.” यह मेसेज सुनने के बाद निवी ने बस इतना लिखा “ ठीक है बेटा”.

अगले ही दिन सुहानी ने पारस को उसके दफ़्तर में फ़ोन किया. पारस ने फ़ोन उठाया , उठाते ही उधर से सुहानी की सिसकने की आवाज़ आयी . पारस का हृदय ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा कि आज सुहानी रो क्यों रही है. ऐसा इन पाँच सालों में कभी नहीं हुआ था जब से वो ब्याह कर USAगई थी. पारस का गला सूखने लगा . उसने बड़ी मुश्किल से थूक को गले में गिटकते हुए कहा सु,,सु,,सु,,सुहानी बेटा क्या हुआ तुम रो क्यों रही हो? plz कुछ तो बताओ मुझे. तुम्हारे इस रुदन से मेरा हृदय बैठा जा रहा है किसी अनहोनी की आशंका हो रही गई मुझे. मेरा कलेजा मुँह को आ रहा है ,,, बताओ क्या हुआ है . कहीं महक ने तो कुछ नहीं कहा? क्या तुम-दोनों के बीच कोई कहा-सुनी हो गई है ? बताओ मुझे बेटा. सुहानी ने उधर से रोते-रोते कहा “ पापा महक और मेरे बीच कुछ differences हो गये हैं एक छोटी-सी बात को ले कर और उसने तिल का ताड बना दिया इस बात का.”

इतना कह कर सुहानी फिर से सुबकने लगी. पारस परेशान था समझ नहीं पा रहा था कुछ. उसने कहा” बेटा आख़िर ऐसा क्या गो गया जो वो तुम पर इतना नाराज़ है,, बताओ मुझे. मैं तुम्हारा पिता हूँ . तुमको यूँ रोते हुए नहीं देख सकता. मैं महक को समझाऊँगा तुम मुझे बताओ कि किस बात पर वो तुमसे नाराज़ है”.

सुहानी ने अपनी रूलायी को नियंत्रित करते हुए कहा “ पापा मुझे कुछ दिनों से स्नोरिंग की समस्या हो गई है और इसी बात को ले कर महक मुझसे चिढ़ने लगा है. हम कुछ दिनों से रूम भी शेयर नहीं कर रहे. उसके इस बर्ताव से मुझे बहुत चोट पहुँची है. पापा इनदिनों कुछ कॉम्प्लिकेटेड cases की वजह से मेरी नींद पूरी नहीं हो पा रही . थकान के कारण खर्राटे आ रहे हैं. मगर ये तो एक temporary phase है ना . अपने आप कुछ दिनों में ठीक हो जाएगा. ये मैंने महक को समझाया भी मगर वो मेरी कोई बात ना सुनने को तैयार नहीं है और ना समझने को.उसका व्यवहार भी मेरे साथ थोड़ा रूखा हो गया है. मैं ऐसे वातावरण में नहीं रह सकती पापा. मैं वापस आ रही हूँ आपके पास.”

बेटी की एक-एक बात पारस के कानों में गूंज रही थी.उसने सुहानी से कहा कि “ हाँ तो क्या हुआ ये तो एक शरीर की स्वाभाविक और प्राकृतिक प्रक्रिया है. इसके लिए कोई ऐसा व्यवहार थोड़े ही करता है में महक से बात करता हूँ तुम चिंता मत करो बेटा. वो मेरी बात ज़रूर समझेगा.

मैं समझाऊँगा उसे कि जीवन-संगिनी भी एक हाड़-मांस की इंसान ही है. वो दिन भर आपके परिवार के लिए ,आपके लिए सब कुछ करती है बिना ख़ुद पर ध्यान दिये तो क्या एक पति का ये कर्तव्य नहीं कि जब उसे कोई समस्या हो तो बजाय उसे अकेला छोड़ने के उसकी समस्या को समझे उसका साथ दे और आवश्यकता हो तो डॉक्टर से भी consult करे.” कहते-कहते उसे वो सब स्मरण हो आया जो वो इन दिनों निवी के साथ कर रहा था. संतान की तकलीफ़ पर उसे इतना कष्ट हो रहा था तो निवी को कितना हो रहा होगा. तभी बेटी के आवाज़ से वो अपने ख़यालों से बाहर आया. सुहानी कह रही थी “ पापा आप ठीक कह रहे हैं कि एक जीवन साथी को मुश्किल घड़ी में साथ निभाना चाहिए उसे अकेले नहीं छोड़ देना चाहिए.

पारस को जैसे ज़ोर का झटका लगा बेटी की बात सुन कर.

“हाँ,, हां,, हाँ सुहानी तुम ठीक कह रही हो . तुम चिंता मत करो मैं महक को समझाऊँगा” और मन ही मन ख़ुद से कह रहा था पारस कि “ आज सुहानी ने मुझे भी मेरी भूल का एहसास करा दिया है.मैं अभी निवी से जा कर अपने द्वारा किये गये इस दुर्व्यवहार की क्षमा माँगूँगा उससे.“

“अच्छा बेटा मैं शाम को महक को फ़ोन करता हूँ तू कोई भी ग़लत कदम मत उठाना plz”. सुहानी ने कहा “ ठीक है पापा. मुझे विश्वास है कि मेरे पापा जो करेंगे सही करेंगे”.

पारस किसी चाबी के खिलौने की भाँति जा कर गाड़ी में बैठ गया . कार ड्राइविंग करने लगा .वह बस शीघ्र अति शीघ्र अपनी निवी के पास पहुँच जाना चाहता था.उसके मासूम प्यारे चेहरे को अपनी हथेलियों में ले कर उससे अपने हृदय की हर बात कहना चाहता था. अपनी भूल की क्षमा माँगना चाहता था और ये विश्वास दिलाना चाहता था कि अब वह अपनी प्यारी निवी का पूरा ख़याल रखेगा . उसे कभी अकेला नहीं छोड़ेगा.ज़ेबरा क्रासिंग पर दूसरी गाड़ी के हॉर्न से उसकी तंद्रा टूटी तो उसे होश आया कि वो घर के निकट पहुँच चुका है.”

गाड़ी को पार्क कर जल्दी-जल्दी तेज़ कदमों से सीढ़ियाँ चढ़ते हुआ वो कमरे में पहुँचा. अक्सर आजकल दोपहर के समय निवी शरतचंद्र के novel पढ़ती होती थी.लेकिन ये क्या ,,, निवी वहाँ नहीं थी. पारस के सब्र का बांध टूट गया वो ज़ोर-ज़ोर से आवाज़ें लगाने लगा ,,, निवी,,, निवी,,, निवु,,, कहाँ हो?तभी घर के बुजुर्ग महाराज ने आ कर कहा कि “ भैयाजी भाभीजी हनुमान मंदिर गई हैं . आपके लिए सवामणि का प्रसाद कराया है आज. इसीलिए गई हैं . आती ही होंगी. आप बैठिए मैं आपके लिये चाय बना कर लाता हूँ”.

“नहीं !! चाय नहीं पियूँगा अभी” ये कह कर पारस दौड़ते हुए सीढ़ियों से नीचे उतर और लपक कर कार में जा बैठा . पालक झपकते ही वो हनुमान मंदिर पहुँच गया जो उसके घर के पास ही था. जुते उतार कर ज्यों ही मंदिर में प्रवेश किया तो देखा लाल साड़ी में लिपटी निवी आँखें मूँदे ईश्वर से प्रार्थना कर रही थी. पारस भी उसके निकट जा कर हाथ जोड़ कर आँखे मूँद कर खड़ा हो गया. पुजारी जी ने जब निवी को संबोधित किया तो निवी ने आँखें खोली. सामने पारस को देख कर अचकचा गई थी वो क्योंकि एक अरसा हो गया था पारस को मंदिर आये.निवी ने कहा- “आ..आ..आप यहाँ?”

पारस ने कहा “ हाँ निवी मैं .मुझे यहाँ तुम्हारे साथ होना चाहिए ना और मैं तुम्हें अकेला छोड़ कर बेपरवाह हो गया था. मुझे क्षमा कर दो मेरी निवी. मैंने तुम्हारे साथ घोर अन्याय किया और तुम मेरे लिये सवामणी करा रही हो. में इसके लायक़ नहीं.”

इतना कहते हुए पारस की आँखें भर आयी और वो निवी के पैरों में झुकने लगा तो निवी ने रोक दिया कहा “ क्या कर रहे हो आप . मुझ पर पाप चढ़ाओगे शोना?. आपको अपनी भूल का भान है यही बहुत है मेरे लिये. आपका स्थान मेरे हृदय में है .” ये सुनकर पारस ने निवी को सीने से लगा लिया.

