Mohan Bhandari के प्रशंसक आज भी उनको श्रद्धा और सम्मान के साथ याद करते हैं। हम भी ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वो इतने अच्छे अभिनेता को फिर एक बार जन्म देकर बॉलीवुड को समृद्ध करें..
यह कहानी एक ऐसे अभिनेता की है जिन्हें जीवन के आखिरी दिनों में बहुत दर्द और तकलीफ़ों का सामना करना पड़ा। उन्हें ब्रेन ट्यूमर हो गया था, जिसकी वजह से उन्हें कई मुश्किलें झेलनी पड़ीं। धीरे-धीरे उनकी हालत बिगड़ती गई और फिर एक दिन उनका निधन हो गया। आज मोहन भंडारी जी की 10वीं पुण्यतिथि है। उनका देहांत 24 सितंबर 2015 को हुआ था।
मोहन भंडारी जी का जन्म 31 जुलाई 1947 को प्रयागराज (तब इलाहाबाद) में हुआ था। उन्होंने वहीं से अपनी पढ़ाई पूरी की। उनके पिता हर्षदत्त भंडारी भारतीय सेना में मेजर थे और मां गंगा देवी एक गृहणी थीं। उनके परिवार में कुल पांच बच्चे थे—चार बेटे और एक बेटी। यानी मोहन भंडारी जी के तीन भाई और एक बहन थीं।
बीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद मोहन जी नौकरी की तलाश में मुंबई चले गए और उन्हें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी मिल गई। उस समय तक उन्हें अभिनय में कोई रुचि नहीं थी और फिल्मों में काम करने का तो उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था। लेकिन उनके अच्छे लुक्स की वजह से बैंक के सहकर्मी उन्हें मॉडलिंग करने की सलाह देने लगे। शुरुआत में उन्होंने इसे मज़ाक समझा, लेकिन जब बार-बार ऐसा सुनने को मिला तो उन्होंने इसे गंभीरता से लिया और अपना पोर्टफोलियो बनवाया।
इसके बाद उन्होंने मॉडलिंग की दुनिया में कदम रखा और जल्दी ही उन्हें अच्छे प्रोजेक्ट्स मिलने लगे। कुछ ही महीनों में वे टॉप मॉडल्स में गिने जाने लगे। मॉडलिंग में सफलता मिलने के बाद फिल्म इंडस्ट्री से भी उन्हें ऑफर आने लगे और वे ग्लैमर वर्ल्ड की चमक-धमक से प्रभावित हो गए। उन्होंने एक्टर बनने का फैसला किया और 1960 के दशक के अंत में एक थिएटर ग्रुप से जुड़ गए।
थिएटर में उन्हें महान निर्देशक सत्यदेव दुबे जी का मार्गदर्शन मिला। उन्होंने कई स्टेज नाटकों में काम किया और अमरीश पुरी, अमोल पालेकर, अशोक सराफ जैसे दिग्गजों के साथ अभिनय किया। अमोल पालेकर से उनकी अच्छी दोस्ती हो गई थी और उन्होंने ही मोहन भंडारी जी को पहला फिल्म ब्रेक दिया। साल 1981 में अमोल जी ने ‘अक्रियत’ नामक मराठी फिल्म में उन्हें एक छोटा रोल दिया।
इसके बाद मोहन भंडारी जी 1984 में फिल्म ‘पार्टी’ में नजर आए, जो उनकी पहली हिंदी फिल्म थी। इस फिल्म में कई मशहूर कलाकार थे और मोहन जी के अपोजिट सोनी राजदान थीं। हालांकि उनका रोल छोटा था।
1987 में आई फिल्म ‘प्रतिघात’ में उन्होंने पुलिस इंस्पेक्टर अजय श्रीवास्तव का किरदार निभाया, जो काफी सराहा गया। इसके बाद वे 1988 में जैकी श्रॉफ के साथ फिल्म ‘फलक’ में नजर आए। उन्होंने कई चर्चित फिल्मों में चरित्र भूमिकाएं निभाईं जैसे यलगार, बेटा हो तो ऐसा, बवंडर, पहेली, मंगल पांडे, टेल मी ओ खुदा आदि।
टीवी की दुनिया में भी मोहन भंडारी जी का बड़ा नाम था। उन्होंने 1980 के दशक के मध्य से टीवी पर काम करना शुरू किया। उनके प्रमुख टीवी शोज़ में खानदान, चुनौती, मुज़रिम हाज़िर हो, परमपरा, हमराही, अभिमान, पल छिन, बा बहू और बेटियां शामिल हैं। उनका आखिरी टीवी शो ‘रक्त संबंध’ था। इसके अलावा उन्होंने ‘राजा और रैंचो’ के शुरुआती एपिसोड्स में भी काम किया था, लेकिन बाद में शो छोड़ दिया और उनकी जगह वेद थापर जी ने ली।
मोहन भंडारी जी की पत्नी का नाम शीला है। बैंक की नौकरी के दौरान ही दोनों की दोस्ती हुई, फिर प्यार और फिर शादी। उनके दो बेटे हैं—बड़े बेटे मनोज एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और अमेरिका के सिएटल शहर में रहते हैं। छोटे बेटे ध्रुव भंडारी अपने पिता की तरह एक्टर हैं।
ध्रुव भंडारी ने ‘रक्त संबंध’ शो में अपने पिता के साथ काम किया था और दोनों ने पिता-पुत्र की भूमिका निभाई थी। ध्रुव ने कुछ फिल्मों और टीवी शोज़ में छोटे किरदार निभाए हैं और कंस्ट्रक्शन बिजनेस में भी हैं। उनकी पत्नी का नाम श्रुति और बेटी का नाम अराना है।
मोहन भंडारी जी के आखिरी दिन बहुत कठिन थे। ब्रेन ट्यूमर की वजह से उन्हें बहुत दर्द और तकलीफ़ें झेलनी पड़ीं। वे ठीक से कोई काम नहीं कर पाते थे। लंबी बीमारी के बाद 24 सितंबर 2015 को उनका निधन हो गया। वे अपने बेटों की शादी और पोते-पोतियों को नहीं देख सके।
उनकी आखिरी फिल्म ‘ज़रा सी भूल: ए स्मॉल मिस्टेक’ 22 मई 2015 को रिलीज़ हुई थी। इसमें उनके अपोजिट एक विदेशी अभिनेत्री पामेला डिकरसन थीं। ऐसा लगता है कि यह फिल्म काफी पहले बन गई थी लेकिन बाद में रिलीज़ हुई।
मोहन भंडारी के प्रशंसक आज भी उनको श्रद्धा और सम्मान के साथ याद करते हैं। हम भी ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वो इस अभिनेता को फिर एक बार जन्म देकर बॉलीवुड को समृद्ध करें।
(प्रस्तुति -अर्चना शेरी)