Chandrabir Oli जी, आप आदर्श हैं आज की दुनिया में परिस्थितियों से पराजित आमजनों के लिये.. कर्मयोद्धा हैं आप इस मृतप्राय मानवता की वसुन्धरा पर..
नेपाल के दांग, तुलसीपुर के रहने वाले चंद्रबीर ओली ने जब अपने नेत्रहीन बच्चों को उबड़-खाबड़ रास्तों पर गिरते और परेशान होते देखा तो उन्होंने 72 साल की उम्र में खुद अपने हाथों से पहाड़ तोड़कर एक 4 किलोमीटर लंबी सड़क बना दी।
उन्होंने 2 साल तक दिन-रात मेहनत कर, पत्थर तोड़कर और मिट्टी हटाकर सड़क बनाई। बिना किसी सरकारी मदद के, अकेले अपने दम पर यह काम किया।
आज उनकी उम्र 80 साल है और उनकी बनाई इसी सड़क पर आज गाड़ियाँ चलती हैं, जिससे उनके बच्चों और गाँववालों को बहुत राहत मिली है।
वह नेपाल के रोल्पा में जन्मे थे और 25 साल की उम्र में काम की तलाश में भारत चले गए। नेपाल लौटने के बाद जो थोड़ा-बहुत पैसा बचाया, उससे ज़मीन खरीदी।
उन्होंने अपने ही गाँव की एक नेत्रहीन महिला से शादी की, और उनके पाँच बच्चे हुए, जिनमें से केवल सबसे छोटा बच्चा देख सकता है। उनके बेटे आज गाने गाकर आजीविका कमाते हैं।
चंद्रबीर ओली का यह संघर्ष सिर्फ एक सड़क बनाने की कहानी नहीं है, बल्कि यह त्याग, समर्पण और निःस्वार्थ प्रेम की अनोखी मिसाल है। उनकी बनाई सड़क सिर्फ पत्थर और मिट्टी का रास्ता नहीं, बल्कि एक पिता के संघर्ष और जीत की कहानी है!
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(अज्ञात वीर)