Cricket: होली के शुभ अवसर पर यह सच्ची कहानी न्यूज़ीलैण्ड से चल कर इंडिया आई है..पढ़िए और कहिये -बुरा न मानो होली है !
गोरखपुर जिले में सुनारों वाली एक गली हैं। वहां एक मशहूर सुनार हुआ करते थे उन्हीं के नाम से ” झून बाबू ” वो जगह जानी जाती हैं। उनकी दुकान पर काम करने आया एक लड़का जो उन्हीं की जाति का था। पर आर्थिक रूप से कमजोर था इसलिए खान पान और उचित वातावरण ना मिलने की वजह से शारीरिक रूप से भी कमजोर था। नाम था उसका कन्हैया बर्नवाल!
एज एन इंटर्न वो अपना काम लगन से कर भी रहा था और सीख भी रहा था। कि कैसे फीमेल कस्टमर को बहन जी, माता जी ,भाभी जी बोल बोल कर उनसे सोना खरीदवा लेना है अपनी दुकान से। उसी दुकान के मालिक की एक बेटी थी जिसका चक्कर एक ब्राह्मण जाति के लड़के के साथ चल रहा था।
लेकिन उसने जबसे कन्हैया को देखा था वो उसकी राधा बनने के सपने देखने लगी थी। दोनों जवान थे,, हम उम्र थे इसलिए एक दूसरे के प्रति आकर्षित होना आम बात थी ऐसे में। लेकिन कन्हैया फिर भी मर्यादा में रहता था।
एक दूध वाला ग्वाला सुबह सुबह रोज झुन बाबू के यहां दूध देने आता था। एक दिन वो दारू के नशे में नालियों में पूरी रात स्विमिंग सीख रहा था। इस वजह से दूध देने उसका बेटा आया जो उस कपटी ब्राह्मण का मित्र भी था। जैसे कभी कृष्ण और सुदामा मित्र थे उसी तरह।
उस ग्वाले के लड़के ने कन्हैया और उस लड़की को नैन मटक्का करते देख लिया। और पूरा वृतांत अपने ब्राह्मण मित्र को सुना आया आंखों देखा हाल। ब्राह्मण अपने साथ और भी दोस्तो को लेकर निकला घर से।
रास्ते में उसे रुस्तमपुर और गोलघर में भारी ट्रैफिक जाम मिल जाने की वजह से शाम हो गई इसलिए उसने कन्हैया को टाइट करने का प्लान अगले दिन रख लिया। लेकिन यादव मित्र द्वारा ललकारने पर कि कैसा ब्राह्मण हैं तू ? तेरी महिला मित्र के साथ वो शाम को ही रंग मनाता हैं चल उनके रंग में भंग डालने का इससे अच्छा अवसर नहीं मिलेगा दुबारा।
कृष्ण ने जिस तरह अर्जुन का मार्गदर्शन किया था उसी तरह ब्राह्मण मित्र तेजनारायण पाण्डेय का मार्गदर्शन भगेलू यादव ने किया। सब दुकान के सामने इक्कठा हो गए और कन्हैया को मार मार के दुंबा बना दिए। तेजनारायण पाण्डेय मारने में व्यस्त थे उधर भगेलू यादव दुकान से सोना लूटने में व्यस्त थे।मार मार के अधमरा कर सब चले गए। भगेलू यादव पूरे रास्ते बडबडा रहा था इन सबको बेचकर एक दर्जन भैंस खरीदूंगा।
कन्हैया का इलाज चारगवा मेडिकल में हुआ। महीने बाद होश आया तो इसे पता चला कि उसकी महिलामित्र को कोई और चरा रहा हैं और सोना लूटने का इल्ज़ाम भी इसी पर लगाया गया है। चुपके से कन्हैया ने महराजगंज डिपो की बस पकड़ी और सोनौली बॉर्डर पार कर नेपाल भाग गया। नेपाल से होते हुए न्यूजीलैंड चला आया।
कन्हैया जिस शॉप में काम करता उस शॉप का मालिक विलियम बहुत उदार था। उसको जब कन्हैया के भूतकाल के बारे में पता चला तब उसने कन्हैया से कहा ” आज से तू विलियम का सन हैं ” और तेरा नाम कन्हैया नहीं बल्कि केन होगा। इस तरह तुझे यहाँ लोग केन विलियमसन के नाम से जानेंगे।
(अज्ञात वीर)