Wednesday, June 25, 2025
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Dr Vivek Arya writes: ये हैं उत्तर शाकाहार और मांसाहार पर किये जाने वाले प्रश्नों के

Dr Vivek Arya के सहज तर्क मांसाहार के समर्थकों के दुराग्रह को सर्वथा निरुत्तर करने हेतु पर्याप्त हैं..

Dr Vivek Arya के सहज तर्क मांसाहार के समर्थकों के दुराग्रह को सर्वथा निरुत्तर करने हेतु पर्याप्त हैं..

पढ़िये अपने प्रश्न और विवेक जी के उत्तर भी:

1. “लोग हमेशा से मांस खाते आए हैं और खाते रहेंगे।”
माफ़ कीजिए…! यह सत्य नहीं है। मानव इतिहास में कई संस्कृतियाँ मांसाहार से परहेज करती हैं। वैदिक मान्यता के अनुसार जीने वाले प्राचीन भारतीय मांस नहीं खाते थे। कुछ चीजें बीते समय में होती थी तो इसका मतलब यह नहीं कि हम उसे जारी रखें। कल तक TB जानलेवा थी। आज नहीं। तो क्या आज भी इसका इलाज ना करवाएँ?
2. “अकेले मेरे मांसाहार छोड़ने से कुछ नहीं बदलेगा।”
फ़र्क पड़ता है। 1 परिवार कम से कम 30 पशुओं को हर साल बचा सकता हैं। सिर्फ़ अमेरिका में लोगों ने पाँच साल पहले के मुकाबले पिछले साल कोई 400 कम जानवर खाए। और ऐसा ही भारत में भी हो रहा है। समय बदल रहा है।
3. “हमें प्रोटीन के लिये मांस खाना चाहिये।”
नहीं, ऐसा जरूरी नहीं है। प्रोटीन वनस्पतीय भोजन में भी प्रचुरता से भरे होते हैं। बीन्स (सेमफ़ली), मेवा से टोफ़ू और गेहूँ…. आपको पर्याप्त प्रोटीन प्राप्त करने के लिये मांसाहार की जरूरत नहीं है। यह एक मिथक है। । यदि मांस और प्रोटीन से ही स्वास्थ्य होता तो — अमेरिका मे 66% मोटे ना होते। आज प्रत्येक 3 में से 2 अमेरिका निवासी सेना में कार्य करने के अयोग्य है। पाकिस्तान मे दुनिया की सबसे
अधिक जेनिटिक बीमारी नहीं होती।
4. “फ़ार्म में पशुओं के साथ मानवीय व्यवहार होता है।”
दूर-दूर तक नहीं। खाने के लिये पाले जाने वाले पशुओं में 95 प्रतिशत से अधिक फ़ैक्ट्री फ़ार्म में घोर कष्टमय जीवन जीते हैं। गंदे पिंजरों में खचाखच ठूँसे हुए, बिना दर्द निबारक के अंग-भंग की पीड़ा सहने को मजबूर, और निर्दयतापूर्वक बध किये जाते हैं। यकीन नहीं होता ? तो youtyube पर टर्की पक्षी के पंख हटाने की प्रक्रिया देखिए। इतना ही नही फार्महाउस पर पशुओं और पक्षियों को बड़ी मात्रा मे अंटीबायोटिक व कृमिनाशक दवाई दी जाती है। यह दवाइया मांस के साथ अल्प मात्रा मे हमारे शरीर मे पहुँचती है। मानव शरीर मे जीवाणु इन दवाइयों के प्रति प्रतिरोध उत्पन्न कर लेते हैं। इससे हमारी बीमारी आदिक जटिल होती जा रही हैं।
5. “मुझे शाकाहारी आहार पसंद नहीं है।”
तो क्या आपको फ़्रेंच-फ़्राइज और पास्ता पसंद नहीं है? डोसा,-चटनी और ढोकला के बारे में क्या ख्याल है? मिठाइयाँ सभी पसंद करते हैं। आप अक्सर शाकाहारी भोजन खाते हैं और पसंद भी करते हैं लेकिन सिर्फ़ कहते नहीं है।
6. “शाकाहारी होना अस्वास्थ्यकर है।”
– यदि मांसाहारी स्वस्थ होते तो पाकिस्तान और बंग्लादेश मे अधिक स्वस्थ होते। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के निवासियों का आहार समान है पर अफगानिस्तान के निवासियों का स्वास्थ्य पाकिस्तान से अच्छा है।शाकाहारी प्रदेश हरियाणा के लोग मांसाहारी बंगाल से अधिक स्वस्थ हैं।
7. “एथलीट्स को मजबूत होने के लिये मीट खाने की जरूरत होती है।”
– अनेक ओलंपिक पदक विजेता शाकाहारी है। मांसाहारी देश जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश, सोमालिया, सऊदी अर्ब, ईरान, ईराक आदि ओलंपिक सूची मे कहाँ हैं? पदक जीतने के कारण अलग हैं।
8. “मेरे शरीर को मांस की जरूरत है।”
– नहीं, कोई जरूरत नहीं है। आपका शरीर इसके बिना कहीं ज़्यादा अच्छा रहेगा।
9. “मांसाहार छोड़ दिया तो पूरे पृथ्वी पर मुर्गी और बकरी ही होंगी।”
– सच में? इसे कहा जाता है माँग और आपूर्ति। अगर लोग मांस खाना छोड़ देंगे तो फ़ार्मर्स पशुओं की ब्रीडिंग करना छोड़ देंगे। बात खत्म।
10. “पूरी दुनिया को खिलाने का एक मात्र उपाय फ़ैक्ट्री फ़ार्मिंग ही है।”
– एक मिनट..! फ़ैक्ट्री फ़ार्मिंग न केवल जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण है बल्कि इससे भारी बर्बादी भी होती है। एक किलो मांस के उत्पादन के लिये 16 किलो अनाज लगता है। जरा सोचिये…! उन अनाज से कितने लोगों का पेट भर सकता है।
(डॉक्टर विवेक आर्य)
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