Lakhimpur Khiri का यह अपराध बताता है कि मजहबी लोग लव जिहाद कर सकते हैं पर कोई हिन्दू युवक यदि किसी मजहबी युवती से प्रेम कर ले तो उसकी हत्या कर देंगे..
लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश) जिले के सैधरी गाँव में 2 अगस्त 2025 को प्रेम-प्रसंग के कारण हुई हिंसा ने पूरे इलाके को दहला दिया। अनुसूचित जाति (SC) का युवक नितिन अपनी मुस्लिम प्रेमिका से गुप्त रूप से मिलने गया, लेकिन वहाँ उस पर हमला कर दिया गया। हमलावरों ने उसे मरा समझकर नदी में फेंक दिया। इसके बाद भड़की झड़प में नितिन के बड़े भाई अमित की भी पीट-पीटकर हत्या कर दी गई।
नदी किनारे मौत का साया
जानकारी के अनुसार, नितिन महेवागंज थाना क्षेत्र के एक नदी पुल पर अपनी प्रेमिका से मिलने पहुँचा था। उसके साथ दो दोस्त भी थे। लेकिन मौके पर प्रेमिका के परिजन — वसीम, कलीम, अजीज, असलम और पप्पू — लाठी-डंडों और तेजधार हथियारों के साथ पहुँच गए।
बिना कुछ कहे उन्होंने नितिन पर हमला बोल दिया। लाठियों और डंडों से पिटाई के बाद उसकी गर्दन पर धारदार हथियार से वार किया गया। खून से लथपथ नितिन बेहोश होकर गिर पड़ा। हमलावर उसे मरा समझकर नदी में फेंककर चले गए।
दोस्तों ने बचाई जान,
पर शायद नितिन का भाग्य अच्छा था. किसी तरह नितिन के दोस्तों को घटना की जानकारी मिल गई और उन्होंने भागकर परिवार को सूचना दी। परिजन दौड़कर नदी किनारे पहुँचे और नितिन को गंभीर हालत में अस्पताल पहुँचाया। उसकी हालत नाजुक बनी हुई है।
भाई अमित की हत्या
इसी दौरान, मौके पर मौजूद मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग और नितिन के परिवार के बीच झड़प हो गई। इसमें नितिन के बड़े भाई अमित को बुरी तरह पीटा गया। सिर और शरीर पर गंभीर चोटों के कारण अमित ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
FIR और पुलिस कार्रवाई
नितिन के परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 115(2) (हत्या का प्रयास), 118(1) (आपराधिक साजिश) और 109(1) (उकसावा) के तहत मामला दर्ज किया है। FIR में वसीम, कलीम, अजीज, असलम और पप्पू को नामजद किया गया।
पुलिस ने 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि अन्य फरार हैं। उनकी तलाश के लिए जगह-जगह छापेमारी की जा रही है।
हिंदू संगठनों की प्रतिक्रिया
इस मामले में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने हस्तक्षेप करते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई और पीड़ित परिवार को सुरक्षा देने की मांग की है।
जाति और धर्म के नाम पर हिंसा
यह घटना सिर्फ एक प्रेम कहानी का अंत नहीं है, बल्कि धर्म और जाति के आधार पर पनपी नफरत का भी उदाहरण है। नितिन और उसके भाई पर हमला उनकी धार्मिक और जातिगत पहचान को निशाना बनाकर किया गया। खून से लाल नदी और अमित की मौत इस हिंसा की भयावहता बयां करती है।
(विवेकानंद मिश्र)