(Movie Revie)
“Zero Day”, जो कि मशहूर अभिनेता रॉबर्ट डी नीरो की पहली टीवी सीरीज़ है, 2025 की सबसे चर्चित नेटफ्लिक्स रिलीज़ में से एक थी। लेकिन यह सीरीज़ उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती और बड़ी निराशा साबित होती है।
इसकी कहानी एक राजनीतिक थ्रिलर के तौर पर शुरू होती है — एक भीषण साइबर आतंकी हमला पूरे अमेरिका की कंप्यूटर व्यवस्था को ठप कर देता है।
प्लेन गिर जाते हैं, गाड़ियाँ टकरा जाती हैं, अस्पताल बंद हो जाते हैं, शेयर बाज़ार रुक जाता है, और डिजिटल संचार पूरी तरह खत्म हो जाता है।
इस डरावने हालात में, अमेरिका की राष्ट्रपति (एंजेला बैसेट) पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज मुल्लेन (डी नीरो) को यह जिम्मेदारी देती हैं कि वह इस घटना की जांच करें और सुनिश्चित करें कि ऐसा फिर न हो।
वह कहती हैं –
“हमें ऐसा नतीजा चाहिए जिस पर सबको भरोसा हो – और सबको आप पर भरोसा है।”
लेकिन यहीं से कहानी की विश्वसनीयता टूटने लगती है।
मुल्लेन को अकेले जंगल में दौड़ते और तैरते हुए दिखाया जाता है, जो सुरक्षा नियमों के बिल्कुल खिलाफ है।
धीरे-धीरे पता चलता है कि वह मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं — उन्हें मतिभ्रम होता है और बार-बार एक ही तेज़ रॉक गाना ‘Who Killed Bambi?’ उनके दिमाग में बजता रहता है।
शक होता है —
क्या वह किसी मानसिक हमले का शिकार हैं? क्या यह “The Manchurian Candidate” जैसी कहानी है जहां उन्हें ब्रेनवॉश किया गया है? या फिर यह क्यूबा में अमेरिकी राजनयिकों पर हुए ‘सोनिक अटैक’ जैसा मामला है? काश ऐसा होता!
लेकिन कहानी उलझती जाती है —
इसमें रूसी एजेंटों, एक वामपंथी हैकर समूह, हाउस स्पीकर, एक विवादित टॉक शो होस्ट, और एक तकनीकी अरबपति तक को शक के घेरे में लाया जाता है।
और फिर पारिवारिक ड्रामा शुरू हो जाता है —
मुल्लेन की बेटी, जो न्यूयॉर्क की सांसद है, अपने पिता के ‘फिक्सर’ से जुड़ी है जो खुद ब्लैकमेल हो रहा है। मुल्लेन अपनी पत्नी और एक इज़राइली एजेंट के अलावा केवल अपनी पुरानी चीफ ऑफ स्टाफ (जो उनकी गैरकानूनी बेटी की मां भी है) की बात मानते हैं।
निर्माण टीम और निर्देशन
सीरीज़ के निर्माता हैं एरिक न्यूमैन (“Narcos”), पत्रकार नोआ ओपेनहाइम और माइकल जे. श्मिट, और निर्देशन किया है लेस्ली लिंक ग्लैटर (“Love & Death”) ने।
हालांकि यह सीरीज़ बेहद दमदार बन सकती थी, लेकिन यह अपने कथानक और निर्देशन में कहीं खो जाती है।
कुल मिला कर मेरी राय ये है कि
“Zero Day” एक भय, साज़िश और भ्रम से भरी सीरीज़ है, लेकिन इसकी कहानी बिखरी हुई और निराशाजनक लगती है।
सीरीज़ के सभी 6 एपिसोड नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीमिंग के लिए उपलब्ध हैं।
(प्रस्तुति – अंजू डोकानिया)