पटना ११जुलाई। व्याकरण का ज्ञान ही संस्कृत सम्भाषण एवं महर्षि यास्क रचित निरुक्त ग्रंथ का आधार है। व्याकरण ज्ञान के बिना निरुक्त तथा संस्कृत सम्भाषण में समस्या होना स्वाभाविक है।
निरुक्त वैदिक शब्दों का निर्वचन ग्रंथ है।यास्क के अनुसार सभी शब्द धातुज हैं। नाम,आख्यात, उपसर्ग और निपात पदजात है, जिसका अध्ययन निरुक्त में किया जाता है-ये सभी बातें संस्कृत संरक्षण समिति की ओर से आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय अन्तर्जालीय महर्षि यास्क स्मृति संस्कृत व्याकरण ज्ञान शिविर के समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए डॉ मुकेश कुमार ओझा ने कही.
डॉ मुकेश कुमार ओझा आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा विहार संस्कृत संजीवन समाज पटना के महासचिव हैं। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि संस्कृत सम्भाषण शिविर भी ११जुलाई से लगातार ३४ वां अन्तर्जालीय दशदिवसात्मक होगा, जिसमें सरल पद्धति से संस्कृत बोलना सीखाया जाएगा।
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए गया कालेज गया के पाली विभागाध्यक्ष डॉ राजेश कुमार मिश्र ने कहा कि पाली भाषा के लिए भी संस्कृत का आवश्यक है।निरुक्त ज्ञान से वेदों का ज्ञान अति सरल हो जाता है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में अपने विचारों को व्यक्त करती हुई डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में संस्कृत आचार्या प्रो मनीषा बोदरा ने भी संस्कृत व्याकरण ज्ञान शिविर के आयोजन पर बल दिया।
इस अवसर पर ज्ञानी शारदेय, सुजाता घोष, कल्पना शर्मा,संजू शर्मा, राहुल कुमार पाण्डेय ने भी व्याकरण ज्ञान शिविर के महत्व पर विस्तृत जानकारी दिए।
इस अवसर पर संस्कृत व्याकरण ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन किया गया,जिसका संचालन प्रो ० राजेश कुमार मिश्र ने किया
इस प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार -ज्ञानी शारदेय, द्वितीय पुरस्कार -सुजाता घोष, तृतीय पुरस्कार -कल्पना शर्मा को मिला। धन्यवाद ज्ञापन ज्ञानी शारदेय तथा कल्याण मन्त्र मनीषा बोदरा ने प्रस्तुत किया।