Tuesday, October 21, 2025
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Sanathan Dharma: ओंकार के नाद का रहस्य बदल सकता है आपका जीवन

Sanathan Dharma:  "ॐ" ऐसा चमत्कारिक शब्द है जो कुछ ही दिनों में आपकी तमाम परेशानियों को खत्म करके आपके पूरे जीवन को बदलकर रख सकता है..

Sanathan Dharma:  “ॐ” ऐसा चमत्कारिक शब्द है जो कुछ ही दिनों में आपकी तमाम परेशानियों को खत्म करके आपके पूरे जीवन को बदलकर रख सकता है..

तमाम लोगों का ये कहना होता है उन पर काम का बोझ इतना ज्यादा है कि वे चाहकर भी भगवान के ध्यान, पूजा पाठ, योग व प्राणायाम के लिए समय नहीं निकाल पाते. ऐसे लोगों को कम से कम सुबह उठकर और रात में सोते समय शांति से बैठकर दो मिनट के लिए “ॐ” का जाप करना चाहिए….

“ॐ” की शक्ति

धार्मिक रूप से “ॐ” शब्द को बहुत शक्तिशाली माना गया है. शब्द ब्रह्म की उत्पत्ति ओम से हुई है। इसमें पूरा ब्रह्मांड समाया हुआ है. जब हम किसी मंत्रोच्चारण से पहले इस शब्द को बोलते हैं तो उस मंत्र का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है. ॐ शब्द बोलते समय हमारे गले और शरीर में एक तरह का कंपन होता है, इसकी वजह से थायरॉयड, बीपी, लंग्स, पेट की समस्याएं ठीक होती हैं और शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बेहतर होती है. तमाम वैज्ञानिक भी मानते हैं कि ॐ के नियमित जाप से तनाव, डिप्रेशन, गुस्सा, अनिद्रा जैसी समस्याएं काफी नियंत्रित हो जाती हैं…

शांत जगह पर बैठें

ॐ केवल एक शब्द नहीं है, बल्कि ध्वनि है. जब हम इसका जाप करते हैं तो बोलते समय उत्पन्न हुई उस ध्वनि से ही हमें कई तरह के फायदे होते हैं. इसलिए इसका जाप हमेशा ऐसी जगह पर करना चाहिए जहां कोई शोरशराबा न हो..।

गहराई से करें उच्चारण

ॐ का उच्चारण करते समय स्वर को जितना ऊंचे रखेंगे और जितनी गहराई से इसे बोलेंगे, आपको इसके उतने ही बेहतर लाभ मिलेंगे….

पद्मासन में करें जाप

ॐ का उच्चारण करने से पहले जमीन पर आसन लगाएं और पद्मासन में बैठें. इसके बाद आंखें बंद करके सांस खींचें और फिर पेट से ॐ की आवाज़ को निकालते हुए सांस छोड़ते चले जाएं.,,यदि आप पद्मासन नहीं लगा सकते तो रीड की हड्डी व गर्दन सीधी रखकर कुर्सी पर बैठकर भी ध्यान पूर्वक ॐ का जप कर सकते हैं…

सुबह और रात का समय

शास्त्रों के अनुसार दिन के चौबीस घंटों में से कुछ घंटों का समय ऐसा होता है जब ईश्वरीय शक्ति अपने चरम पर होती है. इस समय में किया गया जाप, पाठ, आराधना अधिक फलित होते हैं. इसलिए ॐ का जाप भी सुबह जल्दी और रात सोने से पहले करना चाहिए ताकि इसका पूरा फायदा आपको मिल सके…।।

रसोऽहमप्सु कौन्तेय प्रभास्मि शशिसूर्ययोः।
प्रणवः सर्ववेदेषु शब्दः खे पौरुषं नृषु॥

भगवान प्रकृति के कण-कण में अपनी सत्ता बताते हुए कहते हैं:
हे कुन्तीपुत्र! मैं ही जल का स्वाद हूँ, सूर्य तथा चन्द्रमा का प्रकाश हूँ, समस्त वैदिक मन्त्रो में ओंकार हूँ, (इसीलिए प्रत्येक मंत्र का आरंभ “ॐ” से किया जाता है) आकाश में ध्वनि हूँ और मनुष्यों द्वारा किया जाने वाला पुरुषार्थ भी मैं ही हूं। ॐ

(अज्ञात वीर)

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