Gwalior Kidnapping: अपहरण के मामलों में कहा जाता है कि समय बीतने के साथ अपहृत किये गये व्यक्ति की सुरक्षा पर संकट बढ़ता जाता है। यह भी माना जाता है कि यदि मामला सुर्खियों में आ जाए, तो किडनैपर पकड़े जाने के डर से अपहृत व्यक्ति की हत्या भी कर सकते हैं। ग्वालियर में एक छोटे बच्चे का उस वक्त अपहरण कर लिया गया, जब वह अपनी मां के साथ स्कूल जा रहा था।
मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में एक शक्कर कारोबारी, अपराधियों ने राहुल गुप्ता के बेटे का अपहरण कर लिया। आमतौर पर ऐसे मामलों में जितना ज्यादा समय बीतता है, अपहृत की वापसी की संभावना और खतरे में पड़ती जाती है। ग्वालियर में हुई इस किडनैपिंग ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया। 16 घंटे तक चले इस सस्पेंस भरे घटनाक्रम में कई चौंकाने वाले मोड़ आए। किन्तु अंततः पुलिस का परिश्रम रंग लाया और बच्चा सकुशल घर आया। आइए, इस पूरी घटना पर विस्तार से दृष्टि डालते हैं।
दिनदहाड़े हुआ अपहरण: मां की आंखों में मिर्च डालकर ले गये बच्चे को
ग्वालियर के कारोबारी राहुल गुप्ता की पत्नी आरती गुप्ता अपने बेटे को स्कूल बस में बैठाने जा रही थीं, तभी अचानक बाइक सवार दो बदमाशों ने पीछे से आकर उनकी आंखों में मिर्च पाउडर झोंक दिया और उनके छह वर्षीय बेटे शिवाय को जबरन बाइक पर बिठाकर फरार हो गए। आरती बदहवास हालत में अपने बच्चे के पीछे दौड़ीं, लेकिन बदमाश तेज रफ्तार में वहां से निकल गए।
इस हैरान करने वाली वारदात की खबर जंगल में आग की तरह पूरे शहर में फैल गई। पुलिस भी तुरंत हरकत में आ गई, क्योंकि यह मामला बेहद संवेदनशील था। किडनैपिंग के ऐसे मामलों में जरा सी भी लापरवाही बच्चे की जान के लिए खतरा बन सकती थी। पुलिस ने तुरंत जांच शुरू की। सबसे पहले बच्चे के परिवार से पूछताछ की गई, लेकिन राहुल गुप्ता ने किसी दुश्मनी की जानकारी होने से इनकार किया।
पुलिस ने लगा दी जान जांच में – मदद मिली सीसीटीवी से
जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि राहुल गुप्ता का अपने कर्मचारियों से व्यवहार कुछ कड़ा था, जिससे कुछ लोग उनसे नाराज हो सकते थे। इसके अलावा, पुलिस ने जमीन-जायदाद और पारिवारिक रिश्तों से जुड़े सभी पहलुओं की जांच शुरू की।
इसके साथ ही, पुलिस ने घटना स्थल और शहरभर के करीब 50 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालनी शुरू की। इस कोशिश के दौरान पुलिस को अहम सुराग मिले, जिससे बदमाशों की पहचान की जा सकी।
सोलह घंटों तक चली मशक्कत के बाद हो पाई बच्चे की बरामदगी
पुलिस की जांच में पता चला कि किडनैपिंग में शामिल दोनों आरोपी बानमोर और मेहगांव के रहने वाले पुराने हिस्ट्रीशीटर थे। पुलिस ने उनकी लोकेशन ट्रेस की और पता चला कि वे दोनों अपने-अपने घर से गायब थे। इस जानकारी के आधार पर पुलिस को यकीन हो गया कि इन्हीं बदमाशों ने शिवाय का अपहरण किया है।
इसके बाद पुलिस ने ग्वालियर, भिंड, मुरैना और आसपास के जिलों में नाकाबंदी कर दी, ताकि आरोपी भाग न सकें। आखिरकार, 14 घंटे की मशक्कत के बाद पुलिस की मेहनत रंग लाई। किडनैपर बच्चे को ग्वालियर से 43 किलोमीटर दूर मुरैना के कांजी बसई गांव में एक ईंट भट्टे के पास छोड़कर फरार हो गए।
घर पर सुनाई बच्चे ने अपनी पूरी आपबीती
रात के करीब 10 बजे एक ई-रिक्शा चालक ने रोते हुए शिवाय को देखा। वह पहले से सोशल मीडिया पर बच्चे की किडनैपिंग की खबर पढ़ चुका था, इसलिए उसने तुरंत उसे पहचान लिया। उसने बच्चे को गांव के सरपंच के हवाले कर दिया, जिन्होंने तुरंत पुलिस और परिवार को सूचना दी।
रात 11:45 बजे तक शिवाय अपने माता-पिता के पास वापस लौट आया। इस घटना के बाद पूरे ग्वालियर में पुलिस की जय-जयकार होने लगी।
बच्चे ने पुलिस को बताया कि किडनैपर्स ने उसे धमकाया था कि अगर उसने शोर मचाया, तो वे उसकी पिटाई करेंगे। किडनैपर बच्चे के पिता से फिरौती वसूलना चाहते थे। उसे एक खेत में ले जाकर हाथ-पांव बांध दिए गए थे और वहां उसे एक अजनबी के पास छोड़ दिया गया था। पुलिस को शक है कि इस किडनैपिंग में कोई तीसरा व्यक्ति भी शामिल था।
अपहरण की असली वजह क्या थी?
फिलहाल, पुलिस को इस बात की चिंता है कि अपहरण के पीछे असल मकसद क्या था। क्या बदमाश केवल फिरौती चाहते थे, या कोई गहरी साजिश थी?
सीसीटीवी फुटेज से साफ हुआ कि बदमाश पहले से ही शिवाय की रेकी कर रहे थे और उसे ही टारगेट करने की योजना बना चुके थे। यही नहीं, पुलिस को यह भी पता चला कि पिछले साल शिवाय के मामा के बेटे को भी इसी तरह किडनैप करने की कोशिश हुई थी, लेकिन वह नाकाम रही।
अब पुलिस इस मामले को गहराई से खंगाल रही है और किडनैपर्स की तलाश में जुटी है। क्या यह महज फिरौती का मामला था, या इसके पीछे कोई बड़ी साजिश थी? पुलिस जल्द ही इन सवालों के जवाब तलाशने में जुटी हुई है।