Friday, August 8, 2025
Google search engine
Homeधर्म- ज्योतिषAcharya Anil Vats: धर्मपत्नी के भाई को साला क्यों कहते हैं?

Acharya Anil Vats: धर्मपत्नी के भाई को साला क्यों कहते हैं?

Acharya Anil Vats: धर्मपत्नी के भाई को साला क्यों कहते हैं , कितना श्रेष्ठ और सम्मानित होता है "साला" शब्द, आइये प्राप्त करते हैं इस विषय में रोचक जानकारी..

Acharya Anil Vats: धर्मपत्नी के भाई को साला क्यों कहते हैं , कितना श्रेष्ठ और सम्मानित होता है “साला” शब्द, आइये प्राप्त करते हैं इस विषय में रोचक जानकारी..

साला शब्द आज की हिंदी का प्रचिलित शब्द है. प्राचीन काल में देव भाषा संस्कृत भारत की भाषा थी. मूल रूप से साला शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘श्याल’ से हुई है. बोलते बोलते श्याल शब्द घिस गया और बरसों बरस घिस घिस कर इसको जनभाषा ने साला बना दिया.

आज यह शब्द जनभाषा में ही एक आम गाली जैसा बन गया है. हम प्रचलन की बोलचाल में साला शब्द को एक “गाली” के रूप में देखते हैं. साथ ही “धर्मपत्नी” के भाई/भाइयों को भी “साला”, “सालेसाहब” के नाम से इङ्गित करते हैं।

“पौराणिक कथाओं” में से एक “समुद्र मन्थन” में  हमें एक जिक्र मिलता है, मन्थन से जो 14 दिव्य रत्न प्राप्त हुए थे वो :

कालकूट (हलाहल),
ऐरावत,
कामधेनु,
उच्चैःश्रवा,
कौस्तुभमणि,
कल्पवृक्ष,
रम्भा (अप्सरा),
महालक्ष्मी,
शङ्ख (जिसका नाम साला था !),
वारुणी,
चन्द्रमा,
शारङ्ग धनुष,
गन्धर्व और अन्त में
अमृत

“लक्ष्मी जी” मन्थन से “स्वर्ण” के रूप में निकली थीँ, इसके बाद जब “साला शङ्ख” निकला,
तो उसे लक्ष्मी जी का भाई कहा गया !

दैत्य और दानवों ने कहा कि अब देखो लक्ष्मी जी का भाई साला (शङ्ख) आया है ..
तभी से ये प्रचलन में आया कि नव विवाहिता “बहू” या धर्मपत्नी जिसे हम “गृहलक्ष्मी” भी कहते है,
उसके भाई को बहुत ही पवित्र नाम “साला” कह कर पुकारा जाता हैं।

समुद्र मन्थन के दौरान “पाँचजन्य साला शङ्ख” प्रकट हुआ, इसे भगवान विष्णु ने अपने पास रख लिया।इस शङ्ख को “विजय का प्रतीक” माना गया है, साथ ही इसकी ध्वनि को भी बहुत ही शुभ माना गया है।

विष्णु पुराण के अनुसार माता लक्ष्मी समुद्रराज की पुत्री हैं तथा शङ्ख उनका सहोदर भाई है।
अतः यह भी मान्यता है कि जहाँ शङ्ख है, वहीं लक्ष्मी का वास होता है। इन्हीं कारणों से हिन्दुओं द्वारा पूजा के दौरान शङ्ख को बजाया जाता है।

जब भी धन-प्राप्ति के उपाय करें, “शङ्ख” को कभी नजर अन्दाज़ ना करें, लक्ष्मी जी का चित्र या प्रतिमा के नजदीक रखें।

जब भी किसी जातक का साला या जातिका का भाई खुश होता है तो ये उनके यहाँ “धन आगमन” का शुभ सूचक होता है. और इसके विपरीत साले से सम्बन्ध बिगाड़ने पर जातक घोर दरिद्रता का जीवन जीने लगता है।

अतः साले साहब को सदैव प्रसन्न रखें, लक्ष्मी स्वयं चल कर आपके घर दस्तक देगी और है तो बनी रहेगी !! l

साभार वेद दर्शन, शास्त्र ज्ञान

(प्रस्तुति – आचार्य अनिल वत्स)

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments