Speak Sanskrit: प्रारंभ हुआ है संस्कृत संभाषण के शिक्षण का निरंतर 38वाँ ऑनलाइन दस दिवसीय सत्र डॉक्टर मुकेश कुमार ओझा के नेतृत्व में..
डॉ मिथिलेश कुमारी मिश्र विहार संस्कृत संजीवन समाज के महासचिव के रूप में संस्कृत भाषा और साहित्य के विकास तथा भारतीय संस्कृति के संरक्षण हेतु उनके द्वारा किए गए कार्यों की भूरि -भूरि प्रशंसा होती रही है।
बहुभाषी विदुषी महिला थी। संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी के साथ -साथ पालि, प्राकृत, बंगला, तमिल, तेलगु में काव्यों की रचनाएं कीं-ये सभी बातें आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं विहार संस्कृत संजीवन समाज के महासचिव डॉ मुकेश कुमार ओझा ने डॉ मिथिलेश कुमारी मिश्र स्मृति संस्कृत शिक्षण एवं सम्भाषण अन्तर्जालीय दशदिवसात्मक शिविर की अध्यक्षता करते हुए कही।
अपने उद्घाटन भाषण में अभियान के संरक्षक एवं पूर्व संयुक्त निदेशक पेंशन, उत्तर प्रदेश ने कहा कि उनका सम्पूर्ण जीवन साहित्य को समर्पित था। संस्कृत भाषा का प्रचार -प्रसार आजीवन करती रहीं ।
मुख्यातिथि उग्र नारायण झा, मुख्य वक्ता डॉ नीरा कुमारी, विशिष्टातिथि डॉ मधु कुमारी, श्रद्धा कुमारी, अभियान की राष्ट्रीय उपाध्यक्षा डॉ लीना चौहान, सुजाता घोष, डॉ रागनी कुमारी आदि वक्ताओं ने डॉ मिथिलेश कुमारी मिश्र के साहित्य के क्षेत्र में विस्तृत जानकारी से अवगत कराया एवं संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पर बल दिया।
इस अवसर पर मुरलीधर शुक्ल, रामनाथ पाण्डेय, श्री पारसनाथ, राहुल कुमार, सुधांशु रंजन, मनीषा बोदरा,आयुष नन्दन,पंकज कुमार,रीना,भव्या, हर्षित,प्रशान्त,बीजेन्द्र, गौरव,निपून, कौशलेंद्र आशीष,शशि सहित भारत के विभिन्न प्रांतों से पचास संस्कृतानुरागी उपस्थित थे।
वैदिक मंगलाचरण श्री उग्र नारायण झा, स्वागत भाषण एवं मंच संचालन डॉ लीना चौहान, धन्यवाद ज्ञापन सुजाता घोष एवम् ऐक्य मन्त्र डॉ नीरा कुमारी ने प्रस्तुत किया।



