Wednesday, August 6, 2025
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Dharmendra: खूबसूरत अभिनेता धर्मेन्द्र की कहानी और उनसे जुड़ी सच्चाई

Dharmendra:अभिनेता धर्मेन्द्र को लेकर लोगों में दो बड़ी गलतफहमियाँ फैली हैं – कुछ लोग उन्हें जाट मानते हैं तो कुछ उन्हें सिख। लेकिन हकीकत ये है कि वो इनमें से कोई नहीं हैं..

Dharmendra:अभिनेता धर्मेन्द्र को लेकर लोगों में दो बड़ी गलतफहमियाँ फैली हैं – कुछ लोग उन्हें जाट मानते हैं तो कुछ उन्हें सिख। लेकिन हकीकत ये है कि वो इनमें से कोई नहीं हैं..

अभिनेता धर्मेन्द्र को लेकर लोगों में दो बड़ी गलतफहमियाँ फैली हैं – कुछ लोग उन्हें जाट मानते हैं तो कुछ उन्हें सिख। लेकिन हकीकत ये है कि वो इनमें से कोई नहीं हैं। ये भ्रम इसलिए फैला क्योंकि उनके अच्छे दोस्त पहलवान दारा सिंह ने उन्हें जाट महासभा से जुड़वाया था। राजनीति में भी धर्मेन्द्र को दारा सिंह ही लेकर आए थे, और उन्हें बीजेपी में शामिल करवाया था।

धर्मेन्द्र ने जब राजनीति में बीकानेर सीट से चुनाव लड़ा (जहां जाटों की संख्या ज्यादा है), तो उनकी “जाट” पहचान लोगों को ठीक लगी। वैसे भी फिल्मों में धर्मेन्द्र अक्सर पंजाबी देहाती किरदार निभाते थे, जो दर्शकों को पसंद आते थे।

धर्मेन्द्र का परिवार और असली पहचान

धर्मेन्द्र के पिता का नाम मास्टर केवल कृष्ण था। वे संस्कृत के अध्यापक थे और एक आर्य समाजी स्कूल में पढ़ाते थे। वे हर रविवार यज्ञ करवाते थे। मास्टर केवल कृष्ण हिंदू थे और कंबोज जाति से आते थे। पंजाब में देओल गोत्र कंबोज समाज में आता है, जो जाटों से अलग समाज है।

धर्मेन्द्र की माँ सिख कंबोज परिवार से थीं। जब तक धर्मेन्द्र ने खुद घर नहीं खरीदा था, तब तक उनका परिवार अपनी बुआ के घर में ऊपर वाली मंज़िल पर रहता था।

सन 1965 में धर्मेन्द्र ने पंजाब में अपना पहला घर खरीदा जो उनकी बुआ के घर के पास ही था। 1960 से 1965 तक वे मुंबई से पंजाब ट्रेन से जाया करते थे, बाद में वे दिल्ली तक फ्लाइट से आते और वहाँ से एम्बेसडर टैक्सी लेकर पंजाब जाते।

मुंबई की शुरुआत

मुंबई में धर्मेन्द्र ने पहला घर विले पारले में खरीदा, जहां वे और उनके छोटे भाई अजीत देओल रहते थे। ये घर भी दारा सिंह की सलाह पर खरीदा गया था क्योंकि वो भी वहीं रहते थे। इसी दौरान धर्मेन्द्र का मीना कुमारी से प्रेम संबंध था।

दिलचस्प बात ये है कि जब धर्मेन्द्र फिल्मों में आए, तब फिल्म इंडस्ट्री में किसी को पता नहीं था कि वो पहले से शादीशुदा हैं।

पढ़ाई और शुरुआती नौकरी

धर्मेन्द्र ने मैट्रिक पास करने के बाद रामगढ़िया कॉलेज में एक साल पढ़ाई की और फिर सरकारी पंप ड्राइवर की नौकरी मिल गई। उनकी पहली पोस्टिंग मलेरकोटला में हुई। वे वहाँ साइकिल से 20 किलोमीटर रोज सफर करते थे। मलेरकोटला में ही उनकी मुलाकात प्रकाश कौर से हुई, जो जट सिख थीं। दोनों ने 1955 में शादी कर ली।

मुंबई में परिवार बसाना

1969 में धर्मेन्द्र ने जुहू में नया घर खरीदा, क्योंकि बॉबी देओल का जन्म होने वाला था। 1970 आते-आते उन्होंने अपने माता-पिता, पत्नी और बच्चों को भी मुंबई बुला लिया। अब पूरा परिवार जुहू के बंगले में रहता था, जबकि विले पारले वाले पुराने घर को उन्होंने गायों का तबेला बना दिया। उनके छोटे भाई अजीत देओल भी अपने परिवार के साथ जुहू बंगले में रहने लगे।

रिश्तेदारों का जुड़ाव और प्रेरणा

धर्मेन्द्र के कुछ रिश्तेदार पंजाब में ही रह गए थे – उनके चाचा, जो वैद्य थे और उनकी बुआ, जिनके घर धर्मेन्द्र का परिवार पहले रहा करता था। उनकी बुआ की शादी ढडवाल राजपूत परिवार में हुई थी।

धर्मेन्द्र के पिता मास्टर केवल कृष्ण की एक आर्य समाजी दोस्त से अच्छी दोस्ती थी। उन्होंने अपनी बेटी की शादी उसी दोस्त के बेटे से कर दी थी। धर्मेन्द्र के फूफा (बुआ के पति) इंजन पार्ट्स की फैक्ट्री चलाते थे। इन्हीं फूफा ने धर्मेन्द्र की सुंदरता देखकर उन्हें फिल्मों में जाने की सलाह दी और खुद पैसे देकर मुंबई भेजा।

वीरेन्द्र – धर्मेन्द्र के भाई जैसे

धर्मेन्द्र अपनी बुआ के बेटे सुभाष कुमार से बहुत प्यार करते थे। उन्हें मुंबई बुलाया और फिल्मों में लाने की कोशिश की। सुभाष कुमार ने अपना नाम बदलकर वीरेन्द्र रखा और वे पंजाबी फिल्मों के पहले सुपरस्टार बन गए।

जैसे हिंदी फिल्मों में धर्मेन्द्र का सिक्का चलता था, वैसे ही पंजाबी फिल्मों में वीरेन्द्र छाए हुए थे। लेकिन खालिस्तान आतंकवाद के दौर में आतंकियों ने उनसे फिरौती मांगी, जो उन्होंने देने से मना कर दी। इसके बाद आतंकियों ने वीरेन्द्र की हत्या कर दी।

इस हादसे से धर्मेन्द्र का पूरा परिवार गहरे सदमे में आ गया। धर्मेन्द्र ने वीरेन्द्र के परिवार को मुंबई बुला लिया, जहाँ उनके दोनों बेटों की शादी बाद में मुंबई में हुई।

इस तरह धर्मेन्द्र का जीवन साधारण परिवार से शुरू होकर, कई संघर्षों और रिश्तों के सहारे, फिल्मों और राजनीति तक पहुंचा — लेकिन उनका सच्चा परिचय और पारिवारिक इतिहास बहुत कम लोग जानते हैं।

(प्रस्तुति – अंजू डोकानिया)

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