Gen Z इसलिये भी अलग है बाकी पीढ़ियों से क्योंकि वे एक ऐसी सच्चाई में जी रहे हैं, जो पहले की किसी भी पीढ़ी से बहुत अलग है..
लगभग हर दूसरे दिन कोई न कोई यह दावा करता है: “Gen Z भी बाकी पीढ़ियों जैसी ही है। बस कुछ साल और इंतज़ार करो, फिर ये भी सिस्टम में ढल जाएंगे।”
यह सोच उन लोगों के लिए बहुत आरामदायक है जिन्होंने उस व्यवस्था को बनाया है जिसमें वे Gen Z को समाहित होते देखना चाहते हैं।
लेकिन वर्षों तक Gen Z को पढ़ाने, उनके मूल्यों को समझने, और यह जानने के बाद कि वे नेतृत्व और काम से क्या उम्मीद रखते हैं—मैं पूरे विश्वास से कह सकता हूँ: मामला इतना सीधा नहीं है।
बल्कि यह मान लेना कि सब कुछ पहले जैसा ही चलेगा, शायद आज के समय में नेतृत्व की सबसे बड़ी भूल है।
Gen Z की परवरिश एक अलग दौर में हुई है
Gen Z उसी दुनिया में नहीं पले-बढ़े जिसमें उनके वरिष्ठों या मैनेजर्स ने अपने करियर की शुरुआत की थी।
हर पीढ़ी की अपनी चुनौतियाँ होती हैं, लेकिन ये चुनौतियाँ अलग-अलग नजरिए, प्राथमिकताओं और अपेक्षाओं को जन्म देती हैं।
Gen Z की दुनिया कैसी रही है?
जलवायु संकट की चिंता
राजनीतिक टकराव और ध्रुवीकरण
स्कूलों और सार्वजनिक स्थानों पर गोलीबारी
महामारी के दौरान सामाजिक अलगाव
आर्थिक अस्थिरता और अनिश्चितता
उन्होंने देखा है कि वे संस्थाएं, जिनपर समाज टिका था, कैसे असफल हुईं। उन्हें एक ऐसी दुनिया में पाला गया जहाँ नियम बदलते रहे, वफादारी का कोई निश्चित इनाम नहीं था, और सफलता पाने का मतलब था—तनाव झेलने की क्षमता दिखाना।
Gen Z की प्राथमिकताएँ क्या हैं?
जब Gen Z नौकरी की दुनिया में कदम रखती है, तो उनका उद्देश्य सिस्टम में घुलना-मिलना नहीं होता।
वे स्पष्टता चाहते हैं, न्याय की उम्मीद करते हैं, और ऐसे नेतृत्व की तलाश करते हैं जो समझदारी भरा हो।
मैंने 175 कॉलेज छात्रों (उम्र 18–21) से यह पूछा:
आप एक नेता में कौन-से गुण सबसे ज़्यादा महत्व देते हैं?
कब आपको काम से असली जुड़ाव महसूस होता है?
जवाब बहुत सरल और व्यावहारिक थे। ये रहे शीर्ष 10 अपेक्षाएँ:
व्यवस्था – स्पष्ट निर्देश और संगठित नेतृत्व
सम्मान – निष्पक्षता और व्यक्तिगत राय का सम्मान
संचार – ईमानदार फीडबैक और पारदर्शिता
सकारात्मकता – प्रेरक और सहायक रवैया
सुलभता – ऐसा नेतृत्व जिससे बेझिझक बात की जा सके
लचीलापन – काम के तरीके और समय में थोड़ी स्वतंत्रता
उचित वेतन – पारदर्शी और न्यायसंगत भुगतान
जिम्मेदारी – नेतृत्व अपनी गलतियों की ज़िम्मेदारी ले
भरोसा – निर्णय लेने की प्रक्रिया में विश्वास
मान्यता – प्रयास और योगदान की सराहना
वे आलसी नहीं, सोच-समझकर चुनने वाले हैं
Gen Z किसी क्रांति की मांग नहीं कर रही। वे सिर्फ वही चाहते हैं जो हर पीढ़ी चाहती थी—पर फर्क ये है कि वे उसके बिना काम करने को तैयार नहीं।
वरिष्ठों की शिकायतें आम हैं:
“ये काम शुरू होने से पहले ही सवाल करते हैं।”
“इंटरव्यू में आते ही नहीं।”
“इनमें सब्र नहीं है।”
पर Gen Z की बातों में कुछ और ही दिखता है:
“मैं ये समझना चाहता हूँ कि हम ये क्यों कर रहे हैं।”
“मुझे ऐसा बॉस चाहिए जिससे खुलकर बात कर सकूँ।”
“अगर मुझे नज़रअंदाज़ किया गया, तो मैं चला जाऊँगा।”
Gen Z को असल सहानुभूति चाहिए—दिखावा नहीं
Gen Z कमजोर नहीं है—वे अपने सिद्धांतों को लेकर स्पष्ट हैं।
वे मेहनती हैं, लेकिन ऐसे माहौल में मेहनत नहीं करना चाहते जो उन्हें सिर्फ एक डिग्रीधारी मशीन समझे।
वे चाहते हैं:
इंसाफ़
लचीलापन
और वह क्रांतिकारी सोच कि हर इंसान को इंसान जैसा व्यवहार मिलना चाहिए
अगर यह नहीं मिलता, तो वे चुपचाप आगे बढ़ जाते हैं—इसलिए नहीं कि वे घमंडी हैं, बल्कि इसलिए कि उन्होंने यह सीख लिया है:
कोई भी नौकरी आपकी गरिमा से बड़ी नहीं होती।
नेतृत्व में सक्रिय सहानुभूति की ज़रूरत
यह सहानुभूति कोई दिखावा नहीं—बल्कि रोज़मर्रा के व्यवहार, संवाद और फैसलों में झलकती है।
यह कोमलता नहीं, स्थिरता की निशानी है।
यही अंतर है एक मैनेजर और एक विश्वसनीय नेता में।
“सक्रिय सहानुभूति” यानी ऐसा नेतृत्व जो सुनता है, लचीलापन रखता है, लेकिन ज़रूरत पड़ने पर दृढ़ भी रहता है—और यह नहीं भूलता कि वह इंसानों की अगुवाई कर रहा है।
Gen Z अपना रास्ता खुद बना रही है
वे इंतज़ार नहीं कर रहे कि कोई उन्हें ढाले।
वे खुद तय कर रहे हैं कि किस मूल्य के इर्द-गिर्द खुद को ढालना है। यह कमज़ोरी नहीं, स्वतंत्र सोच की निशानी है।
उन्हें देखकर यह कहना आसान है:
“हम भी तो 22 की उम्र में ऐसे ही थे।”
“समय के साथ बदल जाएंगे।”
लेकिन सच यह है कि उनकी दुनिया अलग है।
उनका नजरिया एक खतरा नहीं—बल्कि एक मौका है।
जब वर्कप्लेस उनकी स्पष्टता को अपनाता है, तो सभी को फायदा होता है:
बर्नआउट कम होता है
कर्मचारियों की स्थायित्व बढ़ता है
कार्यसंस्कृति अधिक संवेदनशील और मानवीय बनती है
और नेतृत्व कुछ ऐसा बनता है जिसे लोग स्वेच्छा से फॉलो करना चाहते हैं—ना कि मजबूरी में
तो हाँ, वे 22 की उम्र में आप जैसे नहीं हैं। और यही शायद वह चीज़ है जो किसी भी कार्यस्थल को एक नई शुरुआत देती है।
(अर्चना शेरी)