Wednesday, October 22, 2025
Google search engine
Homeराष्ट्रSatish Chandra Mishra writes: मुंबई हमले के मास्टर माइन्ड तहव्वुर राणा पर...

Satish Chandra Mishra writes: मुंबई हमले के मास्टर माइन्ड तहव्वुर राणा पर सवालों का पाकिस्तानी कनेक्शन

Satish Chandra Mishra  की कलम प्रश्न करती है कि क्या मुंबई हमले और तहव्वुर राणा से जुड़े सवालों के जवाब का पाकिस्तान से जुड़े हुए हैं? ..

Satish Chandra Mishra  की कलम प्रश्न करती है कि क्या मुंबई हमले और तहव्वुर राणा से जुड़े सवालों के जवाब का पाकिस्तान से जुड़े हुए हैं? ..
26/11 मुम्बई हमले के संबंध में देश के लोकतंत्र के चार खंभों में से तीन खंभे इन संगीन सवालों के घेरे में थे। उन सवालों का सही सटीक जवाब अब तहव्वुर राणा ही दे सकता है… उम्मीद है कि वो देगा भी। इन खंभों में एक खंभा मुंबई पुलिस थी।
26/11 मुंबई हमले में आतंकियों ने सपनों की नागरी में ताज होटल, नरीमन हाउस, मेट्रो सिनेमा और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस समेत कई जगहों पर हमला किया था। इस हमले में 15 देशों के 166 लोग मारे गए थे और 300 से अधिक लोग घायल हुए थे जबकि आतंकियों के खिलाफ जंग में मुंबई पुलिस, होमगॉर्ड, ATS, NSG कमांडों सहित कुल 22 सुरक्षाबल शहीद हो गए थे।
उल्लेखनीय है कि, जब मुंबई पर आतंकवादी हमला हुआ था तब मुंबई पुलिस कमिश्नर हसन गफूर थे। गफूर ने तत्कालीन नए एटीएस चीफ परमबीर सिंह सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों पर अपने कर्तव्य पालन के दायित्व से पीछे हटने का आरोप लगाया था। यह वही परमवीर सिंह था जो बाद में पालघर साधु हत्याकांड, सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमय मौत, अरनब गोस्वामी पर राक्षसी अत्याचार और मुकेश अंबानी से वसूली के लिए बम रखने के प्रकरण के दौरान मुम्बई पुलिस कमिश्नर के रूप में बहुत कुख्यात हुआ था। एटीएस चीफ के रूप में साध्वी प्रज्ञा भी इसकी करतूतों पर बहुत खुलकर बोलती रहीं हैं। बाद में मुंबई पुलिस के पूर्व एसीपी शमशेर खान पठान ने भी परमबीर सिंह पर कसाब का फोन चुराने का आरोप लगाया था। यह बहुत गंभीर आरोप था, जिसकी कभी जांच ही नहीं की गई।
लेकिन हसन गफूर ने परमवीर सिंह के अलावा अन्य लोगों के विषय में भी गंभीर बातें कहीं थीं। उन्होंने कहा था कि क्राइम ब्रांच के अतिरिक्त आयुक्त देवेन भारती, दक्षिणी क्षेत्र के अतिरिक्त आयुक्त के.वेंकटेशम, कानून-व्यवस्था के संयुक्त आयुक्त केएल प्रसाद और एटीएस चीफ परमबीर सिंह मुंबई आतंकी हमले के दौरान अपनी ड्यूटी निभाने में असफल रहे थे।
26/11 की रात मुंबई हमले के समय एक साथ इतने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों पर उंगली किसी राजनेता, किसी पत्रकार ने नहीं बल्कि खुद मुंबई पुलिस के कमिश्नर ने उठाई थी। अतः क्या इसे मात्र संयोग माना जाए…? इनमें से किसी की भी कोई जांच तक क्यों नहीं की गई.? केंद्र व महाराष्ट्र, दोनों की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस पर शातिर मौन क्यों साध लिया.? ऐसे बहुत से सवाल पिछले 17 सालों से देश और मुंबई के लोगों के मन में दबे हुए हैं। क्या इन सवालों के जवाब का कोई पाकिस्तान कनेक्शन है.? और यदि है तो इन सारे सवालों का जवाब भी तहव्वुर राणा के पास होना ही चाहिए। देखिए भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ इसका परिणाम क्या निकलता है।
(सतीश चंद्र मिश्रा)
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments