Mahakumbh 2025: महाकुंभ 2025 में दुनिया भर के सनातनी संत पहुंचे हुए हैं और चर्चा का विषय बन रहे हैं. इनमे से ही एक हैं संत गीतानंद गिरी जी महाराज जिन्होंने पिछले 12 साल तक प्रतिदिन सवा लाख रुद्राक्ष अपने सर पर धारण करने का संकल्प लिया था.
आज गीतानंद गिरी जी महाराज के सर पर सवा दो लाख से अधिक रुद्राक्ष हैं. इन रुद्राक्षों का भार 45 किलो है जिनको महराज जी बारह घंटों तक सर पर पहन कर तपस्या में लीन रहते हैं.
Mahakumbh 2025: 2025 के अंग्रेजी वर्ष का श्रीगणेश हुआ तो महाकुंभ मेला और निकट आ गया. इसी के साथ ही प्रयागराज के संगम तट पर साधु-संतों का आगमन भी प्रारम्भ हो चुका है. यह आध्यात्मिक अवसर भक्तों के लिए एक अत्यधिक महत्वपूर्ण क्योंकि उनके लिए अब आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति के लिए संगम के तट पर आकर साधना करने का समय आ गया है.
एक संत जिनकी जीवनशैली और तपस्या पर आजकल विशेष चर्चा हो रही है वो हैं गीतानंद गिरी जी महाराज की. इनकी भव्य तपस्या और रुद्राक्ष धारण करने की निराली साधना से लोग प्रभावित हो रहे हैं.
महाकुंभ मेले में अपने अनोखे संकल्प और तप के कारण गीतानंद जी महाराज को लेकर लोग चर्चा कर रहे हैं. महाराज जी ने छह वर्ष पूर्व 2019 में प्रयागराज के कुंभ मेले के दौरान एक अद्भुत संकल्प लिया था. महाराज जी ने प्रण किया था कि बारह वर्षों तक प्रतिदिन वे एक लाख रुद्राक्ष अपने सर पर धारण करेंगे.
महाराज जी का ये संकल्प तपस्या और साधना के माध्यम से आत्मा के उद्धार के प्रयोजन से था. वर्तमान में, गीतानंद जी महाराज अपने इस संकल्प का पालन करते हुए छठे साल में प्रवेश कर चुके हैं. अभी तक उन्होंने सवा दो लाख से ज्यादा रुद्राक्ष सर पर धारण किए हैं.
45 किलोग्राम के रुद्राक्षों का भार लेकर महाराज जी को अभी और छह साल चलना है. महाराज जी के अनुसार उनका यह संकल्प सिर्फ एक धार्मिक प्रक्रिया नहीं है, अपितु एक गहन तपस्या है जो मानसिक शक्तिपूजा का प्रतीक भी है.