Cinema: फिल्म ‘आनंद’ और उसके खास किरदार जानी वाकर दोनों की आज फिर से याद आई है क्योंकि पचास साल आज पूरे हुए हैं इस फिल्म के..
चूंकि आज ‘आनंद’ फ़िल्म के 54 साल पूरे हो गए हैं तो जॉनी वॉकर जी का ही एक किस्सा और जानिए। आनंद में जॉनी वॉकर ने ईसा भाई सूरतवाला का किरदार निभाया था और वो एक नाटक कंपनी के कलाकार बने थे फ़िल्म में। आनंद 12 मार्च 1971 को रिलीज़ हुई थी। जॉनी वॉकर और आनंद फ़िल्म का ये किस्सा फ़िल्म के आखिरी सीक्वेंस का है। उस सीक्वेंस का जब राजेश खन्ना का किरदार आनंद अपने आखिरी पलों में होता है।
ईसा भाई को नहीं पता होता कि आनंद को कैंसर है। वो एक नाटक के सिलसिले में आनंद से मिलने आते हैं। तब उन्हें डॉक्टर भास्कर बनर्जी से पता चलता है कि आनंद को कैंसर हुआ है। ईसा भाई भी इमोशनल हो जाते हैं। मगर जब वो आनंद के सामने आते हैं तो अपने नैसर्गिक अंदाज़ में आते हैं। यानि मस्ती-मज़ाक करते हुए। ईसा भाई आनंद से भी हंसी-मज़ाक करते हैं। हालांकि आखिर में वो भी खुद पर काबू नहीं रख पाते और रोते हुए आनंद के कमरे से बाहर निकलकर आ बैठते हैं।
अगली दफ़ा जब आप आनंद फ़िल्म देखें तो गौर कीजिएगा कि ईसा भाई रोते हुए रुमाल से अपना मुंह छिपा लेते हैं। ये जो रुमाल से मुंह छिपाने का आइडिया था, ये ऋषिकेश मुखर्जी साहब का नहीं, जॉनी वॉकर जी का था। उस सीन को फ़िल्माते वक्त जॉनी वॉकर ने ऋषि दा से कहा था कि जब मैं रोते हुए कमरे से बाहर निकलकर बेंच पर बैठूंगा तो रुमाल से अपना मुंह छिपा लूंगा।
ऋषि दा ने जॉनी वॉकर से पूछा कि ये ख्याल उनको क्यों आया? तो जॉनी वॉकर ने ऋषि दा से कहा कि फ़िल्म के क्लाइमैक्स में दर्शकों की आंखों से आंसू बह रहे होंगे। ऐसे में अगर वो मुझे रोते हुए देखेंगे तो उन्हें अजीब लगेगा। क्योंकि मुझे आज तक लोगों ने हसंते-हंसाते हुए ही देखा है। कहीं ऐसा ना हो कि मुझे रोता देख दर्शकों के सारे इमोशन खत्म हो जाएं और मेरी शक्ल देखकर उन्हें हंसी आने लगे।
ऋषि दा को जॉनी वॉकर जी की बात में दम लगा। फिर उन्होंने उस सीन को वैसे ही शूट किया जैसे कि जॉनी वॉकर ने कहा था। और सीन सच में प्रभावी बन गया। वैसे, आनंद फ़िल्म में जब-जब भी जॉनी वॉकर दिखाई देते हैं, तब-तब इस फ़िल्म को देखने का आनंद बढ़ जाता है। साथियों ये किस्सा भी जॉनी वॉकर जी के पुत्र व एक्टर नासिर खान जी ने अपने एक यूट्यूब वीडियो के माध्यम से बताया था।
(अंकित मलिक)