Tuesday, October 21, 2025
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Trump की वीज़ा पॉलिसी से हिला भारतीय वेडिंग मार्केट – NRI दूल्हों की डिमांड में आई भारी गिरावट

Trump: ट्रंप का यह ‘वीज़ा बम’ भारतीय विवाह मंडी में हलचल मचा रहा है। अब वह धारणा, जिसमें अमेरिका में बसे एनआरआई वर को सबसे आकर्षक विकल्प माना जाता था, धीरे-धीरे कमजोर पड़ रही है..

Trump: ट्रंप का यह ‘वीज़ा बम’ भारतीय विवाह मंडी में हलचल मचा रहा है। अब वह धारणा, जिसमें अमेरिका में बसे एनआरआई वर को सबसे आकर्षक विकल्प माना जाता था, धीरे-धीरे कमजोर पड़ रही है..

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा H-1B वीज़ा फीस को बढ़ाने की घोषणा का असर भारत तक देखने को मिल रहा है। शादी-ब्याह के बाजार में इसका सबसे बड़ा साइड इफेक्ट सामने आया है—जहाँ अब तक एनआरआई दूल्हों की खूब डिमांड रहती थी, वहीं अब परिवार उनकी ओर कम झुकाव दिखा रहे हैं।

क्या है ट्रंप का नया वीज़ा नियम?

H-1B वीज़ा दरअसल अमेरिका का एक अस्थायी कार्य वीज़ा है, जो वहां की कंपनियों को विदेशी पेशेवरों को नियुक्त करने की अनुमति देता है। आईटी, इंजीनियरिंग, मेडिकल, शिक्षा और वित्त जैसे क्षेत्रों में यह सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है। ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में नियम बदले हैं, जिसके तहत अब किसी विदेशी कर्मचारी की नई नियुक्ति या दोबारा प्रवेश के लिए कंपनियों को हर आवेदन पर 1 लाख अमेरिकी डॉलर (करीब 88 लाख रुपये) फीस देनी होगी।

भारतीयों पर सबसे ज्यादा असर

यह बदलाव भारत के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस वीज़ा का सबसे बड़ा लाभ भारतीय नागरिकों को ही मिलता है। आँकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024 में H-1B वीज़ा पाने वालों में लगभग 71% भारतीय थे। हालाँकि, व्हाइट हाउस ने सफाई दी है कि यह अतिरिक्त शुल्क मौजूदा वीज़ा धारकों पर लागू नहीं होगा, बल्कि केवल नए आवेदनों पर ही देना होगा। नवीनीकरण कराने वालों को भी इससे छूट रहेगी।

NRI दूल्हों के प्रति घटा उत्साह

भले ही स्पष्टीकरण मिल चुका हो, लेकिन भारतीय समाज में इसका असर दिखाई देने लगा है। जो परिवार अब तक अमेरिका बसे एनआरआई लड़कों को ‘बेहतर भविष्य’ की गारंटी मानते थे, वे अब असमंजस में हैं। रिपोर्टों में कहा गया है कि वीज़ा फीस बढ़ने और अमेरिकी इमिग्रेशन पॉलिसी सख्त होने के बाद कई लोग ऐसे रिश्तों को टालने लगे हैं।

मैचमेकिंग इंडस्ट्री का अनुभव

बेस्पोक मैचमेकिंग कंपनी वॉज़ फॉर एटर्निटी की संस्थापक अनुराधा गुप्ता बताती हैं कि हाल के महीनों में इस बदलाव को व्यापक तौर पर महसूस किया जा रहा है। उनके अनुसार, अमेरिका लंबे समय से भारतीय प्रवासियों की सबसे बड़ी आबादी का घर रहा है और करीब 21 लाख एनआरआई वहां रहते हैं। इन्हें अक्सर सबसे ‘पसंदीदा वर’ माना जाता रहा है, मगर अब यह धारणा बदल रही है।

युवाओं की सोच पर असर

हरियाणा की मेडिकल छात्रा सिद्धि शर्मा, जो अमेरिका में बसने का सपना देख रही थीं, अब अपने फैसले पर दोबारा विचार कर रही हैं। उनका कहना है कि शादी के बाद यूएस में रहने की उनकी तमन्ना थी, लेकिन ट्रंप की नीतियों ने उन्हें निराश कर दिया।

विवाह बाजार में गिरावट और कंपनियों पर असर

क्विक मैरिज़ेस की एमडी वनजा राव के मुताबिक, अभी तक एनआरआई वरों की डिमांड बहुत ऊँची रहती थी, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। वे कहती हैं कि कई परिवार इस समय विदेशी वरों से शादी की योजनाओं को टाल रहे हैं। इससे विवाह-सेवा देने वाले कारोबार पर भी सीधा असर पड़ा है।

कंपनियों की नई रणनीति

रिपोर्ट्स में सामने आया है कि कुछ मैचमेकिंग प्लेटफ़ॉर्म अब उम्मीदवारों की वीज़ा स्थिति को ध्यान में रखकर फ़िल्टर मुहैया करा रहे हैं। उदाहरण के लिए, प्रीमियम ऐप Knot.Dating ने हाल ही में एक विशेष फीचर जोड़ा है, जिसमें परिवार संभावित जीवनसाथी के अमेरिकी वीज़ा स्टेटस को पहले ही देख सकते हैं। कंपनी का कहना है कि सितंबर से अब तक लगभग 1,000 एनआरआई ने इस पर पंजीकरण कराया है, जिनमें से 60% H-1B वीज़ा धारक हैं।

(प्रस्तुति – त्रिपाठी पारिजात)

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