Tuesday, October 21, 2025
Google search engine
Homeधर्म- ज्योतिषMahakumbh 2025: जो मन चंगा तो कठौती में गंगा – महाकुंभ...

Mahakumbh 2025: जो मन चंगा तो कठौती में गंगा – महाकुंभ न जा सकें तो घर पर ही स्नान समय में जपें ये मंत्र – प्रयागराज बन जायेगा आपका घर

माँ भगीरथी अर्थात माँ गंगा का स्वयं ही यह वचन है कि जब भी कोई व्यक्ति शुभ कार्य हेतु उनका आह्वान करेगा, वह उसके कल्याण के लिए अवश्यमेव उपस्थित होंगी। ऐसे में अमृत स्नान की विशेष तिथि पर गंगा स्नान के दिव्य लाभ से वंचित होने की आवश्यकता नहीं है। केवल इन मंत्रों का उच्चारण करें और घर में ही गंगा स्नान का पुण्य अर्जित करें.

महाकुंभ का माहात्म्य व घर में गंगा स्नान का विकल्प

पुण्य धरा उत्तर प्रदेश की प्रयागराज नगरी में महाकुंभ का भव्य आयोजन हो रहा है। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ संगम तट पर इस ऐतिहासिक आयोजन का साक्षी होने वा त्रिवेणी स्नान हेतु उमड़ रही है। आगामी स्नान पर्वों पर लाखों की संख्या में आस्थावान सनातनी एकत्र होंगे। सरकारी अनुमान कहता है कि इस वर्ष लगभग 45 करोड़ श्रद्धालु महाकुंभ में भाग लेंगे।

144 वर्षों के उपरांत आये इस विशेष संयोग में हर व्यक्ति की इच्छा होती है कि वह त्रिवेणी संगम में स्नान कर स्वयं को पवित्र कर सके। परंतु, कई कारणों से सभी के लिए यह संभव नहीं होता। हममें से बहुत से ऐसे भी हैं जो चाहकर भी प्रयाग के पवित्र घाटों तक नहीं पहुंच पाते। किन्तु निराश होने की आवश्यकता नहीं है, इसका भी वैकल्पिक उपाय है।

हमारे शास्त्रों में इस स्थिति हेतु विशेष व्यवस्था दी गई है। वोद-पुराणों में भगवती गंगा की स्तुति व आह्वान के लिए कुछ प्रभावी मंत्रों का उल्लेख है। इन मंत्रों के जाप से हर स्थान गंगा तीर्थ में परिवर्तित हो जाता है और जल गंगाजल के समान पवित्र हो जाता है।

गंगा आह्वान मंत्र

ये माता गंगा का वचन है कि जो भी उन्हें सच्चे मन से पुकारेगा, वे उसके निकट पहुंच कर स्वय अपने दिव्य जल से उसे पवित्र करेंगी। इसलिए, गंगा स्नान करने में असमर्थ होने पर इन मंत्रों का जाप करें और घर में ही गंगा स्नान का पुण्य अर्जित करें:

नदियों के आह्वान का मंत्र:
हमारी गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों की भांति ही गोदावरी, कावेरी, सिंधु और नर्मदा नदी को भी पुण्यसलिला कहा गया है जो अपने-अपने स्थान पर गंगा के समान ही पूजनीय मानी जाती हैं। स्नान पूर्व आप इन नदियों का आह्वान करें तो आपके स्नान का जल गंगाजल की भांति पवित्र हो जाता है।

 मंत्र
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् सन्निधिं कुरु ॥

गंगा स्तुति मंत्र

गंगा माता के पावन जल की महिमा को दर्शाता हुआ एक अन्य महत्वपूर्ण मंत्र भी है। इस मंत्र का जाप स्नान से पहले करने से स्नान का पुण्य कई गुना वृद्धिमान हो जाता है।

 मंत्र
गंगां वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतम्।
त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु माम्॥

भावार्थ:
जो गंगाजल मनोहारी है, भगवान विष्णु (मुरारी) के चरणों से प्रवाहित हुआ है और भगवान शिव (त्रिपुरारी) के सिर पर विराजमान है, वह जल मेरे समस्त पापों को हर ले।

गंगा स्मरण मंत्र

गंगा माता हैं अतएव वो अपने पुत्रों के प्रति इतनी दयालु हैं कि जो व्यक्ति सौ योजन (लगभग 1200 किमी) दूर से भी हृदय के भाव से उनका स्मरण करता है, उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और ऐसा भक्त अंत में विष्णु लोक को प्राप्त करता है।

 मंत्र
गंगा गंगेति यो ब्रूयात, योजनानां शतैरपि।
मुच्यते सर्वपापेभ्यो, विष्णुलोके स गच्छति॥

त्रिवेणी संगम का आह्वान मंत्र

यथा सर्वविदित है कि गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम स्थल तीर्थराज प्रयागराज में स्थित है। इस क्षेत्र में स्नान का विशेष महत्व है। यदि किंचित कारणों से आप प्रयागराज नहीं जा पा रहे हैं, तो स्नान करते समय हृदय में भावपूर्वक इस मंत्र का उच्चारण करें, जिससे आपके घर में भी तीर्थराज प्रयाग की दिव्यता का अनुभव होगा।

 मंत्र
ॐ त्रिवेणी संगमे देवि संगमेश्वर पूजिते।
स्नानकाले कुरु कृपा पापक्षय करो भवेत्॥

शुद्धिकरण और विष्णु स्मरण मंत्र

यह कदाचित सर्वविदित नहीं है कि भगवान विष्णु को हृदय से स्मरण से ही व्यक्ति पवित्र हो जाता है। यह मंत्र स्नान, ध्यान, पूजा और किसी भी धार्मिक अनुष्ठान के पूर्व  जपने से पवित्रता प्रदान करता है।

 मंत्र
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥

भावार्थ
चाहे व्यक्ति अपवित्र हो या पवित्र, चाहे वह किसी भी अवस्था में क्यों न हो, यदि वो भगवान विष्णु का स्मरण करता है, तो वो बाहरी और आंतरिक रूप से अर्थात तन व मन से पवित्र हो जाता है।

सात पवित्र नदियों का स्मरण मंत्र

पुराणों में जो उल्लेख है उसके अनुसार सात पवित्र नदियों का हृदय में भाव से नाम लेने से ही तन-मन शुद्ध हो जाता है। स्नान के समय इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति इन नदियों की कृपा प्राप्त करता है।

 मंत्र:
ॐ गंगे च यमुने चैव, कावेरी सरस्वति।
शतद्रुश्च महानद्या, गोदावरी महाबला॥
सर्वे तीर्थाः समुद्भूता, हेमकूटनिवासिनः।
स्नानेन प्रीयतां नित्यं, सर्वपापप्रणाशिनः॥

सारांश

स्मरण रखें कि यदि आपका हृदयतल शुद्ध है और आप सच्ची श्रद्धा के साथ भाव से भर कर इन मंत्रों का उच्चारण करते हैं, तो आपके घर का जल भी गंगाजल बन जाएगा और स्नान से आपको वही पुण्य प्राप्त होगा, जो महाकुंभ में गंगा स्नान से मिलता है। इस मूल तथ्य को संत रविदास जी ने इस प्रकार कहा है –

“जो मन चंगा तो कठौती में गंगा।”

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments