Wednesday, June 25, 2025
Google search engine
Homeदुनियादारीइज़राइल की पुकार

इज़राइल की पुकार

हाल ही में हमास से टकराव के दौरान बेंजामिन नेतन्याहु ने देश को संबोधित किया था तब कुछ बहुत महत्वपूर्ण बातें कहीं थीं. ये उनके कुछ महत्वपूर्ण अंश हैं

75 साल पहले हमें मरने के लिए लाया गया। हमारे पास ना कोई देश था, ना कोई सेना थी। सात देशों ने हमारे विरुद्ध जंग छेड़ दी। हम सिर्फ 65,000 थे। हमें बचाने के लिए कोई नहीं था। हम पर हमले होते रहे, होते रहे।

लेबनान, सीरिया, ईराक़, जॉर्डन, मिस्र, लीबिया, सऊदी अरब जैसे कई देशों ने हमारे ऊपर कोई दया नहीं दिखाई। सभी लोग हमें मारना चाहते थे किंतु हम बच गये।

संयुक्त राष्ट्र ने हमें धरती दी, वह धरती जो 65 प्रतिशत रेगिस्तान थी। हमने उस को भी अपने खून से सींचा। हमने उसे ही अपना देश माना क्योंकि हमारे लिए वही सब कुछ था।

हम कुछ नहीं भूले, हम फिरऔन से बच गए। हम यूनान से बच गए। हम रोमन से बच गए। हम स्पेन से बच गए। हम हिटलर से बच गए। हम अरब देशों से बच गए। हम सद्दाम से बच गए। हम गद्दाफी से बच गए। हम हमास से भी बचेंगे, हम हिजबुल्ला से भी बचेंगे और हम ईरान से भी बचेंगे।

हमारे जेरूसलम पर अब तक 52 बार आक्रमण किया गया, 23 बार घेरा गया, 39 बार तोड़ा गया, तीन बार बर्बाद किया गया, 44 बार कब्जा किया गया लेकिन हम अपने जेरूसलम को कभी नहीं भूले। वह हमारे हृदय में है, वह हमारे मस्तिष्क में है और जब तक हम रहेंगे, जेरूसलम हमारी आत्मा में रहेगा।

संसार यह याद रखें जिन्होंने हमें बर्बाद करना चाहा वह आज स्वयं नहीं है। मिस्र, लेबनान, बेबीलोन, यूनान, सिकंदर, रोमन सब खत्म हो गए हो।

हम फिर भी बचे रहे

हमें वे (इस्लामी) खत्म करना चाहते हैं। उन्होंने हमारे रस्म रिवाज को कब्जाया। उन्होंने हमारे उपदेशों को कब्जाया। उन्होंने हमारी परंपरा को कब्जाया। उन्होंने हमारे पैगंबर को कब्जाया। कुछ समय पश्चात अब्राहम इब्राहीम कर दिए गए, सोलोमन सुलेमान हो गए, डेविड दाऊद बना दिए गए, मोजेज मूसा कर दिए गए…

फिर एक दिन… उन्होंने कहा तुम्हारा पैगंबर (मुहम्मद) आ गया है। हमने इसे नहीं स्वीकार नहीं क्या। करते भी कैसे, उनके आने का समय नहीं आया था। उन्होंने कहा, स्वीकारो! कबूल लो! हमने नहीं कबूला। फिर हमें मारा गया। हमारे शहरों को कब्जाया गया, हमारे शहर यसरब को मदीना बना दिया गया। हम कत्ल हुए, भगा दिए गए…

मक्का के काबा में हम 2 लाख थे, मार दिए गए। हमें दुश्मन बता कर कत्ल किया गया, फिर सीरिया में, ओमान में यही हुआ। हम तीन लाख थे, मार दिए गए। ईराक़ में हम 2 लाख थे, तुर्की में चार लाख, हमें मारा जाता रहा, मारा जाता रहा। वे हमें मार रहे हैं, मारते जा रहे हैं। हमारे शहर, धन, दौलत, घर, पशु, मान सम्मान सब कुछ कब्जाए जाते रहे फिर भी हम बचे रहे।

1300 सालों में करोड़ों यहूदियों को मारा गया फिर भी हम बचे रहे।

75 साल पहले वे हम पर थूकते थे, जलील करते थे, मारते थे। हमारी नियति यही थी किंतु हम स्वयं पर, अपने नेतृत्व पर, अपने विश्वास पर टिके रहे रहे।

आज हमारे पास एक अपना देश है। एक स्वयं की सेना है, एक छोटी अर्थव्यवस्था है। इंटेल, माइक्रोसॉफ्ट, आईबीएम, फेसबुक, जैसी कई संस्थायें हमने इस दौर में बनाईं। आज हमारे चिकित्सक दवा बन रहे हैं, लेखक किताबें लिख रहे हैं, यह सब के लिए है, यह मानवता के कल्याण के लिए है।

हमने रेगिस्तान को हरियाली में बदला। हमारे फल, दवाएं, उपकरण, उपग्रह सभी के लिए है।

हम किसी के दुश्मन नहीं है, हमने किसी को खत्म करने की कसमें नहीं खाईं। हमें किसी को बर्बाद भी नहीं करना, हम साजिशें भी नहीं करते।

हम जीना चाहते हैं, सिर्फ सम्मान से, अपने देश में, अपनी जमीन पर, अपने घर में।

पिछले हजार सालों से हमें मिटाया गया, खदेड़ा गया, कब्जाया जाता रहा, हम मिटे नहीं, हारे नहीं और न अभी हारेंगे। हम जीतेंगे, हम जीत कर रहेंगे, हम 3000 सालों से यरुशलम में ही थे। आज हम अपने पहले देश इजराइल में हैं। यह हमारा ही था, हमारा ही है और हमारा ही रहेगा, येरूसलम हमसे है और हम येरूसलम से हैं।

यह जिजीविषा हम हिंदुओं में भी पनपनी चाहिए। मानसरोवर, काबुल, कंधार, पेशावर लाहौर, ढाका, चटगांव अपनी संतानों की प्रतीक्षा में हैं।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments