Tuesday, October 21, 2025
Google search engine
HomeदुनियादारीUS Kids छोड़ देते हैं घर 18 साल की उमर में, लेकिन...

US Kids छोड़ देते हैं घर 18 साल की उमर में, लेकिन हिन्दुस्तानी बच्चे नहीं – ऐसा क्यों?

US Kids 18 की उम्र में घर क्यों छोड़ते हैं, जबकि भारतीय बच्चे अक्सर घर पर ही रहते हैं? क्या यह आर्थिक ज़रूरत है, भावनात्मक जुड़ाव है, सांस्कृतिक परंपरा है — या इन सबका मेल?..

US Kids 18 की उम्र में घर क्यों छोड़ते हैं, जबकि भारतीय बच्चे अक्सर घर पर ही रहते हैं? क्या यह आर्थिक ज़रूरत है, भावनात्मक जुड़ाव है, सांस्कृतिक परंपरा है — या इन सबका मेल?..

18 साल का होना एक बड़ा मोड़ होता है। अमेरिका में कई किशोरों के लिए यह सिर्फ वयस्कता की शुरुआत नहीं होती, बल्कि वह समय भी होता है जब वे अपना सामान पैक करके घर से बाहर निकलते हैं — कॉलेज, नौकरी या अपनी आज़ादी की ओर। लेकिन भारत में 18 साल का होना आमतौर पर ऐसा बदलाव नहीं लाता। ज़्यादातर भारतीय बच्चे अपने माता-पिता के साथ 20 या 30 की उम्र तक रहते हैं, और अक्सर शादी तक घर नहीं छोड़ते।

यह सांस्कृतिक अंतर एक अहम सवाल उठाता है: अमेरिकी बच्चे 18 की उम्र में घर क्यों छोड़ते हैं, जबकि भारतीय बच्चे अक्सर घर पर ही रहते हैं? क्या यह आर्थिक ज़रूरत है, भावनात्मक जुड़ाव है, सांस्कृतिक परंपरा है — या इन सबका मेल?

1. सांस्कृतिक जड़ें: व्यक्तिवाद बनाम सामूहिकता

अमेरिका और भारत में 18 की उम्र का मतलब अलग-अलग होता है। इस अंतर की जड़ें गहरी सांस्कृतिक सोच में छिपी हैं।

अमेरिकी संस्कृति व्यक्तिवाद पर आधारित है। बचपन से ही बच्चों को स्वतंत्र बनने, खुद फैसले लेने और अपनी ज़िम्मेदारी उठाने के लिए प्रेरित किया जाता है। 18 की उम्र में घर छोड़ना परिपक्वता का संकेत माना जाता है और खुद की पहचान बनाने की दिशा में एक स्वाभाविक कदम होता है।

भारतीय संस्कृति सामूहिकता को महत्व देती है। परिवार केंद्र में होता है। छोटे-बड़े सभी फैसले मिलकर लिए जाते हैं। बच्चों से उम्मीद की जाती है कि वे परिवार को प्राथमिकता दें और माता-पिता वयस्कता तक उनके जीवन में सक्रिय रहते हैं। भारत में घर पर रहना स्वतंत्रता की कमी नहीं, बल्कि परिवार में योगदान देने और सामंजस्य बनाए रखने का तरीका माना जाता है।

2. आर्थिक सच्चाई: खर्च उठाना बनाम ज़िम्मेदारी निभाना

अमेरिका में घर छोड़ना आमतौर पर आर्थिक रूप से संभव होता है। छात्र लोन लेते हैं, पार्ट-टाइम नौकरी करते हैं या परिवार से कुछ मदद पाकर स्वतंत्र रूप से रहते हैं। वहां की अर्थव्यवस्था युवा वयस्कों को अकेले रहने के लिए तैयार करती है।

भारत में घर छोड़ना हमेशा संभव या ज़रूरी नहीं होता। महंगे मकान, कठिन नौकरी बाजार और सामाजिक मान्यताएं इसे अव्यावहारिक बना देती हैं। इसलिए जब तक कोई आर्थिक रूप से स्थिर या शादीशुदा न हो, तब तक परिवार के साथ रहना ही बेहतर और अपेक्षित माना जाता है।

भारत में घर के खर्च में योगदान देना अक्सर किराया देने से ज़्यादा सम्मानजनक माना जाता है।

3. पालन-पोषण की शैली और भावनात्मक जुड़ाव

अमेरिका में पालन-पोषण का उद्देश्य होता है “स्वतंत्र वयस्क तैयार करना।” बच्चों को खाना बनाना, गाड़ी चलाना, पैसे संभालना और फैसले लेना सिखाया जाता है। इसलिए 18 की उम्र तक वे अकेले रहने के लिए तैयार — या अपेक्षित — होते हैं।

भारत में पालन-पोषण भावनात्मक निकटता और सुरक्षा पर आधारित होता है। माता-पिता बच्चों की ज़रूरतों का ध्यान रखते हैं — खाने से लेकर पढ़ाई तक — और वयस्क होने के बाद भी उनके जीवन में गहराई से जुड़े रहते हैं। कई लोगों के लिए पारिवारिक घर एक भावनात्मक रूप से सुरक्षित जगह होती है — तो जब तक ज़रूरत न हो, उसे क्यों छोड़ें?

