AI से जुड़ा यह सवाल प्रायः जिज्ञासा का विषय बन सकता है..इसका उत्तर यहाँ जानिये..
हाँ, AI द्वारा जेनरेट किए गए टेक्स्ट को कभी-कभी पहचाना जा सकता है, लेकिन यह AI मॉडल की सक्षमता, दिए गए प्रॉम्प्ट और मानव द्वारा एडिटिंग जैसे कारकों पर निर्भर करता है। AI टेक्स्ट को पहचानने के कुछ तरीके इस प्रकार हैं:
भाषा और लेखन शैली से पहचान
बहुत औपचारिक या सामान्य भाषा – AI अक्सर तटस्थ और पॉलिश्ड भाषा का उपयोग करता है।
दोहराव वाले वाक्य – कुछ AI मॉडल एक जैसे वाक्य ढांचे का बार-बार उपयोग करते हैं।
व्यक्तिगत अनुभव या गहराई की कमी – AI व्यक्तिगत किस्सों या भावनात्मक विवरण में कमजोर हो सकता है।
टेक्निकल टूल्स द्वारा जाँच
AI डिटेक्टर (जैसे GPTZero, Copyleaks, OpenAI का टूल) – ये टूल AI द्वारा लिखे टेक्स्ट के पैटर्न को पकड़ते हैं।
पेरप्लेक्सिटी और बर्स्टिनेस टेस्ट – मानव लेखन में वाक्यों की लंबाई और जटिलता में ज्यादा विविधता होती है।
तथ्यात्मक गलतियाँ या असंगतियाँ
AI कभी-कभी सही लगने वाले लेकिन गलत तथ्य बना देता है (हैल्युसिनेशन)।
काल्पनिक स्रोतों या विवरणों को जोड़ सकता है।
मेटाडेटा और वॉटरमार्किंग
कुछ AI मॉडल टेक्स्ट में अदृश्य वॉटरमार्क छोड़ते हैं (हालाँकि सभी नहीं)।
कुछ टूल AI के शब्द चयन या वाक्य संरचना को पहचान लेते हैं।
AI टेक्स्ट को कम पहचाने जाने लायक कैसे बनाएँ?
मैन्युअल एडिटिंग करें – भाषा को प्राकृतिक बनाएँ, व्यक्तिगत विचार जोड़ें।
हाइब्रिड लेखन – AI ड्राफ्ट को मानवीय सम्पादन के साथ मिलाएँ।
प्रॉम्प्ट में निर्देश दें – AI को “कम रोबोटिक, ज्यादा मानवीय” लिखने को कहें।
कुल मिला कर कहा जा सकता है कि
जैसे-जैसे AI मॉडल्स सुधर रहे हैं, पहचानना मुश्किल होता जा रहा है। अगर आप चाहते हैं कि AI का उपयोग पारदर्शी हो (जैसे, स्पष्ट रूप से बताना), तो ठीक है। लेकिन अगर आप इसे प्राकृतिक बनाना चाहते हैं, तो मानवीय सम्पादन जरूरी है।
(प्रस्तुति – त्रिपाठी सुमन पारिजात)