Story: थोड़ा हटकर सोचना और थोड़ा हटकर कहानियां लिखना मेरा शौक है।। आज फिर आपको एक कहानी सुनाता हूं।। शीर्षक है -पहले आप
अरे खुशी अपने पापा को कोई खुशी देगी या नहीं।। अरे पापा कैसी बातें कर रहे हो मैंने आपको कब तंग करा।।
लल्ली शादी के लिए हां ना करना, तंग करना ही तो है।। हर डैड के लिए अपनी बेटी की शादी करने से बड़ी खुशी और कोई नहीं होती।। बेटा अब तुम 24 साल की हो गई हो अब हां कर दो।।
डैड मेरे से कौन शादी करेगा मुझे चाय तक तो बनाना सिखाया नहीं आपने।।
अच्छा मैंने नहीं सिखाया तुम खुद ही इतनी आलसी हो।।
पापा 4 साल की थी मैं जब मम्मी मुझे और आपको छोड़कर भगवान के पास चली गई।। तब से फूलों की तरह पाला है आपने मुझे।। कभी कोई काम करने ही नहीं दिया।। और आज आखिरी बात कान खोल कर सुन लो शादी के लिए पहले आप हां करोगे फिर मैं।। या फिर कोई ऐसा दामाद ढूंढो जो हमारे साथ आकर यहां रह सके।।
मतलब कि अभी तो मैं केवल तुम्हारा ही खाना पीना बनाता हूं फिर दमाद का भी बनाऊ, फिर तुम दोनों के बच्चों का भी, अरे कितना बोझ डालेगी तू मुझ पर।।
अच्छा तो मैं आप पर बोझ हूं यह कहकर खुशी और मिस्टर मेहता तकियों से एक दूसरे से लड़ने लगे।।
बरेली ग्रीन पार्क 150 वर्ग गज के छोटे से घर में मिस्टर मेहता अपनी बेटी खुशी के साथ रहते हैं।। दोनों पिता पुत्री कम दोस्त ज्यादा है।। इकट्ठे घूमने जाना, जिम जाना, पिक्चर देखने जाना मतलब कि दोस्ती भरी मस्त जिंदगी जीना।। मिस्टर मेहता सरकारी स्कूल में टीचर है और खुशी प्राइवेट बैंक में नौकरी करती है।।
दोनों दोस्त हैं अच्छी बात है पर मिस्टर मेहता के दिल में एक कोने में पिता का प्यार और चिंताएं दोनों है।। इसलिए वह आजकल अपने यार दोस्तों से भी खुशी के लिए लड़का बताने के लिए कहते रहते हैं और इंटरनेट पर भी मैट्रिमोनियल ढूंढते रहते हैं।।
खुशी भी किसी कीमत पर अपने पापा को अकेले छोड़कर शादी करके ससुराल जाने को तैयार नहीं है।। खुशी किसी को तो अपने लिए नई मम्मी ढूंढने के लिए तो कह नहीं सकती इसलिए वह भी इंटरनेट पर अपने लिए नई मम्मी ढूंढती रहती है।।
आज फिर संडे है।। दोनों घर पर है और फिर दोनों पहले आप, पहले आप करके प्यार भरा झगड़ा शुरू कर देते हैं।।
पापा आप मुझे दिन भर शादी के लिए हां करने के लिए तंग करते रहोगे इसलिए मैं सामने सुमन आंटी के जा रही हूं।।
मेरठ की रहने वाली सुमन पोस्ट ऑफिस में काम करती है और 2 महीने पहले ही ट्रांसफर होकर बरेली आई है।।
नमस्ते आंटी।।
आओ बेटा खुशी तुम्हारे आने से मेरे घर में भी खुशी आ जाती है।।
आंटी आज आप अपनी कहानी बताओ हर बार आप टाल जाती हो।।
बेटा क्या सुनेगी मेरी दुख भरी कहानी।। चलो हंसते खेलते हैं।।
नहीं आंटी आज मैं नहीं मानूंगी।। बेटा छोटी सी कहानी है।। मैंने BA करा ही था कि मेरे पिताजी की कैंसर से डेथ हो गई।। पिताजी की जगह पोस्ट ऑफिस में मुझे नौकरी मिल गई मतलब कि घर का सारा बोझ मेरे पर आ गया।। मेरी दो छोटी बहनें है, उनकी पढ़ाई लिखाई और शादी करवाई।। 2 साल पहले मां भी मुझे छोड़ कर चली गई।।
