Wednesday, June 25, 2025
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Donald Trump के बयान को समझिये – जानिये क्या है अंदर का मतलब भारत के लिए

Donald Trump ने भी अब अंततः ये बात आधिकारिक कर दी है कि बाइडन प्रशासन ने भारत के चुनावो को प्रभावित करने की कोशिश की..

 

Donald Trump ने भी अब अंततः ये बात आधिकारिक कर दी है कि बाइडन प्रशासन ने भारत के चुनावो को प्रभावित करने की कोशिश की।

यह खुलासा भारत के लिये अच्छी बात भी है अमेरिका की जनता भी झूम रही है कि डोनाल्ड ट्रम्प ने अब भारत जाने वाले पैसे रोक लिये। ट्रम्प के नाम के नगाड़े बज रहे है मगर कोई ये नहीं समझ रहा कि ट्रम्प अमेरिका की नींव हिला रहे है।

अमेरिका सिर्फ कमजोर हो रहा है, जो लोग ट्रम्प का अंधा समर्थन कर रहे है इनमे ज्यादातर वे है जिन्होंने अमेरिका के सुपर पॉवर बनने की दास्ताँ नहीं पढ़ी। अमेरिका अपनी सेना से ज्यादा अपनी सॉफ्ट पॉवर की वज़ह से महाशक्ति है और यही वो जगह है जहाँ ट्रम्प चोट पहुंचा रहे है।

इसे आसान भाषा मे समझिये, नवाज शरीफ के समय पाकिस्तान चीन से करीबी बढ़ा रहा था। अमेरिका ने चीन का पैसा वेस्ट होने दिया और खामोश रहा, पहले नवाज शरीफ को इशारो मे समझाया ज़ब नहीं माना तो पनामा पेपर मे नाम आया और सत्ता हाथ से गयी।

इसके बाद इमरान खान आया, इमरान खान की सबसे बड़ी उपलब्धि यही थी कि उसने चीन पाक कोरिडोर को आगे बढ़ने ही नहीं दिया। चीन से दोस्ती खूब निभाई, पैसा भी लिया मगर काम कुछ आगे नहीं बढ़ा। 2018 तक तो कोरिडोर पूरा होना था मगर हालत हम सबको पता है।

फिर इमरान खान से अमेरिका को समस्या हुई तो तख्तापलट करके शहबाज शरीफ को बैठा दिया। ये सब अमेरिका ने कैसे किया? क्योंकि पाकिस्तान मे 1965 से ही अमेरिकी मशीनरी एक्टिवेट है। अमेरिका हर साल अपने कुछ मिलियन डॉलर खर्च करता है, कभी पाकिस्तान के कुछ अखबारों पर तो कभी उसके सैन्य अधिकारी पर।

इस तरह अमेरिका पाकिस्तान को नियंत्रित करता है और ये तो बहुत छोटा उदाहरण है। अमेरिका की ये सॉफ्टपॉवर श्रीलंका जैसे छोटे देशो मे भी काम करती है, इसलिए दुनिया का कोई भी देश हो उसका प्रमुख अमेरिका से टकराने से पहले 10 बार सोचता है। ये सॉफ्ट पॉवर काम नहीं करती है तो अमेरिका अपनी सेना भेजता है।

लेकिन भारत की तरह अमेरिका मे भी एक वर्ग है जो शिक्षित तो है मगर दूरदर्शी नहीं। वो नहीं समझता कि विदेशो मे डॉलर फेकने से क्या क्या होता है। उसे तो पाकिस्तान पर खर्च होने वाला पैसा एक जबरदस्ती लगता है जबकि ये एक हथियार है।

डोनाल्ड ट्रम्प इन्ही अमेरिकियो के सिर चढ़कर वाशिंगटन की गद्दी पर बैठे है। टैक्स कम करूँगा, पैसे बाहर नहीं जाने दूंगा और अमेरिका फर्स्ट ये सब वोट पाने के तरीके थे। डोनाल्ड ट्रम्प अपने वादे निभा रहे है जो दर्शाता है कि वे प्रतिबद्ध तो है।

भारतीय होने के नाते हमारे लिये तो अच्छे ही है क्योंकि अब अमेरिका के लिये भारत के आंतरिक मामलो मे हस्तक्षेप करना बहुत कठिन होगा उसके सारे पत्ते पहले ही खुले होंगे। लेकिन अमेरिका के संदर्भ मे डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका को एक अँधेरी गुफा मे ले जा रहे है।

शुरू का रास्ता तो बड़ा रोमांचक है मगर जैसे जैसे गुफा गहरी होती जायेगी अमेरिका को नई नई चुनौती मिलेगी। इसलिए डोनाल्ड ट्रम्प से आप खुश रहिये मगर वो जिस तरह से ताबड़तोड़ फैसले ले रहे है उससे प्रेरणा मत ले बैठना क्योंकि डोनाल्ड ट्रम्प के आज का आंकलन कम से कम 2035 तक हो पायेगा।

भारत के हित मे बस इतना है कि ऐसे नेता चुनिए जिनकी अप्रूवल रेटिंग बहुत ज्यादा हो, ध्यान रखना अप्रूवल रेटिंग की बात हो रही है वोट प्रतिशत की नहीं। मोदीजी का वोट प्रतिशत 36% है मगर अप्रूवल रेटिंग 78% है।

यही कारण था कि भारत को अस्थिर करने के लिये होने वाले लगभग सभी प्रयास असफल रहे और सरकार नहीं गिर सकी। किसी भी देश का इतिहास देख लीजिये अपवादों को छोड़कर तीसरी बार सरकार रिपीट नहीं होती है, 10 साल मे तो सत्ता विरोधी लहर की सुनामी आ जाती है। इसलिए अच्छी अप्रूवल रेटिंग वाले नेता को ही आगे बढ़ाना चाहिए।

(परख सक्सेना)

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