इसके अलावा, कई भारतीय माता-पिता अपने बच्चों की देखभाल जारी रखने को अपना कर्तव्य और खुशी मानते हैं, चाहे बच्चे वयस्क ही क्यों न हो जाएं।

4. शादी एक बड़ा पड़ाव

भारत में शादी वह मोड़ होती है जब कोई व्यक्ति घर छोड़ता है — 18 की उम्र नहीं।

शादी से पहले माता-पिता के साथ रहना सामान्य और प्रोत्साहित किया जाता है। कुछ पारंपरिक समुदायों में शादी से पहले घर छोड़ना अपमानजनक या पारिवारिक विवाद का संकेत माना जा सकता है।

इसके विपरीत, अमेरिका में घर छोड़ना शादी से नहीं जुड़ा होता। लोग अकेले, रूममेट्स के साथ या पार्टनर के साथ रहते हैं — यह सब “खुद को खोजने” की प्रक्रिया का हिस्सा माना जाता है।

5. लिंग और सुरक्षा से जुड़ी बातें

भारत में सुरक्षा — खासकर युवा महिलाओं के लिए — एक वास्तविक चिंता है। कई परिवार अपनी बेटियों को अकेले रहने देने में हिचकिचाते हैं, खासकर बड़े शहरों में उत्पीड़न या असुरक्षा के डर से।

अमेरिकी माता-पिता भी सुरक्षा को लेकर सतर्क रहते हैं, लेकिन वे स्वतंत्र जीवन को सभी लिंगों के लिए ज़रूरी मानते हैं। युवा महिलाओं को भी जल्दी स्वतंत्र बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जैसे पुरुषों को।

6. बदलते रुझान: भारतीय युवाओं में बदलाव

हालांकि पारंपरिक सोच अब भी हावी है, लेकिन बदलाव हो रहा है।

शहरीकरण, विदेश में पढ़ाई और वैश्वीकरण भारतीय युवाओं को प्रभावित कर रहे हैं। शहरों में कई युवा प्रोफेशनल्स अकेले रहना चुन रहे हैं — विद्रोह के तौर पर नहीं, बल्कि व्यावहारिकता, काम की नज़दीकी या व्यक्तिगत विकास के लिए।

वहीं अमेरिका में भी “बूमरैंग जेनरेशन” देखने को मिल रही है — युवा वयस्क फिर से माता-पिता के साथ रहने लगे हैं, बढ़ते खर्च, भावनात्मक थकावट या करियर की अनिश्चितता के कारण।

शायद अब यह अंतर पहले जितना बड़ा नहीं रहा।

7. भावनात्मक नज़रिया: क्या कोई तरीका बेहतर है?

इसका कोई एक सही जवाब नहीं है।

कुछ लोगों के लिए 18 की उम्र में घर छोड़ना आत्मविश्वास, सहनशीलता और खुद को जानने का ज़रिया बनता है। दूसरों के लिए परिवार के साथ रहना भावनात्मक स्थिरता, आर्थिक बचत और मजबूत पारिवारिक रिश्तों का आधार बनता है।

हर विकल्प के अपने फायदे और चुनौतियां होती हैं।

दो रास्ते, एक लक्ष्य

दिन के अंत में, चाहे कोई बच्चा 18 की उम्र में घर छोड़े या 30 तक घर पर रहे — लक्ष्य एक ही होता है: एक सक्षम, संतुष्ट और ज़िम्मेदार वयस्क बनना।

रास्ते अलग हो सकते हैं, लेकिन इन फैसलों के पीछे जो प्यार, देखभाल और उम्मीदें होती हैं — वे हर जगह एक जैसी होती हैं।

किसी एक मॉडल को बेहतर मानने की बजाय, इन सांस्कृतिक विविधताओं को समझना हमें विविधता की सुंदरता को सराहने का मौका देता है — और शायद दोनों दुनिया से सबसे अच्छा चुनने का भी।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल:

क्या अमेरिका में 18 की उम्र में घर छोड़ना कानूनी रूप से ज़रूरी है? नहीं, यह कोई कानूनी ज़रूरत नहीं है। हालांकि अमेरिका में 18 की उम्र कानूनी वयस्कता की होती है, लेकिन कई युवा आर्थिक या निजी कारणों से माता-पिता के साथ ही रहते हैं।

क्या भारतीय माता-पिता बच्चों को घर पर रहने के लिए मजबूर करते हैं? अक्सर नहीं। यह एक सांस्कृतिक परंपरा है। ज़्यादातर भारतीय माता-पिता और बच्चे भावनात्मक जुड़ाव और व्यावहारिक सुविधा के कारण साथ रहने का आपसी निर्णय लेते हैं।

क्या अमेरिका में 18 की उम्र में घर छोड़ना हमेशा फायदेमंद होता है? ज़रूरी नहीं। यह स्वतंत्रता को बढ़ावा दे सकता है, लेकिन भावनात्मक तनाव और आर्थिक दबाव भी ला सकता है। कुछ युवा पर्याप्त सपोर्ट सिस्टम के बिना संघर्ष करते हैं।

क्या भारत में घर न छोड़ने से युवाओं को भावनात्मक नुकसान होता है? कभी-कभी। परिवारिक रिश्ते मज़बूत होते हैं, लेकिन व्यक्तिगत स्पेस या स्वतंत्रता की कमी से आत्म-विकास में देरी या पहचान से जुड़ी उलझनें हो सकती हैं — खासकर शहरी युवाओं में।

(प्रस्तुति -अंजू डोकानिया)

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments