Wednesday, June 25, 2025
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India Bangladesh Water Treaty: भारत-बांग्लादेश गंगा जल समझौते पर पुनर्विचार किया जायेगा-2026 में समाप्त होगी संधि

India Bangladesh Water Treaty पिछले तीस वर्षों से अस्तित्वमान है किन्तु अब इस समझौते की अवधि समाप्त होने वाली है..

India Bangladesh Water Treaty पिछले तीस वर्षों से अस्तित्वमान है किन्तु अब इस समझौते की अवधि समाप्त होने वाली है..

1996 में हुए गंगा जल बंटवारे के समझौते की अवधि 2026 में समाप्त हो रही है. भारत ने घरेलू जल आवश्यकताओं को देखते हुए संधि की समीक्षा का संकेत दिया है. वर्तमान संधि के तहत बांग्लादेश को 35,000 क्यूसेक पानी की गारंटी मिलती है. भारत अब 10-15 साल की छोटी अवधि के समझौते पर विचार कर रहा है.

पृष्ठभूमि

गंगा नदी पर भारत-बांग्लादेश के बीच जल बंटवारे को लेकर 1950 से विवाद चला आ रहा है। 1971 में बांग्लादेश के गठन के बाद 1977 में पहली बार 5 साल का समझौता हुआ। वर्तमान संधि 12 दिसंबर 1996 को तत्कालीन प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा और शेख हसीना ने हस्ताक्षरित की थी।

समझौते के प्रमुख प्रावधान

दोनो देशों के विशेषज्ञों से बने संयुक्त नदी आयोग द्वारा जल प्रवाह की निरंतर निगरानी चलती है. बांग्लादेश के साथ भारत के गंगाजल समझौते के अंतर्गत दशायें इस प्रकार हैं –

जल प्रवाह 70,000 क्यूसेक से कम होने पर दोनों देशों को मिलेगा बराबर पानी

70,000-75,000 क्यूसेक पर बांग्लादेश को 35,000 क्यूसेक की निश्चित मात्रा में पानी मिलेगा

75,000 क्यूसेक से अधिक होने पर भारत 40,000 क्यूसेक तक जल ले सकता है

वर्तमान चुनौतियाँ

जलवायु परिवर्तन के कारण गंगा का प्रवाह अनियमित हो रहा है. पश्चिम बंगाल में कोलकाता बंदरगाह पर गाद जमाव की समस्या पैदा हो रही है. बिहार में प्रतिवर्ष बाढ़ की समस्या पैदा हो जाती है. बांग्लादेश का कहना है कि भारत पानी सही समय पर नहीं देता है जिससे उनके देश में कृषि और पेयजल आपूर्ति पर प्रभाव पड़ता है.

आगे की राह

भारत ने पहले ही पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता निरस्त किया है। गंगा संधि पर नए सिरे से बातचीत के लिए दोनों देशों के विशेषज्ञ मार्च 2025 में कोलकाता में मिल चुके हैं। नई संधि में जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संतुलन को ध्यान में रखा जाएगा।

राजनीतिक पहलू

बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के साथ भारत बड़े समझौतों को टाल रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि 2026 के बाद की नई व्यवस्था दोनों देशों के भविष्य के संबंधों को परिभाषित करेगी।

(प्रस्तुति – त्रिपाठी सुमन पारिजात)

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