Zohran Mamdani न केवल न्यूयॉर्क के मेयर बने, अपितु उन्होंने अमेरिकी राजनीति में बदलाव की एक नई दिशा खोल दी है..
न्यूयॉर्क के इतिहास में पहली बार कुछ ऐसा हुआ है जिसने अमेरिका की राजनीति को हिला कर रख दिया है। सिर्फ 34 साल के जोहरान ममदानी न्यूयॉर्क के नए मेयर बन गए हैं—और इससे भी बड़ी बात यह है कि यह जीत उन्होंने उस समय हासिल की, जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें हराने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था। लेकिन इसके बावजूद ममदानी ने न सिर्फ चुनाव जीता, बल्कि न्यूयॉर्क शहर के सबसे युवा मेयर बनकर एक नई राजनीतिक लहर भी पैदा कर दी है।
सबसे पहले बात—आख़िर कौन हैं जोहरान ममदानी?
ममदानी का जीवन कई देशों की कहानी अपने अंदर समेटे हुए है। उनका जन्म अफ्रीकी देश युगांडा में हुआ। उनकी मां भारत की मशहूर फिल्म निर्माता मीरा नायर हैं और उनके पिता महमूद ममदानी युगांडा के प्रसिद्ध लेखक और भारतीय मूल के मार्क्सवादी विद्वान हैं। बचपन में न्यूयॉर्क आकर पले-बढ़े ममदानी ने न्यूयॉर्क पब्लिक स्कूलों में पढ़ाई की और फिर ब्रोंक्स हाई स्कूल ऑफ साइंस और बॉडॉइन कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। 2018 में वे अमेरिकी नागरिक बने।
राजनीति में आने से पहले वे हाउसिंग काउंसलर थे। यानी शहर के गरीब और हाउसिंग संकट से जूझ रहे लोगों की मदद करते थे। अपने बेबाक अंदाज़, सोशल मीडिया पर जबरदस्त पकड़ और हिप-हॉप म्यूजिक वाले प्रमोशनल वीडियोज़ की वजह से न्यूयॉर्क के युवा वोटरों ने उन्हें हाथों-हाथ लिया। टिकटॉक से लेकर इंस्टाग्राम तक—ममदानी हर जगह छा गए। और यह रणनीति काम कर गई।
अब सवाल—उनकी जीत से अमेरिकी राजनीति पर असर क्या होगा?
सबसे पहले यह जीत राष्ट्रपति ट्रंप के लिए एक बड़ा राजनीतिक झटका है। ट्रंप ने खुलकर अपील की थी कि न्यूयॉर्क की जनता ममदानी को बिल्कुल वोट न दे। उन्होंने धमकी तक दी कि अगर ममदानी जीतते हैं, तो वे न्यूयॉर्क को किसी भी तरह की अतिरिक्त फेडरल फंडिंग नहीं देंगे। इतना ही नहीं, ट्रंप ने तो यहाँ तक कहा कि ममदानी शहर को “आर्थिक और सामाजिक बर्बादी” में बदल देंगे और जरूरत पड़ने पर वे उन्हें “निष्कासित” भी कर देंगे।
लेकिन जनता ने ट्रंप की बातों को खारिज कर दिया और ममदानी को भारी समर्थन के साथ मेयर चुना। इससे एक मजबूत राजनीतिक संदेश गया है—कि अमेरिका की नई पीढ़ी पुरानी राजनीति से हटकर नए, विविध पृष्ठभूमि वाले नेताओं को मौका देना चाहती है।
इस जीत का राष्ट्रीय स्तर पर असर भी साफ दिखेगा। डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर ममदानी जैसे डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट नेताओं का प्रभाव बढ़ेगा। वामपंथी नीतियों के लिए उनकी जीत एक नई ऊर्जा लेकर आई है। खासकर ऐसे समय में जब अमेरिका में इमिग्रेशन, नस्लीय न्याय, सामाजिक समानता और हाउसिंग संकट जैसे मुद्दे तेज़ी से चुनावी रंग ले रहे हैं।
रिपब्लिकन कैंप में इसे ट्रंप की राजनीतिक कमजोरी के तौर पर देखा जा रहा है। यह दिखाता है कि बड़े-बड़े बयानों और धमकियों के बावजूद युवा और प्रवासी समुदायों की सोच बदल रही है।
न्यूयॉर्क जैसे महत्वपूर्ण शहर में एक युवा, भारतीय मूल का, अफ्रीकी जन्म वाला और प्रगतिशील विचारधारा वाला नेता मेयर बनता है—तो इसका असर सिर्फ शहर पर नहीं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी गहरा पड़ता है। आने वाले दिनों में कई डेमोक्रेटिक नेता ममदानी के मॉडल को अपनाने की कोशिश करेंगे—यानी सोशल मीडिया पर पकड़, जमीनी मुद्दों पर फोकस और युवाओं को सीधा जोड़ना।
कुल मिला कर कहा जा सकता है कि जोहरान ममदानी न केवल न्यूयॉर्क के मेयर बने, अपितु उन्होंने अमेरिकी राजनीति में बदलाव की एक नई दिशा खोल दी है—और यह बदलाव ट्रंप से लेकर वॉशिंगटन की सत्ता तक गूंजने वाला है।
(त्रिपाठी पारिजात)



