Tuesday, October 21, 2025
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Editorial on Juta: जूता हो तो ऐसा हो -वर्ना न हो !

Editorial on Juta: पहली बार जूतों की दुनिया में उत्साह देखा जा रहा है..पहली बार उनको लगा है कि उनकी भी कोई औकात है..उनमें भी कोई बात है..

Editorial on Juta: पहली बार जूतों की दुनिया में उत्साह देखा जा रहा है..पहली बार उनको लगा है कि उनकी भी कोई औकात है..उनमें भी कोई बात है..

न जूता बुरा है
न जूता चलाना बुरा
बुरा कुछ होता है तो बस नियत बुरी होती है
नियत साफ रखें और नित्य जूता चलायें !

संविधान की धाराओं में जूता-संचालन पर
कोई दंड निर्धारित नहीं है
यदि ऐसा होता तो जूते महंगे हो जाते
औऱ जूते खरीदने के लिये लाइसेन्स लेना पड़ता !

दुख इस बात का है कि
जूता आपका चमड़े का है
जो उस आदमी को
कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता
जो मोटी चमड़ी का है !

इसलिये हमारे देश में जूते की फील्ड में भी
कोई क्रियेटिविटी होनी चाहिये
कोई नये ढंग का जूता
इस तरह का लांच किया जाये
जो मोटे आसामी और मोटी चमड़ी के
हर्र आमी पर ऐसी धूमधाम करे
कि आनंद आ जाये दोनो तरफ !

उस महपुरुष को भी लगना चाहिये
कि कभी जूता चला था
और बढ़िया चला था
बन जाये यादगार
भुलाये न भूले जूते का प्यार !

याद रखिये जूता अभी
कानून की किताब में
हथियार नहीं बना है
इसलिये आप इसे कानूनन
हथियार बना सकते हैं
आपको बस नीयत साफ रखनी है
जूता चलाते समय आपके मन में मैल न हो
आपके भीतर क्रोध घृणा काम वासना आदि
नकारात्मक भाव न हों !

आप जूता बिलकुल शुद्ध मन से चलायें
और अपना सौ प्रतिशत दें
ताकि जूते को भी लगे
कि आज उसका सौ प्रतिशत इस्तेमाल हुआ है
तब स्वयं जूता भी चलाने वाले पर गर्व करना चाहेगा !

स्मरण रहे, आम आदमी को सरकार ने
वोट के अलावा कोई हथियार नहीं दिया है
आम आदमी को उसकी जिन्दगी ने बस एक ही
हथियार दिया है – जूता !

या तो जूते से चल कर जाओ
या हाथ में लेकर जूता चलाओ
सरकारी दफ्तरों में काम के लिये जूते घिसो
या अपनी निकम्मी पार्टी के
महानिकम्मे नेता के जूते चाटो
ये सारे जूते के कॉमन उपयोग हैं !

पर जब आप जूते का विशेष उपयोग करते हैं
तब आप उसकी पूरी कीमत वसूलते हैं
तब आपको लगता है आप दुर्बल नहीं हैं
आप के हाथ में कुछ नहीं है -ऐसा भाव
शनैः शनैः जाता रहता है
आपके अंदरखाने में
क्योंकि अब आपके हाथ में जूता है !

मजे की बात
जूता ऐसा खास किसम का हथियार है
जो पड़के ही रहता है
मारा तब तो पड़ा ही
उतारा तब भी पड़ा
और दिखाया तब भी पड़ा !

ये न रामपुरी है न कोल्हापुरी
न ये है AK फोर्टी सेवन
ये है बाटा नंबर वन
यह आम आदमी का अस्त्र है
और जब यह ‘खास’ आदमी की
धूल झाड़ता है तब यह
ब्रम्हास्त्र बन जाता है !

दुर्भाग्य से समझदारों की साजिशों ने
इसे भी गुप्त ज्ञान बना रखा था
आम आदमी को पता ही नहीं था
कि उसके पास भी कोई हथियार है
जिसे पूरे मनोयोग से चला कर
किसी भी करमजले जनमजले को
आदमी बनाया जा सकता है !

धन्यवाद देना होगा आजादी के बाद के
हमारे ऐसे क्रान्तिकारी भाइयों को
जिन्होंने समय-समय पर
इस हथियार का सदुपयोग किया है
और हम जैसे नालायक आम आदमियों के
प्रेरणा स्रोत बने हैं !

माना कि ये जूते की बात है
पर सबक बूते की बात है -ऐसा भी नहीं है
इसके लिये आपके हृदय में
करुणा ममता दया आदि
कामबिगाड़ू भाव नहीं होने चाहिये
तभी आप जूता-संचालन में
इतिहास रच सकते हैं !

मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में
26 जनवरी को ऐसे वीर युवकों को
बहादुरी का पुरस्कार दिया जायेगा
जिन्होंने जूता चलाने की कला को
एक नई दिशा प्रदान की है !

देश के सभी जोशीले नौजवानों से आग्रह है
कि अच्छे और मजबूत जूते पहनें
लेकिन ध्यान रखें- जूते टाइट न हों
ढीले जूते होंगे तो लाभ ये होगा कि
उतारने में न ताकत लगेगी न देर !

और आप फटाफट
इज्जत उतारने में भी सफल रहेंगे
और भूत उतारने में भी !

(त्रिपाठी पारिजात)

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