Mahashivratri 2025 के पावन अवसर पर परम शिवभक्त श्री अरुण सिंह की प्रस्तुति बताती है भोलेनाथ को प्रसन्न करने की यह निराली विधि..
“जो तुमको हो पसंद वही बात करेंगे”
“हे महादेव आपका स्तवन पूजन”
“तो आपके उपासक अनेक”
“विधि से करते हैं” ” लेकिन हम तो वो करेंगे जो शिव”
“को”
“पसन्द”
“है”
“जिस से महादेव को परम”
“आनंद मिलता है”
1. “ॐ श्री राम रामेति रामेति रमे
रामे मनोरमे सहस्त्र नाम
तत्तुल्यम राम नाम
वरानने”
“इस दुर्लभ मन्त्र को सुनने के
लिये महादेव आपके पीछे-पीछे
आयेंगे… ये खुद महादेव का
वचन है
“इस मन्त्र से महादेव को गुलाब जल अर्पित करें ..महादेव आपको प्रेम से भर देंगे”
2. “ॐ ह्रीं श्रीं ठं ठं नमो भगवते मम सर्व कार्यानि साधय साधय माम रक्ष रक्ष सिघ्रम माम
धनिनाम कुरु कुरु हुम फ़ट श्रियम देही प्रज्ञाम् देही मम आपत्ति नीवारय नीवारय स्वाहा”
ये नाथ समम्प्रदाय का स्वयं सिद्ध मन्त्र है.
इससे बेलपत्र में इत्र लगा कर शिवलिंग पर अर्पित करें.
इससे महादेव हर मनोकामना पूर्ण करते हैं.
3. “ॐ तत् पुरुषाय विद्यमहे महादेवाय धीमही तन्नो रूद्र: प्रचोदयात”
ये रूद्र गायत्री हर संकट से मुक्त कर देता है.
रूद्र गायत्री पढ़ते हुए अनार के रस से अभिषेक करने से मंगल और राहु के दोषों से मुक्त कर देता है….अनेक संकट इससे दूर होते हैं.
4. “ॐ सम् सम्भाय परम शिवाय ॐ सम् नमः”
इस महामंत्र से महादेव का अभिषेक गन्ने के रस से करें
सर्व-इच्छाओं की पूर्ती होती है.
5. पारिवारिक संकट खास कर पति-पत्नी में विवाद को ख़तम करने के लिए-
“भवम भवानि सहितम नमामि”
गन्ने के रस से अभिषेक करें.
6. “ॐ हर त्रिपुर हर भवानि बाला राजा प्रजा मोहिनि सर्व सत्रु विधवंसिनी मम चिन्तितम फ़लम देहि देहि भुवनेश्वरी स्वाहा”
इस मन्त्र से महादेव क शहद से अभिषेक करें महान स्म्मोहन और शत्रु का नाश होता है.
7. प्रशसनिक शक्ति की प्राप्ति के लिये
“ॐ महालक्ष्मी च विद्यमहे सर्व शक्त्यै च धीमहि तन्नॊ देवि प्रचोदयात”
8. “ॐ महालक्ष्मी च विद्यमहे विष्णु पत्नि च धीमहि तन्नॊ लक्ष्मी प्रचोदयात”
इस मंत्र से महादेव को पंचामृत से अभिषेक करें, अक्षय लक्ष्मी की प्राप्ति होती है.
9. “ॐ ह्रीं श्रीं देहि सौभाग्यम
आरोग्यम देहि मे पर्र्मम सुखम
रूपम देहि जयम देहि यशो देहि द्विशो जहि श्रीं ह्रीं ॐ”
इस मंत्र से महादेव का अभिषेक पंचामृत से करना चाहिए.
सुख-सौभग्य की प्राप्ति होती है.
श्री सूक्त.. पुरुष सूक्त … रूद्र सूक्त का पाठ करते हुए …कनकधारा स्तोत्र से ..महादेव का गन्ने के रस से या आंवले के रस से अभिषेक करें, महादेव हर मनोकामना पूर्ण करेंगे.
“महादेव पर लगातार जल की”
“अज्स्र अबाध धारा छोड़ते”
“हुए कहें” –
ॐ ऋद्धि सिद्धि सहित श्रिमन गणपतये नम:
ॐ उमा महेश्वरा भ्याम नमः
ॐ सचि पुर्न्द्राभ्याम नमः
ॐ वाणी हिरण्यनय गर्भाभ्यम नमः
ॐ महालक्ष्मीधिपतये नमः
ॐ स्थान देवताभ्यो नमः
ॐ ग्राम देवताभ्यो नमः
ॐ क्षेत्र देवताभ्यो नमः
ॐ वास्तु देवता भी नमः
ॐ मातृ पितृ चरण कमलेभ्यो नमः
ॐ कुल देवताभ्यो नमः
ॐ कुल देवीभ्यो नमः
ॐ सर्वेभ्यो तिर्थेभ्यो नमः
ॐ सर्वेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमः
ॐ सर्वेभ्यो ऋषिःयेभ्यो नमः
ॐ सर्वेभ्यो मुनियेभ्यो नमः
ॐ सर्वेभ्यो गुरुवेभ्यो नमः
ॐ सर्वेभ्यो नक्षत्रेभ्यो नमः
ॐ सर्वेभ्यो ग्रहेभ्यो नमः
ॐ सर्वेभ्यो पितरेभ्यो नमः
ॐ सर्वेभ्यो देवेभ्यो नमः
ॐ एतत् प्रधाने श्री दुर्गा देव्ये नमः
ॐ महकालि महालक्ष्मी महासरस्वती देव्यै नमः
गणपति अथर्वशीर्ष तत्पश्चात्
शिव अथर्वशीर्ष से अभिषेक करें
पुनः
ॐ भम भैरवाय अनिष्ट निवरय निवरय स्वाहा -यह मंत्र 11 बार बोलते हुये भैरव बाबा से आज्ञा लेकर
पशुपति अस्त्र से अभिषेक करें.
(श्री अरुण सिंह जी की प्रस्तुति)