तभी पंडित जी आ गये और दोनों ने साथ मिल कर प्रसाद लगाया . आशीर्वाद ले कर दोनों घर पहुँचे तो बातों ही बातों में पारस ने सुहानी के विषय में निवी को सब कुछ बताया. सुन कर निवी भी परेशान हो गई . पारस ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा “ चिंता मत करो हम सभी सुहानी और महक से फ़ोन पर बात करते हैं. ज़रा फ़ोन लगाओ सुहानी को निवी”.

निवी ने सुहानी को कॉल लगाया . फ़ोन हैंड फ्री कर दिया ताकि वो और पारसदोनों बात कर सकें. पारस ने कहा “ हाँ सुहानी महक को फ़ोन देना . मैं उससे बात करके उसे समझाऊँगा. वह मेरी बात ज़रूर समझेगा लेकिन उधर से कोई उत्तर नहीं आये . सुहानी मौन थी.पारस ने कहा “बेटा तू चुप क्यों है कुछ बोल क्यों नहीं रहा?”

सुहानी ने तब अपना मौन तोड़ “ पापा माँ ठीक है ना?”

पारस ने कहा “ हाँ वो ठीक है मगर कल मैं तुम्हारी माँ को यहाँ के सबसे अच्छै ENT स्पेशलिस्ट को दिखाऊँगा. उनको जो स्नोरिंग की समस्या इन दिनों हो गई है उससे उनको काफ़ी परेशानी हो रही है.जिसका इलाज है peering मशीन.ज़िसे लगा कर सोने से स्नोरिंग बंद हो जाती है. मैं महक को भी यही समझान चाहता हूँ.ताकि वो तुम्हारे साथ बुरा बर्ताव ना करे”.

सुहानी सब कुछ सुनती रहती है और कहती है “ पापा आप माँ की समस्या को समझ गये में बहुत खुश हूँ. माँ का ख़याल आप नहीं तो कौन रखेगा और इस उम्र में जीवन साथी के साथ की सबसे अधिक आवश्यकता होती है”I am really proud of you Papa.मेरी चिंता मत कीजिए.महक बहुत अच्छे हैं और मेरा पूरा ध्यान रखते हैं. मैं बिल्कुल ठीक हूँ. यहाँ सब ठीक है.आप बस माँ का ख़याल रखिए. Love You माँ ,,, love you पापा”.

ये कह कर सुहानी ने फ़ोन काट दिया. पारस और निवी दोनों एक-दूसरे को देख रहे थे . पारस ने निवी को गले से लगा लिया ये सोचते हुए की बचपन में हम बच्चों को सही-ग़लत के बीच का अंतर समझाते हैं. अच्छे संस्कार देते हैं.आज उनकी इसी परवरिश का ये परिणाम है कि उनकी बिटिया ने उनको सही रास्ता दिखाया. यही सोचते हुए पारस ने मन ही मन ईश्वर का धन्यवाद किया और निवी से कहा “ चलो निवी long drive पर चलते हैं और हाँ सुनो !! वही गुलाबी सूट पहनना जो मुझे बहुत पसंद है..बहुत फबता है तुम पर”.

पारस उसे प्यार भरी नज़रों से देख रहा था और निवी के गुलाबी गाल और भी गुलाबी हो आये थे कानों तक जिनकी रक्तिमा फैल गई थीं.,,,, रात को लौटते हुए देर हो गई और ठंडी हवा के झोंकों ने निवी की पलकों को भारी कर दिया था.. बस क्या था निवी को नींद आ गई और हलके खर्राटे आने लगे . गाड़ी में गीत बज राहा था “तुझमें रब दिखता है यारा मैं क्या करूँ” . पारस कार ड्राइव करते-करते मुस्कुरा कर निवी की ओर देख रहा था..

-अंजू डोकानिया, काठमांडू (नेपाल)

Parijat Tripathi
Parijat Tripathi
Parijat Tripathi , from Delhi, continuing journey of journalism holding an experience of around three decades in TV, Print, Radio and Digital Journalism in India, UK & US, founded Radio Hindustan & News Hindu Global.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Popular Articles