आंटी आप ने शादी क्यों नहीं करी।।
खुशी बेटा जिम्मेदारियां निभाते निभाते मेरी उम्र कब निकल गई पता ही नहीं चला।।
आंटी कभी आपके मन में नहीं आया कि आपकी भी शादी होती और बच्चे होते।।
सच बताऊं पहले तो कभी नहीं आया पर तुम्हें देखकर लगता है कि तुम्हारे जैसी एक चुलबुली बेटी मेरी भी होती तो जिंदगी कितनी मजेदार होती।।
तो आंटी अब भी मौका है अब बन जाओ मेरी मां।।
तू ठहर शैतान लड़की हर वक्त मजाक करती रहती है।।
घर की लोबी के सोफे के इर्द-गिर्द खुशी आगे सुमन उसके पीछे पीछे दौड़ने लगी।।
चलो आंटी अब आप थक गई कुछ खिलाओ पिलाओ और मैं चली।।
खुशी भांप गई थी कि शादी के लिए सुमन के दिल में भी सॉफ्ट कॉर्नर है।।
शुक्रवार का दिन है खुशी शाम को घर वापस आती है।।
पापा कल मैं ऑफिस के स्टाफ के साथ 2 दिन के लिए नैनीताल घूमने जा रही हूं।। मेरे पीछे से अरोड़ा अंकल को बुलाकर शराब मत पीना।। मैंने सुमन आंटी को आप पर नजर रखने को कह दिया है।। यदि आपने ऐसा करा तो सुमन आंटी तुरंत मुझे फोन कर देंगी।।
हां यह तुमने अच्छा करा खुशी बेटा।। अभी तो मैं ही सुमन पर नजर रख रहा था और अब वह मेरे पर नजर रखेगी।।
पापा कुछ तो गड़बड़ है।।
और दोनों ठहाका लगाकर हंस पड़ते हैं।।
खुशी नैनीताल से लौटकर सुमन को अपनी मम्मी बनाने के मिशन पर लग जाती है।।
एक महीने की मेहनत के बाद खुशी मिस्टर मेहता और सुमन को शादी के लिए तैयार कर लेती है।।
फिर मिस्टर मेहता और सुमन जोर शोर से खुशी के लिए लड़का ढूंढना शुरू कर देते हैं।। जब दिन आ जाते हैं तो सभी काम फटाफट हो जाते हैं।। प्राइवेट कॉलेज में असिस्टेंट लेक्चरार संदीप से खुशी की शादी तय हो जाती है।।
आज फिर मिस्टर मेहता और खुशी लड़ रहे हैं पहले आप – पहले आप।।
बेटा पहले तुम्हारी शादी होगी फिर मैं और सुमन शादी कर लेंगे, नहीं तो लोग क्या कहेंगे।।
पापा कन्यादान का फल भी तभी मिलता है जब मम्मी और पापा दोनों मिलकर कन्यादान करें, इसलिए सुबह आपकी शादी होगी और शाम को मेरी।। इसके लिए मैंने संदीप से भी बात कर ली है वह भी खुले विचारों का है।।
पीलीभीत बाईपास पर फ्लोरा गार्डन बरात घर आज कुछ हटके होने वाले पलों का गवाह बनने जा रहा है।। बड़े प्यार और सादगी से सुबह मिस्टर मेहता और सुमन की शादी होती है और शाम को बहुत ही धूमधाम से संदीप और खुशी की शादी हो जाती है।।
समाज को किसी की खुशी में मजा नहीं आता।। समाज आज भी यही डिस्कस कर रहा था, क्या जरूरत थी मिस्टर मेहता को इस उम्र में शादी करने की? और इधर समाज से बेखबर मिस्टर मेहता और खुशी फोन पर लड़ रहे थे पहले आप जाएंगे हनीमून मनाने या हम।।
खुशी बेटा इकट्ठे चलेंगे, तुम और संदीप गोवा जाओ, मैं और सुमन नैनीताल जा रहे हैं।। हनीमून से लौटकर मिस्टर मेहता और खुशी जिम करने फिर इकट्ठे जाते हैं और यह फोटो जिम का ही है।।
(अज्ञात वीर)