Operation Fordow: अमेरिका ने आज 22 जून को अपने खतरनाक बमों (जीबीयू-57 बम) का इस्तेमाल सही तरीके के करके दुनिया के एक आतंकी देश के तीन परमाणु ठिकानों को ठिकाने लगया..
दुनिया के सबसे खतरनाक गैर-परमाणु हथियारों में से एक — GBU-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP) — का उपयोग कर अमेरिका ने ईरान के पहाड़ी बंकरों में छिपे परमाणु ठिकानों फोर्डो, नतांज और इस्फहान को निशाना बनाया है। ये हमले ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कमजोर करने में तो कामयाब रहे, लेकिन इससे मध्य पूर्व और वैश्विक स्थिरता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
क्या है GBU-57 MOP बम?
यह बम अमेरिका और बोइंग कंपनी द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया एक भारी बंकर बस्टर है। इसका उद्देश्य गहरे ज़मीनी बंकरों, सुरंगों और मजबूत कंक्रीट संरचनाओं को भेदकर नष्ट करना है — जिन तक आम बम नहीं पहुंच सकते।
तकनीकी खूबियाँ
वज़न: लगभग 13,600 किलोग्राम (30,000 पाउंड)
लंबाई: 20.5 फीट (लगभग 6.25 मीटर)
विस्फोटक भार: 5,300 पाउंड (2,400 किलोग्राम)
मार्गदर्शन प्रणाली: जीपीएस आधारित सटीक लक्ष्य प्रणाली
वाहक विमान: केवल B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर ही इसे ले जा सकता है
भेदन क्षमता: 60 फीट कंक्रीट या 200 फीट मिट्टी तक
इसकी क्षमता के कारण इसे “पहाड़ तोड़ने वाला बम” कहा जाता है।
ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला
1. फोर्डो
स्थान: तेहरान से लगभग 100 किलोमीटर दूर, क़ोम के पास
विशेषता: पहाड़ों के नीचे 80 मीटर की गहराई में स्थित
महत्व: यूरेनियम संवर्धन का प्रमुख केंद्र
2. नतांज
ईरान का सबसे बड़ा संवर्धन केंद्र
संरचना: सतह से नीचे, मजबूत सुरक्षा प्रणाली के साथ
3. इस्फहान
उद्देश्य: यूरेनियम को परमाणु ईंधन में रूपांतरित करना
रणनीतिक महत्त्व: अत्यधिक
22 जून 2025 को, अमेरिका ने B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स के माध्यम से इन तीनों ठिकानों पर GBU-57 बमों से हमले किए। प्रत्येक स्थल पर दो बम गिराए गए — यानी कुल छह बम।
हमले की रणनीति
स्थान: अमेरिका के हिंद महासागर स्थित गुप्त सैन्य अड्डे, डिएगो गार्सिया से उड़ान
उड़ान ऊँचाई: 50,000 फीट — ताकि रडार से बचा जा सके
मार्गदर्शन: GPS से सटीक लक्ष्य निर्धारण
हमला और वापसी: मिशन के बाद सभी B-2 बॉम्बर सुरक्षित लौटे
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस अभियान की पुष्टि की और इसे ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर एक गंभीर झटका बताया।

हमलों का असर
1. परमाणु क्षमताओं पर
फोर्डो: संरचना को आंशिक नुकसान, कुछ सेंट्रीफ्यूज नष्ट
नतांज व इस्फहान: तुलनात्मक रूप से अधिक नुकसान
2. क्षेत्रीय तनाव
ईरान-इज़रायल टकराव और बढ़ा
ईरान ने प्रॉक्सी संगठनों के माध्यम से जवाबी हमले की चेतावनी दी
मध्य पूर्व में युद्ध का खतरा गहराया
3. अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
रूस व चीन: निंदा
इज़रायल: समर्थन
संयुक्त राष्ट्र: शांति बनाए रखने की अपील
क्या GBU-57 पर्याप्त था?
विशेषज्ञ मानते हैं कि GBU-57 अत्यधिक शक्तिशाली है, लेकिन फोर्डो जैसी साइट को पूरी तरह तबाह करना मुश्किल है:
गहराई और चट्टानों की परत से अत्यधिक सुरक्षा
कई बार हमले की आवश्यकता
वैकल्पिक विकल्प: B61-12 टैक्टिकल न्यूक्लियर बम — पर इसके उपयोग से वैश्विक परमाणु संघर्ष का खतरा
कुल मिला कर कहा जा सकता है कि:
GBU-57 का उपयोग अमेरिका की सैन्य शक्ति और रणनीतिक मजबूरी दोनों को दर्शाता है। यह हथियार तकनीकी रूप से बेजोड़ है, लेकिन इसके उपयोग से पैदा हुई भू-राजनीतिक अशांति और युद्ध की आशंकाएं कहीं अधिक गंभीर चिंताओं को जन्म देती हैं।
(प्रस्तुति – त्रिपाठी सुमन पारिजात)