Wednesday, June 25, 2025
Google search engine
Homeअजब ग़ज़बUniverse: वस्तुतः शेषनाग जी हैं ब्रह्माण्ड !

Universe: वस्तुतः शेषनाग जी हैं ब्रह्माण्ड !

Universe: हमारे धार्मिक ग्रंथ परम विज्ञान की सर्वोत्तम पुस्तकें हैं जहां से सम्पूर्ण विश्व को विभिन्न प्रेरणाएं मिलती हैं जो भविष्य में अवष्कारों और अन्वेषणों का आधार बनती हैं..

Universe: हमारे धार्मिक ग्रंथ परम विज्ञान की सर्वोत्तम पुस्तकें हैं जहां से सम्पूर्ण विश्व को विभिन्न प्रेरणाएं मिलती हैं जो भविष्य में अवष्कारों और अन्वेषणों का आधार बनती हैं..

आपको जानकारी होगी ही, की आधुनिक खगोलविदों ने खोज की है कि ब्रह्माण्ड केवल तारों और आकाशगंगाओं से बना नहीं है, बल्कि इन आकाशगंगाओं के बीच विशालकाय फिलामेंट्स (Cosmic Filaments) फैले हैं। ये डार्क मैटर और गैस से बने लंबे, सर्पिल आकार के होते हैं और ब्रह्माण्ड की सबसे बड़ी संरचनाएँ हैं।
इन फिलामेंट्स को देखकर अनेक वैज्ञानिक भी यह मानने लगे हैं कि ब्रह्माण्ड एक प्रकार के इंटरकनेक्टेड जाल (Cosmic Web) के रूप में कार्य कर रहा है, जो हर सजीव और निर्जीव तत्व को जोड़ता है। इनका आकार, लहराता हुआ, सर्पिल और बहु-स्तरीय होता है—जो कि पुराणों में वर्णित “नाग” के स्वरूप से मिलता-जुलता है।
संभवतः जब ऋषियों ने “शेषनाग” की कल्पना की थी, वे ब्रह्माण्ड के उस अदृश्य ढाँचे की ओर संकेत कर रहे थे जिस पर सारी भौतिकता टिकी है।
शेषनाग = ब्रह्माण्डीय ढाँचा
फन पर पृथ्वी का टिका होना = पृथ्वी की स्थिति किसी नियत गुरुत्वाकर्षणीय, ब्रह्माण्डीय संतुलन पर निर्भर है।
शेषनाग को अनंत कोटि फनों वाला बताया गया है — और आज विज्ञान यह मानता है कि ब्रह्माण्ड में ट्रिलियन्स ऑफ गैलेक्सी क्लस्टर्स हैं, जो इन “फनों” की ही भांति हैं — एक विशाल आधारभूत जाल के सिरों पर स्थित।
कितना महान इतिहास है हमारा, ब्रह्मण्ड की जो जानकारियां विभिन्न देश अपनी मोटी पूंजी लगाकर जुटा रहे है, वह ज्ञान भारतीयों के पास पुराणों के रूप में निःशुल्क उपलब्ध है ..।।
चित्र में आप ब्रह्मांडीय सर्प देख सकते है … संभवतः इन्हें ही पुराण शेषनाग कहते है …

(अज्ञात वीर)

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments