Sunday, May 4, 2025
Google search engine
HomeदुनियादारीUS Immigration: भारतीय माता-पिता अमेरिका की सीमाओं पर अपने बच्चों को क्यों...

US Immigration: भारतीय माता-पिता अमेरिका की सीमाओं पर अपने बच्चों को क्यों छोड़ रहे हैं?

US Immigration के इस समाचार में पढ़ें कि लोग अमेरिका के बॉर्डर पर अपने बच्चों को छोड़ रहे हैं - ये कौन सा डर है कौन सी मजबूरी है? ..

US Immigration के इस समाचार में पढ़ें कि भारतीय लोग अमेरिका के बॉर्डर पर अपने बच्चों को छोड़ रहे हैं – ये कौन सा डर है कौन सी मजबूरी है? ..

छोटे, भयभीत और अक्सर छह वर्ष से भी कम उम्र के भारतीय बच्चे बिना किसी अभिभावक, पहचान पत्र या सामान के मैक्सिको और कनाडा की सीमाओं पर पाए जा रहे हैं। उनके पास सिर्फ एक पर्ची होती है, जिस पर उनके माता-पिता का नाम और संपर्क नंबर लिखा होता है। बीते कुछ वर्षों में यह प्रवृत्ति तेजी से बढ़ी है, जो अमेरिका में अवैध प्रवेश की कोशिश कर रहे भारतीय नाबालिगों की संख्या में इज़ाफा दर्शाती है।

अकेले पकड़े गए बच्चे – आंकड़ों की जुबानी

अमेरिकी सीमा शुल्क एवं सुरक्षा विभाग (USCBP) के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर 2024 से फरवरी 2025 तक 77 भारतीय बच्चे अकेले अमेरिका की सीमाओं पर पकड़े गए। यह आंकड़ा दर्शाता है कि अब बच्चों का इस्तेमाल अवैध प्रवास के एक तरीके के रूप में हो रहा है — जहाँ वे खुद भी जोखिम में हैं और एक ज़रिया भी।

कनाडा और मैक्सिको के रास्ते सीमा पार

इन बच्चों को योजनाबद्ध तरीके से अमेरिका-मैक्सिको सीमा के पास छोड़ दिया गया, जबकि कुछ को उत्तरी सीमा से कनाडा के रास्ते पकड़ा गया, जहाँ मौसम की कठोरता इस सफर को और खतरनाक बना देती है।

कुल पकड़े गए 77 बच्चों में से 53 दक्षिणी सीमा पर और 22 उत्तरी (कनाडा) सीमा पार करते वक्त रोके गए। यह दिखाता है कि अब बच्चों को अवैध प्रवासन की रणनीति में एक मोहरे की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है।

2022 से 2025 तक 1,656 भारतीय नाबालिगों को पकड़ा गया

तीन वर्षों में कुल 1,656 भारतीय नाबालिग अकेले अमेरिका की सीमा पार करते हुए पकड़े गए। इनमें से सबसे ज़्यादा 730 बच्चे 2023 में पकड़े गए, जो अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। 2024 में 517 और 2022 में 409 बच्चे रोके गए। कोविड काल में यह संख्या अपेक्षाकृत कम रही: 2020 में 219 और 2021 में 237।

बच्चों को पहले भेजना: प्रवासी परिवारों की रणनीति

इस अवैध प्रक्रिया में शामिल कुछ सूत्रों का कहना है कि कई बार माता-पिता पहले अमेरिका पहुँचते हैं और बाद में अपने बच्चों को अवैध माध्यम से भेजवाते हैं। बच्चों को जब अमेरिकी एजेंसियाँ पकड़ती हैं, तो मानवीय आधार पर उन्हें शरण मिल जाती है — जिससे आगे चलकर माता-पिता को भी फायदा मिलता है।

कुछ मामलों में बच्चों को जानबूझकर पहले भेजा जाता है, ताकि उनके आधार पर माता-पिता अमेरिका में शरण मांग सकें। अधिकतर बच्चे किसी वयस्क के साथ भेजे जाते हैं और सीमा के निकट छोड़ दिए जाते हैं, ताकि एजेंसियाँ उन्हें उठाकर शरण प्रक्रिया शुरू करें।

गुजरात से बढ़ते मामले

मेहसाणा ज़िले के कड़ी क्षेत्र के एक वकील ने बताया कि उन्होंने और उनकी पत्नी ने 2019 में अमेरिका का रुख किया और 2022 में अपने पांच वर्षीय बेटे को अवैध माध्यम से अमेरिका भेजा। बच्चा टेक्सास सीमा पर मिला। गुजरात के झुलासन, मोकासन, नरदिपुर, डिंगुचा, वाडू और कायल जैसे गाँवों से ऐसे मामले लगातार बढ़ रहे हैं।

भारतीय पुलिस के हाथ बंधे, अमेरिका पर निर्भरता

गांधीनगर रेंज के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि भारत में इस पर कोई क़ानूनी कार्रवाई नहीं हो सकती क्योंकि बच्चों का भारत में कोई अपराध सिद्ध नहीं होता। इसलिए कार्रवाई की ज़िम्मेदारी अमेरिकी एजेंसियों पर ही है।

ग्रीन कार्ड मिलने की संभावनाएँ

कई मामलों में अमेरिकी अदालतें इन बच्चों को ‘परित्यक्त’ नहीं मानतीं, लेकिन अदालत के आदेश के बाद इन्हें ग्रीन कार्ड दिया जाता है और फिर उन्हें उनके रिश्तेदार कानूनी रूप से गोद ले लेते हैं।

क्या यह चलन थमेगा?

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका की कड़ी नीतियों के चलते इस तरह की घटनाओं में कमी आ सकती है। फिर भी, सीमाओं तक बच्चों का पहुँचना जारी है — चाहे वे गुजरात के दूरस्थ गाँवों से हों या किसी अंतरराष्ट्रीय तस्करी चैनल के ज़रिए।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments