Devendra Sikarwar के इस आलेख में पढ़िये भारत की वैश्विक अर्थव्यवस्था में उन्नयन के मार्ग पर चुनौतियां कम नहीं हैं..परंतु भारत की क्षमता और संकल्प भी किसी तरह कम नहीं है..
2014 में कांग्रेस सरकार के समय भारत की अर्थव्यवस्था का आकार 2.04 ट्रिलियन डॉलर था और यह विश्व की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी जो आज भाजपा सरकार के दस वर्षों में 25 मई 2025 तक यह बढ़कर 4.33 ट्रिलियन डॉलर हो गई है, जिससे भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है।
इस दौरान भारत की औसत वार्षिक वृद्धि दर 6-8% रही, जो वैश्विक औसत (लगभग 2.7-3%) से कहीं अधिक है।
निःसंदेह इसके लिए मोदी सरकार को सौ में से सौ नंबर दिये जा सकते हैं। क्योंकि अब शीघ्र ही भारत जर्मनी की 4.4 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था को पछाड़कर अमेरिका व चीन के बाद विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाला है तो जाहिर है आगे का रास्ता कठिन होने वाला है क्योंकि दूसरे नंबर पर काबिज चीन और हमारे बीच पूरे 15 ट्रिलियन डॉलर का अंतर है जिसके लिए सरकार व जनता को बहुत कठोर परिश्रम करना होगा।
इस संदर्भ में हमारे समक्ष कई कठिनाइयाँ हैं:
1)जनसंख्या:- जनसंख्या वृद्धि के लिए अत्यंत तीव्र मुस्लिम प्रजनन दर, अवैध मुस्लिम घुसपैठिये एवं हिंदू समाज का आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग जिम्मेदार है। जनसंख्या वृद्धि के अतिरिक्त खराब जीनोम की वृद्धि भी चिंताजनक है।
2)अकुशल श्रम एवं कम उत्पादकता: भारत में प्रति हैक्टेयर उपज और प्रति पशु दूध उत्पादन बहुत कम है। (वास्तविक उत्पादन तो आधा ही है)और श्रमिकों में कार्यकुशलता अपेक्षाकृत कम है।
3)शिक्षा व्यवस्था:- भारत की शिक्षा व्यवस्था सिर्फ रोजगारोन्मुखी है जबकि इसे उद्यमोन्मुखी एवं व्यक्तित्वोन्मुखी होना चाहिए।
4)ग्राम नियोजन व नगर नियोजन:- यह भारत की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है जिसके कारण अस्वच्छता, रोग और मानसिक विकास में अवरोध पैदा होते हैं।
5)अर्थव्यवस्था का विकेन्द्रीकरण:- बढ़ती जनसंख्या के अनुपात में रोजगार विहीनता और शहरी सुविधाओं के ग्रामों मे न होने के कारण रोजगार विशेषतः व्हाइट कॉलर जॉब व शहरी चमक दमक के लालच में गाँवों से शहरों विशेषतः महानगरो में पलायन हो रहा है। एक आकलन के अनुसार आने 2050 तक भारत कि 65% से अधिक जनता शहरों में निवास करने लगेगी।
6)पर्यावरण:- प्रदूषण का शिकार होकर नालों के रूप में बदलती व भू माफियाओं द्वारा लुप्त होतीं नदियाँ व तालाब, कटते हुए पेड़, कम वर्षा व घटता भू जल स्तर भारत की सबसे बड़ी आगामी समस्या होने वाली है।
7)निजी स्वच्छता :- यह आश्चर्य है कि प्राचीन भारत के विपरीत आधुनिक भारत में शारीरिक, भाषिक और चरित्र स्वच्छ्ता की भारी कमी है। ऊष्ण व नमी प्रधान देश होने के उपरान्त भी डियोडेरेंट व परफ्यूम अभी भी जीवन का सहज अंग नहीं बन पाए हैं। ग्रामीण बसें छोड़िये महानगरीय मेट्रो में शाम को यात्रा करना एक भयानक अनुभव होता है। खुले भोज्य पदार्थ, पसीना टपकाते व नीचे के अंगों को खुजाते हुए हलवाई, भोजन में गंदगी, दूषित व मिलावटी भोजन, माँ-बहन की गालियों का सिनेमा से होते हुए महानगरीय लड़कियों तक किया जाता उन्मुक्त प्रयोग और यौन लोलुपता का प्रसार भी बहुत बड़ी चुनौतियाँ हैं।
(इन चुनौतियों के समाधान का लेख अगली पोस्ट में)
(देवेन्द्र सिकरवार)