Sleep: क्या आपने कभी सोचा है कि आपको हर रात कितने घंटे की निर्बाध नींद लेनी चाहिए? नहीं सोचा तो अब सोचिये..
यहाँ वह बातें हैं जिन पर आपको ध्यान देना चाहिए (फोटो: पेक्सेल्स)। नींद समग्र स्वास्थ्य बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह शरीर को रातभर खुद को मरम्मत करने, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और मस्तिष्क को ठीक से कार्य करने में सहायता देती है। जब आप पर्याप्त नींद या आराम नहीं लेते, तो आप अधिक थका हुआ, चिड़चिड़ा, परेशान, मूडी, निराश और बेचैन महसूस कर सकते हैं।
क्या आपने कभी सोचा है कि आपको हर रात कितने घंटे की निर्बाध नींद लेनी चाहिए? लोकल सर्कल्स की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 59% भारतीय जो सर्वेक्षण में शामिल हुए, वे हर दिन छह घंटे से कम की निर्बाध नींद लेते हैं। विभिन्न पृष्ठभूमियों से 15,659 लोगों के उत्तरों पर आधारित इस रिपोर्ट में यह पाया गया कि 39% लोग केवल 4-6 घंटे की ही बिना रुकावट वाली नींद ले पाते हैं, जबकि 20% चार घंटे से भी कम सोते हैं। यानी 59% लोग छह घंटे से अधिक की निरंतर नींद हासिल करने में असमर्थ रहते हैं। इस विषय को बेहतर समझने के लिए हमने विशेषज्ञों से बात की।
ग्लेनईगल्स अस्पताल, परेल, मुंबई की वरिष्ठ आंतरिक चिकित्सा सलाहकार, डॉ. मंजूषा अग्रवाल बताती हैं कि खराब नींद की आदतें विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकती हैं। उन्होंने कहा, “इसमें उच्च रक्तचाप, मोटापा, अत्यधिक मूड स्विंग और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली जैसी समस्याएँ शामिल हो सकती हैं। यह समझना ज़रूरी है कि अच्छी गुणवत्ता वाली नींद सिर्फ घंटों की संख्या तक सीमित नहीं होती, बल्कि इसका मतलब रात में बार-बार जागने से बचना भी है। शरीर को सही ढंग से कार्य करने के लिए एक वयस्क को कम से कम 7-8 घंटे की गहरी नींद लेनी चाहिए।”
नींद में व्यवधान के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कार्य-जीवन तनाव, प्रकाश और शोर के प्रति संवेदनशीलता, या नींद ऐपनिया जैसी स्थितियाँ। रामैय्या मेमोरियल अस्पताल, बेंगलुरु के सलाहकार पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. प्रसन्न कुमार टी कहते हैं, “जीवनशैली संबंधी कुछ आदतें जैसे अत्यधिक कैफीन और शराब का सेवन, साथ ही सोने से पहले स्क्रीन का अधिक उपयोग, अच्छी नींद में बाधा डाल सकते हैं।”
बिगड़े हुए नींद के पैटर्न का असर सिर्फ दिनभर की थकावट तक सीमित नहीं रहता। डॉ. प्रसन्ना बताते हैं, “शोध बताते हैं कि लगातार खराब नींद कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, मेटाबोलिक विकार, संज्ञानात्मक गिरावट और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे चिंता और अवसाद के जोखिम को बढ़ा सकती है।” उन्होंने सुझाव दिया कि शाम के समय कैफीन से बचना चाहिए और एक वयस्क को हर रात कम से कम 7-8 घंटे की निर्बाध नींद लेनी चाहिए ताकि वह तरोताजा महसूस कर सके।
उन्होंने आगे बताया कि उम्र के साथ नींद की ज़रूरतें बदलती रहती हैं। “किशोरों को 8-10 घंटे की नींद की आवश्यकता होती है, जबकि वृद्ध वयस्कों को थोड़ी कम नींद की जरूरत हो सकती है। आपके जागने के घंटों की गुणवत्ता आपकी नींद की गुणवत्ता पर निर्भर करती है, इसलिए अच्छी नींद को प्राथमिकता देना बेहद जरूरी है।”
बेहतर नींद के लिए अनुशासित दिनचर्या अपनाना ज़रूरी है। डॉ. अग्रवाल कहती हैं, “हर दिन एक ही समय पर सोने और जागने की आदत डालें। सोने से पहले स्क्रीन टाइम को सीमित करें। रात में कैफीन युक्त पेय से बचें, क्योंकि यह आपकी नींद को प्रभावित कर सकता है।”