Wednesday, January 22, 2025
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Microgreens: आपके लिए आ गया है 1 सुपरफूड – बनाएगा सेहत भी बचाएगा जान भी – खुश रहे सेहत भी और इंसान भी !

Microgreens: अब कोई नहीं कह सकता कि सेहत की चीज़ें महंगी होती हैं.. बहुत सस्ता और बहुत नेचुरल न्यूट्रिशन आप इससे बेहतर कहाँ से लाएंगे! असल में है ये एक सुपरफूड जो सुपर भी है और फ़ूड भी.

Microgreens: इस सुपरफूड को कह सकते हैं नए युग की शाकाहारी क्रान्ति जो की हम सभी के लिए उपलब्ध और सभी के लिए सुलभ भी है– अगर अमीर लोग खा रहे हैं तो इसको गरीब भी खा सकते हैं..फिर आप क्यों करें प्रतीक्षा!

हरी भरी रहेगी आपकी खिड़की भी माइक्रोग्रीन्स के होने से और इसी तरह सेहत भी आपकी हरी-भरी रहेगी इसकी किरपा से. ये सुपरफूड दौलत है उस सेहत की जो आपको बाहर और भीतर दोनों जगह ताज़ातरीन रखेगी.

चाहे आप इसको रखें खिड़की पर या रखें दालान में या फिर अपनी बगिया में -रखें कहीं भी, हरीतिमा माइक्रोग्रीन्स की आपको खुश ही रखेगी.

खिड़की से शुरू हो कर आपके घर में माइक्रोग्रीन्स आपके किचन तक आता है और फिर आपके किचन से जाता है आपके मुँह में फिर आपके पेट में. इस तरह चलती है माइक्रोग्रीन्स की यात्रा. घर के बाहर गार्डन हो या लॉन – या फिर खिड़की पर या ड्राइंग रूम में– हर स्थान पर माइक्रोग्रीन्स के सुन्दर प्यारे पौधे शोभायमान होते हैं. और शोभा उनकी नकली बिलकुल नहीं होती क्योंकि ये पौधे सोना हैं आपके घर के भीतर आपकी और आपके परिवार की सेहत के लिए.

रसोई में भी सेहत के लिए माइक्रोग्रीन्स के बहुत सारे इस्तेमाल हैं. आइये हम जानते हैं कि वास्तव में माइक्रोग्रीन्स हैं क्या? और कौन-कौन सी पौधों की प्रजातियाँ माइक्रोग्रीन्स के रूप में उगाई जा सकती हैं?

माइक्रोग्रीन्स न केवल सुन्दर दिखाई देते हैं, अपितु इनका स्वाद भी बहुत अच्छा होता है और पौष्टिकता में तो ये और भी ज्यादा होते हैं.

कहाँ से आया है सुपरफूड?

ये सुपरफूड आपके लिए अमेरिका से चल कर आया है जो बागवानी के नए और पुराने सभी लोगों के लिए बहुत काम का है. इनका आप इस्तेमाल बागवानी पेशेवरों के व्यंजनों को मसालेदार बनाने के लिए भी कर सकते हैं. सबसे बड़ा फायदा माइक्रोग्रीन्स का ये है कि ये काफी सस्ते होते हैं, इतना ही नहीं इनको उगाने में भी समय बहुत अधिक नहीं लगता है.

अमीर गरीब सबका है ये सुपरफूड
अमीर गरीब सबका है ये सुपरफूड
संतुलित आहार है ये

ये भी यहां उल्लेखनीय है कि माइक्रोग्रीन्स को स्वास्थ्यप्रद आहार के लिए और सही मात्रा वाली सही डाइट अर्थात संतुलित आहार के रूप में भी इसको खाया जाता है.

इसे भी पढ़ें: कास्टिंग काउच भी झेल चुके हैं रविकिशन, मेहनत भी काबीलियत भी..फिर भी कामयाबी मिली नहीं

अब आइये जानते हैं कि कौन-कौन सी सब्ज़ियाँ और जड़ी-बूटियाँ माइक्रोग्रीन्स के रूप में उगाने फायदेमंद है. हम आपको ये भी बताएँगे कि आप इस सुपरफूड को अपने किचेन में कैसे इस्तेमाल में ला सकते हैं. लेकिन उसके पहले जानिये:

आखिर है क्या माइक्रोग्रीन्स

जैसा कि शब्द के अर्थ से स्पष्ट है – “माइक्रोग्रीन्स” का मतलब है बहुत छोटी हरीतिमा – और बेहतर करके कहें कि बहुत नन्ही जड़ी-बूटी और सब्जियों के पौधे – यही हैं वो पौधे जो खाने के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं. कुल मिला कर ये है एक सुपरफ़ूड.

अब इंतजार नहीं सुपरफ़ूड का

कहने का मतलब ये है कि अब आपको इंतजार नहीं करना है – फल अथवा पूर्ण-विकसित पत्तेदार साग अब आपको बनाने और खाने का इंतजार मत कीजिये, इसकी बजाये आप सिर्फ एक से दो हफ्ते के बाद इन नन्हें पौधों की फसल काट सकते हैं और उसे खा सकते हैं.

बागवानी की दुनिया के नौसिखियों के लिए भी माइक्रोग्रीन्स की फसल उगाना मुश्किल नहीं है. इसको किसी भी चबूतरे, खिड़की, या दालान अथवा लिविंग रूम में आप उगा सकते हैं.

इसे भी पढ़ें: https://twitter.com/BizCouncilNorth/status/1811004790156980442

माइक्रोग्रीन्स स्प्राउट नहीं हैं

स्प्राउट और माइक्रोग्रीन्स में अंतर है. जब बीज अंकुरित हो जाते हैं तब स्प्राउट्स कहलाते हैं. इस स्थिति में पहले से ही इन बीजों के नन्हें पत्ते दिखाई देने लगते हैं, पर अभी वे पूरी तरह से विकसित नहीं हुए होते हैं. इसके उलट माइक्रोग्रीन्स थोड़े पुराने अर्थात कुछ अधिक आयु के होते हैं और इनमें पहले से ही विशेष किस्म के बीजों के पत्ते दिखाई देने लग जाते हैं.

स्प्राउट्स के विपरीत माइक्रोग्रीन्स को सब्सट्रेट की सतह पर काटा जाता है बिलकुल ऊपर से. दूसरी तरफ स्प्राउट्स को सब्सट्रेट में नहीं उगाया जाता है और उनका पूरा उपयोग किया जाता है.

ऐसे कीजिये विकसित

आमतौर पर जड़ी-बूटियों और सब्जियों के पौधों सहित हर फसल को माइक्रोग्रीन्स या माइक्रोहर्ब्स के रूप में विकसित किया जा सकता है और सुपरफूड के रूप में खाया भी जा सकता है. टमाटर जो कि सोलनम लाइकोपर्सिकम होता है, या आलू जो सोलनम ट्यूबरोसम होता है -ऐसे नाइटशेड वाले पौधे माइक्रोग्रीन्स के रूप में उगाने के लिए उपयुक्त नहीं हैं कारण ये है कि उनके पत्तेदार साग के अंदर सोलनिन होता है, जो मानवों के खाने योग्य नहीं होता बल्कि विषाक्त होता है.

Parijat Tripathi
Parijat Tripathi
Parijat Tripathi , from Delhi, continuing journey of journalism holding an experience of around three decades in TV, Print, Radio and Digital Journalism in India, UK & US, founded Radio Hindustan & News Hindu Global.

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