Brain को लेकर वैज्ञानिकों ने एक खास खोज की है — उन्होंने पाया है कि हमारा दिमाग एक हल्की रोशनी छोड़ता है, जो हमारे सोचने के तरीके के साथ बदलती रहती है..
इस खोज के बाद वैज्ञानिकों की आगामी खोज को नई दिशा मिली है जिसके अंतर्गत अब वे इस रोशनी को समझने की कोशिश कर रहे हैं।
रिसर्च में पता चला कि दिमाग से बहुत हल्की, आंखों से न दिखने वाली रोशनी निकलती है, जिसे Ultraweak Photon Emissions (UPEs) कहा जाता है। पहले से ये माना जाता था कि सभी जीवों से ऐसी बायोफोटोन रोशनी निकलती है, लेकिन अब पहली बार यह देखा गया है कि यह दिमाग की सोच से जुड़ी होती है।
Algoma University के वैज्ञानिकों ने खास मशीनें लगाकर देखा कि जब कोई व्यक्ति आराम कर रहा था या कुछ सुन रहा था, तो दिमाग की रोशनी का तरीका बदल रहा था। इस नए तरीके को उन्होंने नाम दिया “Photoencephalography”, जिससे दिमाग की रोशनी को पढ़ा जा सकता है।
यह रोशनी शरीर की गर्मी नहीं है, बल्कि हमारे शरीर की सामान्य गतिविधि के दौरान निकलती है। उन्होंने ऐसी मशीनें लगाईं जो बहुत हल्की रोशनी भी पकड़ सकती हैं, और पाया कि यह रोशनी सिर के बाहर से भी नजर आ सकती है।
इसका मतलब यह है कि आगे चलकर इस तकनीक से हम दिमाग की सेहत को समझ सकेंगे, बीमारियों का पता लगा सकेंगे, और शायद हर व्यक्ति के सोचने के तरीके की अपनी एक पहचान बनाई जा सकेगी — एक “प्रकाश पहचान पत्र”।
(प्रस्तुति -त्रिपाठी किसलय इन्द्रनील)